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थ्रिपुनिथुरा चुनाव मामला : HC ने के. बाबू के चुनाव को रखा बरकरार, स्वराज की याचिका खारिज - Thrippunithura election case

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 11, 2024, 6:03 PM IST

Updated : Apr 11, 2024, 7:14 PM IST

Thrippunithura election case
केरल उच्च न्यायालय

Thrippunithura election case : केरल हाईकोर्ट ने थ्रिपुनिथुरा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के. बाबू के चुनाव को चुनौती देने वाली सीपीआई (एम) नेता और पूर्व विधायक एम. स्वराज की याचिका को खारिज कर दिया है.

कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने सीपीएम नेता एम स्वराज की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें थ्रिपुनिथुरा से पूर्व मंत्री के. बाबू के चुनाव को अमान्य घोषित करने की मांग की गई थी. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बाबू विधायक बने रह सकते हैं.

हाई कोर्ट ने 2021 में के. बाबू के चुनाव पर सवाल उठाने वाली विरोधी उम्मीदवार एम स्वराज की याचिका खारिज कर दी. याचिका में स्वराज ने सबरीमाला अय्यप्पन की तस्वीर वाली मतदाता पर्चियों के वितरण के सबूत पेश कर चुनाव रद्द करने की मांग की थी. अदालत की कार्रवाई में बताया गया कि याचिका में लगाए गए आरोप साबित नहीं किए जा सके, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मतदाताओं को पर्चियां दी गईं.

कोर्ट ने कहा कि गवाही को मान्य करने के लिए कोई सबूत नहीं है, अकेले गवाही पर विचार नहीं किया जा सकता है, और गवाह पेश किए गए एम स्वराज द्वारा लिखित बयान विश्वसनीय नहीं हैं.

ये है मामला : याचिकाकर्ता सीपीएम नेता एम स्वराज 2021 में त्रिपुनिथुरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार थे. चुनाव में के. बाबू को विधायक चुना गया था. तब स्वराज ने चुनाव याचिका दायर करते हुए कहा था कि के. बाबू और यूडीएफ कार्यकर्ताओं ने निर्वाचन क्षेत्र में व्यापक रूप से प्रचार किया था कि अगर उन्होंने स्वराज को वोट दिया तो भगवान अयप्पा नाराज हो जाएंगे. पर्ची पर अय्यप्पन की तस्वीर और कांग्रेस का हाथ का निशान था. अपनी चुनाव याचिका में स्वराज ने आरोप लगाया था कि यूडीएफ कार्यकर्ताओं ने प्रचार किया कि 'यह त्रिपुनिथुरा निर्वाचन क्षेत्र में सबरीमाला अय्यप्पन और स्वराज के बीच मुकाबला है' और अय्यप्पन के नाम का उल्लेख करते हुए वॉल पेंटिंग बनाई गई थीं.

स्वराज ने पर्ची के बारे में शिकायत दर्ज कराई. जांच आगे नहीं बढ़ी. बाद में उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उच्च न्यायालय ने तर्क दिया कि क्या मामले को फाइल पर स्वीकार किया जाना चाहिए और याचिका स्वीकार करने का निर्णय लिया गया. लेकिन के बाबू ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और हाई कोर्ट को दलील सुनने का निर्देश दिया. उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान उन छह मतदाताओं से पर्चियों के बारे में पूछा, जिन्हें पर्चियां बांटने का आरोप था. वहीं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी आरोप से इनकार किया. अदालत ने मुख्य रूप से इस तथ्य की जांच की कि शिकायत चुनाव से पहले दायर की गई थी.

कोर्ट ने माना कि मतदाताओं को अयप्पा की तस्वीर छपी पर्चियां बांटने का आरोप निराधार है. हालांकि, यह तर्क दिया गया कि मतदाताओं को धर्म के नाम पर वोट देने के लिए मजबूर किया गया था. कोर्ट ने इसे निराधार बताकर खारिज कर दिया.

फैसले पर जताई खुशी : कोर्ट का फैसला आने के बाद के.बाबू ने कहा कि वह खुश हैं, ये फैसला कार्यकर्ताओं के लिए उत्साहवर्धक है. उन्होंने यह भी कहा कि एलडीएफ को अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचना चाहिए. इस बीच, स्वराज की प्रतिक्रिया थी कि 'यह एक अजीब आदेश है.' उन्होंने मीडिया को जवाब दिया कि फैसले की कॉपी मिलने के बाद वह भविष्य के उपायों पर विचार करेंगे.

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Last Updated :Apr 11, 2024, 7:14 PM IST
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