कभी खुली जीप में बैठकर मुख्तार अंसारी ने AK47 लहरा फैलाई थी दहशत, 19 साल जेल में गुजारे, पंजाब से यूपी आते ही बदल गए दिन - mukhtar ansari terror on open jeep

author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 29, 2024, 9:04 AM IST

Updated : Mar 29, 2024, 12:57 PM IST

Mukhtar Ansari once spread terror in Mau by sitting in an open jeep

मुख्तार अंसारी ने कभी खुली जीप पर बैठकर आंतक फैलाया था. 19 साल उसने जेल में गुजारे. पंजाब से यूपी आते ही उसके दिन बदल गए.

लखनऊ: करीब साढ़े चार दशक तक पूर्वांचल की धरती पर खून की नदिया बहाने वाले माफिया डॉन मुख्तार अंसार की दिल का दौरा पड़ने से 61 वर्ष की उम्र में मौत है गई. मुख्तार बांदा जेल में बीते तीन वर्षों से बंद था, इसे पहले वह देश की अलग अलग जेलों में 19 वर्ष तक बंद रहा है. बुजुर्गों की एक कहावत है कि, वक्त सभी का बदलता है कभी अर्श तो कभी फर्श में. पूर्वांचल में कभी जिस मुख्तार अंसारी के कहने पर सरकारी ठेके मिला करते थे, जिसके एक इशारे में सरकारें अपने फैसले बदल लिया करती थी, उस मुख्तार की मुख्तारी इस कदर खत्म हुई कि 19 वर्ष पहले वह जेल गया तो अब उसका शव बाहर आ रहा है.


सच्चिनानंद राय हत्याकांड से अपराध की दुनिया में मुख्तार की एंट्री
गाजीपुर जिले के ठेके पट्टी का काम करने वाले ठेकेदार सच्चिनानंद राय की धमकियों से गाजीपुर जिले के यूसुफपुर निवासी माफिया मुख्तार अंसारी इस कदर आहत हुआ कि उसने वर्ष 1988 में राय की गोलियों से भून कर हत्या करवा दी. यह वो हत्या थी जब मुख्तार का अपराध को दुनिया में पहली बार नाम उभर कर आया था. सच्चिनानंद राय की हत्या के बाद न सिर्फ गाजीपुर बल्कि मऊ, वाराणसी, जौनपुर और बिहार के कई जिलों में मुख्तार अंसारी के नाम से लोग खौफ खाने लगे. इन जिलों में होने वाली हर हत्याओं और खुलने वाले हर ठेके पर मुख्तार का नाम आने लगा. देखते ही देखते मुख्तार को राजनीतिक संरक्षण मिला और फिर वह अपनी मुख्तारी पूरे पूर्वांचल में दिखाने लगा था.


स्वतंत्रता सेनानी के पोते से मखनू गैंग का सदस्य बन मुख्तार बना पूर्वांचल का कुख्यात
ऐसा नहीं है कि 80 के दशक में मुख्तार अंसारी या फिर उसके परिवार का नाम वर्ष 1988 को हुए सच्चिनानंद राय हत्याकांड के लिए ही जाना जाता था. 30 जून 1963 को यूपी के गाजीपुर जिले में यूसुफनगर में जन्म लेने वाले मुख्तार अपने खानदान के लिए भी जाना जाता रहा है. मुख्तार के दादा मुख्तार अहमद अंसारी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष व स्वतंत्रता सेनानी रहे है और नाना ब्रिगेडियर थे, जिन्हे नवसेरा युद्ध का हीरो माना जाता रहा है लेकिन पूर्वांचल के हर ठेके पर अपना कब्जा पाने के लिए जैसे ही मुख्तार ने 80 के दशक में सबसे अधिक सक्रिय मखनू सिंह गिरोह में शामिल हुआ वह अपराधियों के श्रेणी में गिना जाने लगा. मखनू सिंह गिरोह में आने के बाद मुख्तार रेलवे टेंडर, कोयेला खनन, स्क्रैप खरीदने और शराब सिंडिकेट में हाथ आजमाने लगा. इतना ही नहीं यदि कोई उसके ठेकों के बीच में आता तो उसकी हत्या करना या फिर उसका अपहरण कर फिरौती मांगना उसका शगल बन चुका था. मखनू गैंग के सहारे वह अपराध की सीढ़ियां चढ़ने लगा था. पूर्वांचल में हर हत्या , अपहरण , लूट और जमीनों पर कब्जे में मुख्तार का नाम आने लगा था.

अवधेश राय हत्याकांड से चर्चा में आने के बाद ली राजनीति में एंट्री
वर्ष 1991 में वाराणसी के बड़े नेता व ठेकेदार अवधेश राय हत्याकांड, वर्ष 1997 में चर्चित कोयला कारोबारी नंद किशोर रूंगटा का अपहरण काण्ड के बाद पूर्वांचल में सिर्फ एक ही नाम हर शख्स की जुबान में था वो था मुख्तार अंसारी. माफिया डॉन बन चुका मुख्तार अंसारी अब अपने अवैध धंधों को बढ़ाने और विरोधियों से चुनौती लेने के लिए अपने बड़े भाई अफजाल अंसारी की ही तरह राजनीति में आना चाहता था. लिहाजा उसने 1995 में हुए उपचुनाव में कॉमुनिस्ट पार्टी से चुनाव लड़ा लेकिन हार गया. ऐसे में उसने उस वक्त की बड़ी पार्टी बसपा की शरण ली और 1996 में बन गया विधायक. विधायक बनते ही मुख्तार को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मुख्तार को जेड प्लस सुरक्षा दी तो मुख्तार अंसारी की धमक में इजाफा हो गया. मुख्तार ने 2002 का एक बार फिर चुनाव लड़ा और विधायक बन राजनीति में अपराधीकरण को हवा दे दी.



जेल के अंदर से कराया कृष्णानंद राय हत्याकांड
वर्ष 2002 में विधायक बनने के तीन वर्ष बाद मुख्तार ने एक बार फिर पूर्वांचल में रक्तरंजित शुरूआत कर दी. वर्ष 2005 में मऊ दंगा हुआ. मुख्तार खुली जीप में बैठ कर एके 47 लहराता रहा और एक माह तक शहर जलता रहा. मऊ दंगे के बाद उसने 25 अक्तूबर 2005 को गाजीपुर में सरेंडर किया था और वहीं की जिला जेल में दाखिल हुआ. इसी दौरान पूर्वांचल में एक ऐसा हत्याकांड हुआ जिसने पूरे राज्य में दहशत के माहौल बन गया. जेल जाने के महज एक माह के अंदर 29 नवंबर 2005 को तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों को गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड के बाद मुख्तार अंसारी कभी भी जेल से बाहर नहीं निकल सका. मुख्तार जब से जेल में बंद है तब से लेकर अब तक उस पर गंभीर आपराधिक धाराओं में 29 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं. इनमें से आठ मुकदमे हत्या के आरोप से संबंधित हैं. मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या का आखिरी मुकदमा 22 वर्ष पुराने उसरी चट्टी हत्याकांड को लेकर दर्ज किया गया था. जेल से ही मुख्तार ने 2007,2012 और 2017 का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.

पंजाब से यूपी आते ही मुख्तार के बदल गए दिन
मुख्तार अंसारी 19 वर्षों तक जेल में भले ही रहा लेकिन उसके लिए वो कभी भी जेल खराब नहीं रही. यूपी हो या पंजाब, हर जेल में उसने अपनी खुद की सरकार चलाई. उसकी पत्नी जेल में ही उसके साथ रही. यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनते ही मुख्तार अंसारी और उसके गैंग की उलटी गिनती शुरू हो गई. वर्ष 2021 में पंजाब की तत्कालीन सरकार से लंबी लड़ाई लड़ने के बाद योगी सरकार उसे यूपी की बांदा जेल में लेकर आई और कार्रवाइयों का दौर शुरू किया. 65 मुकदमों के दर्ज होने के बाद भी योगी सरकार के आने से पहले एक भी किसी केस में उसे सजा नही सुनाई जा सकी. पहली बार 21 सितम्बर 2022 को उसे सात वर्ष की सजा सुनाई गई. तब से अब तक 8 मामलों में माफिया को सजा सुनाई जा चुकी है, जिसमें दो उम्र कैद की सजा शामिल है.

योगी सरकार ने मुख्तार का किला कर दिया ध्वस्त
माफिया के सहयोगियों व उसके गुर्गों पर हुई कार्रवाई की बात करें तो यूपी पुलिस उसके 282 गुर्गों पर कार्रवाई कर चुकी है जिसमें कुल 143 मुकदमें भी दर्ज किए गए हैं. मुख्तार के गुर्गों और उसके गैंग ISI191 के 176 सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है. योगी सरकार की कार्रवाई से दहशत आकर 15 गुर्गों ने सरेंडर भी किया है. 167 असलहों के लाइसेंस रद्द किए गए है तो 66 के खिलाफ गुंडा एक्ट व 126 के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई की गई है. योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी के 6 गुर्गों पर एनएसए लगाया गया. 70 की हिस्ट्रीशीट खोली गई है तो 40 को जिलाबदर किया गया है. मुख्तार के 5 गुर्गों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार भी गिराया है. योगी सरकार ने मुख्तार और उसके कुनबे की लगभग 5 अरब 72 करोड़ की संपत्ति की को या तो जब्त किया या फिर धवस्त किया है. यही नही मुख्तार एंड कंपनी पर हुई कार्रवाई से बंद पड़े उसके अवैध धंधों से कमाए जाने वाले 2 अरब 12 करोड़ का भी नुकसान हुआ है.


मुख्तार का परिवार भी मुश्किल में
सिर्फ मुख्तार अंसारी ही नही उसका पूरा परिवार एकाएक बेबसी की कगार पर आ गया है. मऊ से विधायक बेटा अब्बास अंसारी चित्रकूट जेल में है, उसके खिलाफ आठ केस दर्ज हैं. बहू निखत अंसारी भी जेल में है. पत्नी आफ्शा अंसारी पर 11 मुकदमे और छोटे बेटे पर 6 मुकदमे दर्ज है. बड़े भाई अफजाल अंसारी पर भी 7 केस दर्ज हैं.

...जब राजनाथ और कलराज मुख्तार के खिलाफ बैठ गए थे धरने पर
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह साल 2006 में माफिया सरकार मुख्तार अंसारी के खिलाफ वाराणसी में धरने प्रदर्शन पर बैठ गए थे. कृष्णानंद राय हत्याकांड के मामले में न्याय की गुहार लगा रहे राजनाथ सिंह भारतीय भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ यहां धरने पर बैठे थे. इसके बाद में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी को लेकर वे मुंबई चले गए थे. फिर वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया था. इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को कृष्णानंद राय हत्याकांड में सरकार की ओर से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला था. कृष्णानंद राय मऊ की एक विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक थे जिनकी ताबड़तोड़ गोलीबारी में हत्या कर दी थी और इस हत्या का आरोप मुख्तार अंसारी पर लगा था.
मुख्तार अंसारी भी राजनाथ सिंह पर आरोप लगाता रहता था. साल 2017 में अपनी जेल बदले जाने को लेकर उसने तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे. मुख्तार अंसारी ने कहा था कि राजनाथ चाहते हैं कि उसकी हत्या हो जाए. उसने यह भी आरोप लगाया था कि जब उसे पर राजनाथ के मुख्यमंत्री रहते हुए हमला हुआ था तब इस बात को गंभीरता से नहीं लिया गया था.
कृष्णानंद राय हत्याकांड 2005 में हुआ था जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी लगातार आंदोलन कर रही थी. साल 2006 में काशी क्षेत्र का आंदोलन वाराणसी में आयोजित किया गया था. जहां राजनाथ सिंह वरिष्ठ नेताओं के साथ धरने पर बैठे थे. इसके बाद भी मुंबई कार्यकारिणी में गए और वहां उनको राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया था. जबकि राजनाथ सिंह कि घर मौजूदगी में तत्कालीन भाजपा नेता कलराज मिश्र भी इस धरना प्रदर्शन का हिस्सा बने थे. मगर समाजवादी पार्टी के राज में किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ा था.

ये भी पढ़ेंः बांदा में माफिया मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत, यूपी में अलर्ट जारी, धारा 144 लागू

ये भी पढ़ेंः माफिया मुख्तार की मौत बाद यूपी में अलर्ट, गाजीपुर में अंसारी परिवार के क़ब्रों के बीच होगा दफन

ये भी पढ़ेंः तीन दशक में नाना और दादा के नाम को मुख्तार अंसारी ने किया दागदार, जानिए कैसे बना माफिया?

Last Updated :Mar 29, 2024, 12:57 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.