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गणतंत्र दिवस पर छत्तीसगढ़ की झांकी मुरिया दरबार पर केंद्रित, 600 साल पुरानी परंपरा को देखेगी दुनिया

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 23, 2024, 6:51 AM IST

Muria Darbar of Bastar इस बार गणतंत्र दिवस पर छत्तीसगढ़ की झांकी में मुरिया दरबार को दिखाया जाएगा. दिल्ली के कर्तव्य पथ पर यह गणतंत्र दिवस की परेड में इसे पेश किया जाएगा. इस झांकी की झलक दिल्ली में दिखाई गई. जिसे लोगों ने खूब सराहा Chhattisgarh Republic Day tableau

Muria Darbar of Bastar
छत्तीसगढ़ की झांकी मुरिया दरबार पर केंद्रित

नई दिल्ली/रायपुर: दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में इस बार छत्तीसगढ़ की तरफ से बस्तर की 600 साल पुरानी की परंपरा की झलक झांकी के तौर पर दिखाई जाएगी. इस झांकी में आदिवासी परंपरा मुरिया दरबार को प्रदर्शित किया जाएगा. यह बस्तर में प्रचलित सामुदायिक निर्णय लेने की 600 साल पुरानी आदिवासी परंपरा है. यह ट्रेडिशन आजादी के 75 साल बाद भी बस्तर में जीवित है. जिसे गणतंत्र दिवस परेड समारोह में दिखाया जाएगा.

झांकी में दिखेगी आदिवासी परंपरा की झलक: झांकी के कॉर्डिनेशन में जुड़े एक अधिकारियों की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि भारत देश लोकतंत्र की जननी है. इसी के तहत छत्तीसगढ़ की झांकी दुनिया की प्राचीन काल से चली आ रही आदिवासी परंपरा को दिखाएगी. जिसमें लोकतांत्रिक चेतना का प्रमाण दर्शाया जाएगा. आदिवासियों की यह परंपरा मुरिया दरबार की परंपरा है. जिसे इस झांकी में दिखाया जाएगा.

क्या होता है मुरिया दरबार: बस्तर की झांकी की परंपरा मुरिया दरबार क्या होता है. इस पर आदिम जाति के जानकार बताते हैं कि मुरिया दरबार बस्तर की आदिवासी जन संसद है. जो आदिवासियों के द्वारा फैसले करने की प्राचीन परंपरा है. आजादी के 75 साल बाद भी बस्तर संभाग में यह परंपरा जीवित है. दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा दिनों तक चलने वाला बस्तर दशहरा मुरिया दरबार के साथ संपन्न होता है. इसमें आदिवासी, राजा और जन प्रतिनिधि चर्चा करते हैं. यह परंपरा आदिवासी समुदाय की समस्याओं को समाधान करने में अहम भूमिका निभाता है. इस बार गणतंत्र दिवस पर 28 राज्यों की झांकियों में 16 झांकियों का चयन किया गया है. जिसमें छत्तीसगढ़ की भी झांकी को शामिल किया गया है.

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झांकी में दिखेगी आदिवासी परंपरा की झलक: झांकी के कॉर्डिनेशन में जुड़े एक अधिकारियों की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि भारत देश लोकतंत्र की जननी है. इसी के तहत छत्तीसगढ़ की झांकी दुनिया की प्राचीन काल से चली आ रही आदिवासी परंपरा को दिखाएगी. जिसमें लोकतांत्रिक चेतना का प्रमाण दर्शाया जाएगा. आदिवासियों की यह परंपरा मुरिया दरबार की परंपरा है. जिसे इस झांकी में दिखाया जाएगा.

क्या होता है मुरिया दरबार: बस्तर की झांकी की परंपरा मुरिया दरबार क्या होता है. इस पर आदिम जाति के जानकार बताते हैं कि मुरिया दरबार बस्तर की आदिवासी जन संसद है. जो आदिवासियों के द्वारा फैसले करने की प्राचीन परंपरा है. आजादी के 75 साल बाद भी बस्तर संभाग में यह परंपरा जीवित है. दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा दिनों तक चलने वाला बस्तर दशहरा मुरिया दरबार के साथ संपन्न होता है. इसमें आदिवासी, राजा और जन प्रतिनिधि चर्चा करते हैं. यह परंपरा आदिवासी समुदाय की समस्याओं को समाधान करने में अहम भूमिका निभाता है. इस बार गणतंत्र दिवस पर 28 राज्यों की झांकियों में 16 झांकियों का चयन किया गया है. जिसमें छत्तीसगढ़ की भी झांकी को शामिल किया गया है.

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