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MP में आधी आबादी पर अधूरा भरोसा, इंदौर में महिला सांसद चुनने का रिकॉर्ड, 7 सीटों पर कभी नहीं उतरी महिलाएं - MP LS 7 Seats Unique History

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 12, 2024, 5:33 PM IST

किसी भी चुनाव में आधी आबादी की भागेदारी बहुत महत्वपूर्ण होती है. तभी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने महिलाओं को साधने की पूरी कोशिश की थी. बात अगर लोकसभा चुनाव की करें तो एमपी की 7 सीट ऐसी हैं, जहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने कभी महिला उम्मीदवार को नहीं उतारा. जबकि एमपी की एक सीट पर महिला सांसद चुनने का रिकॉर्ड दर्ज है.

MP LS 7 SEATS UNIQUE HISTORY
MP में आधी आबादी पर अधूरा भरोसा, इंदौर में महिला सांसद चुनने का रिकॉर्ड, 7 सीटों पर कभी नहीं उतरी महिलाएं

भोपाल। मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से इस बार बीजेपी ने 6 महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने सिर्फ 1 सीट पर महिला उम्मीदवार को तवज्जो दी है. यह स्थिति तब है, जब प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं ने पुरूषों के मुकाबले रिकॉर्ड मतदान किया है. इसके बाद भी प्रदेश की 7 लोकसभा सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस ने कभी महिला उम्मीदवार को चुनाव मैदान में नहीं उतारा.

मध्य प्रदेश की सियासत में महिला में राजनीतिक चेतना पुरूषों से कम नहीं रही. एमपी के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक 69 महिलाएं प्रदेश के अलग-अलग संसदीय क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं, लेकिन इसके बाद भी प्रदेश की 7 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां प्रमुख पार्टी बीजेपी-कांग्रेस ने कभी महिला उम्मीदवार ही नहीं उतारा. इसमें से एक उज्जैन लोकसभा सीट भी है, जहां से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आते हैं. वहीं इस बार के लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक महिला मतदाताओं वाली प्रदेश की तीन लोकसभा सीटों पर भी बीजेपी ने दो पर महिला उम्मीदवार, जबकि कांग्रेस ने पुरुष उम्मीदवार को ही मैदान में उतारा है.

प्रदेश की इन सीटों पर कभी नहीं उतरी महिला उम्मीदवार

1957 में मध्य प्रदेश में पहला लोकसभा चुनाव हुआ तो कई सीटों पर महिला उम्मीदवार भी चुनाव में उतरीं, इनमें से 3 महिलाएं चुनकर संसद भी पहुंची. आजादी के बाद हुए लोकसभा चुनावों में प्रदेश की अलग-अलग सीटों से महिला उम्मीदवार जीतकर संसद पहुंचती रहीं, लेकिन प्रदेश की 7 लोकसभा सीटों पर कभी महिला उम्मीदवार मैदान में ही नहीं उतारी गईं. इनमें से एक सीट मध्य प्रदेश की उज्जैन लोकसभा सीट है, जहां की एक विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव चुनकर आते हैं. इस सीट के अलावा सतना, देवास, खरगोन, खंडवा, मुरैना और होशंगाबाद भी इस सूची में शामिल हैं. इन सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस ने महिला उम्मीदवारों को चुनाव में नहीं उतारा है. जबकि उज्जैन और देवास लोकसभा सीट से सटी इंदौर लोकसभा सीट से सबसे ज्यादा महिला उम्मीदवार चुने जाने का रिकॉर्ड है.

एक सीट से सबसे ज्यादा महिला सांसद चुनने का रिकॉर्ड

मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से इंदौर अकेली ऐसी सीट है. जहां से सबसे ज्यादा 8 बार महिला सांसद ने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है. सुमित्रा महाजन इस सीट से 1989 में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी को 1 लाख 11 हजार वोटों से चुनाव हराकर सबसे पहले सांसद बनी थीं. इसके बाद वे 1991, 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में सांसद चुनी गईं. लगातार एक सीट से 8 बार जीतने का रिकॉर्ड भी सुमित्रा ताई के नाम ही है.

सुमित्रा महाजन के बाद विजयाराजे सिंधिया 7 बार सांसद चुनी गईं. उन्होंने 1957 में सबसे पहला चुनाव गुना लोकसभा सीट से लड़ा था. इसके बाद 1989, 1991, 1996, 1998 में इस सीट से चुनकर सांसद पहुंची. 1962 में वे ग्वालियर से भी चुनाव जीती थीं.

प्रदेश के पहले लोकसभा चुनाव में जीती थीं 3 महिला सांसद

1957 में मध्य प्रदेश में पहला लोकसभा चुनाव 27 सीटों पर हुआ था. जिसमें कुल 121 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे. प्रदेश की 8 लोकसभा सीटों पर महिला उम्मीदवार चुनाव में उतरीं थीं. इसमें गुना लोकसभा सीट से विजयाराजे सिंधिया, सागर से सहोदरा बाई मुरलीधर, रायपुर से रानी केशर कुमारी देवी, बलौदा बाजार से मनीमाता, रीवा से मित्रा रामा और भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस से मैमूना सुल्तान, सीपीआई से मोहिनी देवी और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अनूपबाई. इसमें कांग्रेस की मैमूना सुलतान ने 41.25 फीसदी वोट प्राप्त किए थे और जीत दर्ज की थी. इन 8 महिला उम्मीदवारों में से गुना से विजयाराजे सिंधिया, भोपाल से मैमूना सुल्तान और सागर से सहोदरा बाई ने चुनाव में जीत दर्ज की थी. 1957 के लोकसभा चुनाव में देश में कुल 22 महिला उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी.

तीन सीटों पर महिला मतदाता किंगमेकर, लेकिन उम्मीदवार पुरुष

चुनावों में महिलाओं की भूमिका लगातार बढ़ रही है. प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं ने रिकॉर्ड 76.03 वोटिंग की थी. प्रदेश की 44 विधानसभा सीटों में पुरुषों के मकाबले महिलाओं ने वोटिंग की थी. प्रदेश में अभी 2 करोड़ 73 लाख 87 हजार 122 महिला मतदाता हैं. इसमें से प्रदेश की 3 लोकसभा सीट ऐसी हैं, जहां पुरुष मतदाताओं के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. इसमें बालाघाट में सबसे ज्यादा महिला मतदाता हैं. इसके अलावा रतलाम और मंडला में भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा है. इन 3 लोकसभा सीटों में महिला मतदाता ही किंग मेकर हैं, इसको देखते हुए बीजेपी ने जहां बालाघाट और शहडोल में महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने इन सीटों पर पुरुष उम्मीदवार को ही तवज्जो दी है.

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बालाघाट लोकसभा सीट-बीजेपी ने भारती पारधी, कांग्रेस ने सम्राट सरस्वार को मैदान में उतारा.

शहडोल लोकसभा सीट - हिमाद्री सिंह-बीजेपी, फुंदेलाल मार्को- कांग्रेस.

मंडला लोकसभा सीट - फग्गन सिंह कुलस्ते-बीजेपी, ओमकार सिंह मरकाम -कांग्रेस

उज्जैन लोकसभा सीट में 1952 से 2019 तक 17 लोकसभा चुनाव हुए, लेकिन बीजेपी कांग्रेस ने एक बार भी महिला उम्मीदवार को चुनाव मैदान में नहीं उतारा.
उधर राजनीतिक जानकार केडी शर्मा कहते हैं कि राजनीतिक पार्टियों का टिकट देने का अपना अलग समीकरण होता है. उनके लिए टिकट का सिर्फ एक फार्मूला होता है, जिताऊ कैंडीडेट और इस फार्मूले पर जो फिट बैठता है, पार्टियां उसे ही मैदान में उतारती हैं. वैसे प्रदेश से चुनकर जाने वाली महिलाओं ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है. आने वाले सालों में प्रदेश में महिला वर्ग की राजनीतिक हिस्सेदारी और भी बढ़ेगी.

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