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पूर्वी नगालैंड में मतदान के लिए नहीं निकले लोग, जानिए क्या है ENPO की मांग? - Lok Sabha elections 2024

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By Aroonim Bhuyan

Published : Apr 20, 2024, 3:40 PM IST

Updated : Apr 20, 2024, 3:45 PM IST

Nagaland No Vote Caste : लोकसभा चुनाव का पहला फेज समाप्त हो गया. भारत के पूर्वोत्तर राज्य नगालैंड के एक छोटे से कोने में लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया. छह जिलों में वोटिंग शून्य रही. जानिए इसके पीछे क्या रही वजह.

Nagaland No Vote Caste
मतदान के लिए नहीं निकले लोग

नई दिल्ली : नगालैंड में विधानसभा की 60 सीटें हैं. पूरे राज्य को 16 जिलों में बांटा गया है. हालांकि, यहां पर लोकसभा की मात्र एक सीट हैं. लोकसभा चुनाव के पहले चरण में नगालैंड का चुनाव संपन्न हो गया. लेकिन सबसे आश्चर्य की बात ये रही कि 16 में से छह जिलों में किसी ने भी वोटिंग नहीं की.

ये जिले हैं किफिरे, लोंगलेंग, मोन, नोक्लाक, शमतोर और तुएनसांग. प्राथमिक तौर पर यह बताया गया है कि मतदाताओं ने ऑटोनोमस काउंसल के गठन की मांग की थी, जिसे भारत सरकार ने पूरा नहीं किया. ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेश (ENPO) ने फ्रंटियर नगालैंड टेरेटरी नाम से काउंसल के बनाए जाने की मांग की थी.

ईएनपीओ क्या है : नगालैंड के पूर्वी इलाकों में पड़ने वाले जिलों में रहने वाले लोगों का यह एक सिविल सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन है. इसे 1972 में बनाया गया था. इन इलाकों में रहने वाले नगा ट्राइब के हितों और अधिकारों को उठाने के लिए इसे बनाया गया था. इनमें मोन, तुएनसांग, किफिरे, लोंगलेंग, नोक्लाक और शामतोर जिले को शामिल किया गया था. यहां पर रहने वाली नगा जातियों को ईस्टर्न नगा बोला जाता है. इनकी भाषा, इनका पहनावा और सांस्कृति पहचान अलग है. इनका उत्थान किस तरह से हो सके, और उसे कैसे संरक्षित किया जा सके और उनका राजनीतिक प्रतिनिधित्व किस तरह से बढ़े, इसके लिए ईएनपीओ का गठन किया गया था. इस संगठन में कोन्याक संघ, संगतम संघ, खिआम्नियुंगन संघ, और चांग संघ और अन्य शामिल हैं. ये ट्राइब्स के अलग-अलग समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं. यानी ईएनपीओ इसका सामूहिक प्रतिनिधित्व करता है.

ईएनपीओ पूर्वी नगा जनजातियों की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए काम करता है. यह अपनी परंपराओं, कलाओं और शिल्पों को प्रदर्शित करने और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, त्योहारों और कार्यशालाओं का आयोजन करता है.

ईएनपीओ ने क्षेत्र में शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और साक्षरता को बढ़ावा देने में भी मदद की है. यह पूर्वी नगा समुदायों के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं और आर्थिक अवसरों की भी वकालत करता है. जमीन के अधिकारों को लेकर भी यह संगठन मुखर रहा है.

जिन छह जिलों में ये रहते हैं, ये मुख्य रूप से म्यांमार के साथ सीमा साझा करते हैं. मुख्य नगालैंड से ये म्यांमार के ज्यादा करीब हैं, क्योंकि मुख्य नगालैंड और इन जिलों के बीच बड़ा पहाड़ी इलाका है.

एशियन कॉन्फ्लूएंस थिंक टैंक के के. योहोम ने ईटीवी भारत को बताया कि यह मुद्दा अब दशकों पुराना हो चला है. उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश को पहले नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी के नाम से जाना जाता था. इसी नेफा के अंतर्गत तुएनसांग डिवीजन था और इस डिवीजन में पूरा इलाका शामिल था. उसके बाद 1963 में जब नगालैंड का निर्माण हुआ, तो इन छह जिलों को भी इसका ही हिस्सा मान लिया गया. और वैसे भी इनकी मांग जायज है. इसके दो कारण हैं. पहला- भौगोलिक दूरी और दूसरा इनकी पहचान.

योहोम ने कहा कि प्रशासनिक रूप से भी देखें तो कोहिमा से इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता है. इसलिए उनकी मांग है कि यदि स्वायत्त परिषद का गठन कर दिया जाए, तो वे अपने प्रशासनिक दायित्वों और जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निभा सकते हैं, साथ ही म्यांमार से सटे होने की वजह से इसे अधिक सुरक्षित बनाने में भी मदद करेंगे.

आपको बता दें कि जब से म्यांमार में आंतरिक संघर्ष की शुरुआत हुई है, तब से भारत ने फ्री मूवमेंट रेजीम को रद्द कर रखा है, अन्यथा भारी मात्रा में शरणार्थी आ सकते थे.

मतदान से पहले क्या हुआ? : 1 अप्रैल को चुनाव आयोग को लिखे एक पत्र में ईएनपीओ ने बताया था कि पूर्वी नगालैंड के लोग 2024 के लोकसभा चुनावों में भाग लेने से दूर रहेंगे. फिर, पूर्वी नगालैंड सार्वजनिक आपातकालीन नियंत्रण कक्ष (ईएनपीईसीआर) द्वारा बुलाए गए बंद के जवाब में नगालैंड में मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने 18 अप्रैल को ईएनपीओ के अध्यक्ष को एक नोटिस जारी किया. कहा कि भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 171सी (1) चुनावों के दौरान अनुचित हस्तक्षेप को अपराध मानती है. ऐसे में कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए.

सीईओ के कार्यालय ने शटडाउन को चुनाव के महत्वपूर्ण चरण के दौरान अनुचित दबाव डालने के प्रयास के रूप में देखा. हालांकि ईएनपीईसीआर के परिपत्र ने कुछ श्रेणियों जैसे चुनाव अधिकारियों, सुरक्षा कर्मियों और आवश्यक सेवाओं को छूट दी. सीईओ कार्यालय ने चिंता जताई कि बंद से पूर्वी नगालैंड क्षेत्रों में मतदान अधिकारों के मुक्त अभ्यास में बाधा आ सकती है. नोटिस विशेष रूप से ईएनपीओ के अध्यक्ष को संबोधित करता है, क्योंकि संगठन ईएनपीईसीआर के कार्यों के लिए जिम्मेदार है.

ईएनपीओ की क्या प्रतिक्रिया थी? : जवाब में ईएनपीओ ने स्पष्ट किया कि उसके सार्वजनिक नोटिस के पीछे प्राथमिक उद्देश्य सार्वजनिक आपातकाल अवधि के महत्वपूर्ण चरण के दौरान पूर्वी नागालैंड क्षेत्र में कानून और व्यवस्था बनाए रखना था. नोटिस का उद्देश्य संभावित गड़बड़ी को कम करना और असामाजिक तत्वों के जमावड़े से जुड़े जोखिमों को कम करना है.

ईएनपीओ ने जोर देकर कहा कि पूर्वी नगालैंड के लोगों द्वारा की गई शटडाउन पहल पूरी तरह से स्वैच्छिक थी. यह निर्णय मौजूदा परिस्थितियों और स्थानीय जनता की भावनाओं पर आधारित था. इस संबंध में एक अप्रैल को चुनाव आयोग को सूचित कर दिया गया था.

संगठन ने इस बात पर जोर दिया कि 18 अप्रैल के नोटिस का उद्देश्य निवासियों की सुरक्षा और भलाई की रक्षा करना था, न कि चुनाव कार्यवाही को प्रभावित करना या उसमें बाधा डालना.

ईएनपीओ ने स्पष्ट किया कि उसके पास प्रस्तावों या आदेशों को लागू करने का अधिकार नहीं है और यह पूरी तरह से पूर्वी नगालैंड निवासियों के बीच स्वैच्छिक भागीदारी और आम सहमति के आधार पर संचालित होता है.

ईएनपीओ ने नगालैंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के साथ पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया और किसी भी गलतफहमी को हल करने के लिए अतिरिक्त स्पष्टीकरण या जानकारी प्रदान करने की इच्छा व्यक्त की.

संगठन ने स्थानीय आबादी की भलाई के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देते हुए पूर्वी नगालैंड क्षेत्र में कानून और व्यवस्था के सुचारु कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए रचनात्मक बातचीत और सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की.

आगे क्या? : फरवरी 2023 में हुए नगालैंड विधानसभा चुनावों से पहले फ्रंटियर नगालैंड टेरिटरी स्वायत्त परिषद के गठन का आश्वासन केंद्र द्वारा ईएनपीओ को दिया गया था. लेकिन, चूंकि इस साल के लोकसभा चुनावों से पहले भी यह अमल में नहीं आया, इसलिए ईएनपीओ ने इसका सहारा लिया कि कोई भी मतदान केंद्र पर न आए.

ईटीवी भारत द्वारा संपर्क किए जाने पर नगालैंड के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने स्वीकार किया कि शुक्रवार के मतदान के दौरान पूर्वी नगालैंड में कोई मतदान नहीं हुआ. अधिकारी ने कहा कि 'लेकिन स्वायत्त परिषद के गठन के लिए केंद्र और ईएनपीओ के बीच बातचीत जारी रहेगी.'

नगालैंड से मौजूदा लोकसभा सदस्य नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के तोखेहो येपथोमी हैं, जो केंद्र के सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन की सहयोगी है. उनके प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के सुपोंगमेरेन जमीर हैं.

इस बीच नगालैंड से एकमात्र राज्यसभा सदस्य फांगनोन कोन्याक भी पूर्वी नागालैंड से हैं, जहां शुक्रवार को शून्य मतदान हुआ. समाचार लिखे जाने तक ईटीवी भारत ने येपथोमी, जमीर और कोन्याक तक पहुंचने की कोशिश की लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

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Last Updated :Apr 20, 2024, 3:45 PM IST
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