ETV Bharat / bharat

सगे भाई को लीवर टिश्यू दान करने के लिए पत्नी की अनुमति आवश्यक नहीं, MP हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 6, 2024, 3:35 PM IST

Updated : Feb 6, 2024, 4:24 PM IST

liver tissue donate case
सगे भाई को लीवर टिश्यू दान करने का मामला

Jabalpur High Court News: अपने शरीर का अंग सगे भाई को दान करने के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने अहम निर्णय सुनाया है. अपने भाई की जान बचाने के लिए पत्नी की अनुमति आवश्यक नहीं है.

जबलपुर। अपने भाई को अंग दान करने के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने अहम निर्णय सुनाया है.याचिकाकर्ता महिला ने अपने पति की जीवन की चिंता करते हुए आपत्ति जताई थी कि अपना जीवन खतरे में डालते हुए उनके पति अपने भाई को लीवर टिश्यू दान करना चाहते हैं.इसे लेकर जस्टिस राज मोहन सिंह ने अपने अहम फैसले में कहा है कि सगे भाई को लीवर टिश्यू दान करने के लिए पत्नी की अनुमति आवश्यक नहीं है. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि आपत्ति करने वाली पत्नी को अधिक महत्व दिया गया है. याचिकाकर्ता स्वेच्छा से अपने भाई को लीवर टिश्यू देना चाहता है, उसकी इच्छा को कोई महत्व नहीं दिया गया जो अपने अंग का दान देकर भाई की जान बचाना चाहता है.

क्या है मामला

गुलमोहर कॉलोनी भोपाल निवासी विकास अग्रवाल तथा उनकी पत्नी आभा अग्रवाल की तरफ से हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि आभा अग्रवाल के पति विकास के भाई का लीवर ट्रांसप्लांट मुम्बई स्थित कोकिला बेन हॉस्पिटल में होना था. मेडिकल जांच में विकास के लीवर टिश्यू अंग प्रत्यारोपण के लिए उचित पाये गये थे. विकास स्वेच्छा से लीवर टिश्यू प्रदान करने के लिए तैयार था. सभी मेडिकल जांच पूरी हो गई थी लेकिन विकास की पत्नी आभा ने अंग दान के लिए सहमति देने से इंकार कर दिया था. जिसके कारण अस्पताल प्रबंधन ने अंग प्रत्यारोपण करने से इंकार कर दिया था. इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा था.यहां दोनों की तरफ से अपील दायर की गई थी.

हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश

हाईकोर्ट जस्टिस राज मोहन सिंह की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि पति के स्वास्थ्य व जीवन की चिंता एक सामाजिक मानदंड है. ऐसा नहीं सोचना चाहिये कि लीवर टिश्यू देने से उसके पति की मौत हो जायेगी. सर्वोच्च न्यायालय सहित अन्य न्यायालय द्वारा पारित निर्णय का हवाला देते हुए एकलपीठ ने कहा है कि याचिकाकर्ता ने स्वेच्छा से उक्त निर्णय लिया है.पत्नी सहित कई अन्य लोग उसमें दखलंदाजी नहीं कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें:

उपन्यास का भी दिया हवाला

नोबेल पुरस्कार विजेता फ्रांसीसी दार्शनिक अल्बर्ट कैमस द्वारा लिखित उपन्यास पत्नी अमुक्त दुनिया से निपटने का एक मात्र मार्ग यह है कि स्वतंत्र रूप से आपने की आपका अस्तित्व ही विरोध का कार्य है. इसका उल्लेख करते हुए एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि एक व्यक्ति अपने बीमार भाई को लीवर दान करना चाहता है. इसमें राज्य सरकार की अनावश्यक हस्तक्षेप कार्रवाई भी उसमें बाधा नहीं बन सकती.

Last Updated :Feb 6, 2024, 4:24 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.