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Watch : भारत-म्यांमार सीमा, बाड़ लगाने का फैसला संबंधों के लिए सकारात्मक नहीं है: पूर्व राजनयिक

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 11, 2024, 11:22 AM IST

Updated : Feb 11, 2024, 7:28 PM IST

Scrapping of the FMR is not a very positive development for India Myanmar relations says Ex-Amb to Myanmar Rajiv Bhatia
भारत-म्यांमार सीमा, बाड़ लगाने का फैसला संबंधों के लिए सकारात्मक नहीं

भारत सरकार द्वारा म्यांमार की सीमा पर बाड़ लगाने का फैसला सकारात्मक नहीं है. ऐसा पूर्व राजदूत राजीव भाटिया का कहना है. इस बारे में पढ़ें ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

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नई दिल्ली: भारत द्वारा म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के फैसले को लेकर पूर्व राजदूत ने अपने विचार रखे हैं. पूर्व राजदूत राजीव भाटिया ने शनिवार को ईटीवी भारत के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि फ्री मूवमेंट शासन (FMR) को समाप्त करने का केंद्र का निर्णय भारत और म्यांमार के बीच संबंधों के लिए अच्छी खबर नहीं है, लेकिन सुरक्षा चिंताओं के लिए यह आवश्यक है. उन्होंने कहा, 'भारत की एक्ट ईस्ट नीति के प्रभाव के बारे में मेरा मानना है कि यह कई अन्य देशों से संबंधित है और हमें पूरी उम्मीद है कि भारत अस्थायी रूप से म्यांमार के अलावा अन्य देशों पर ध्यान केंद्रित करेगा.'

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में भारत ने म्यांमार के साथ मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) को समाप्त करने और पूरी सीमा पर बाड़ लगाने का फैसला किया. यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा और अवैध आप्रवासन के बारे में चिंताओं के बीच आता है, विशेष रूप से 2021 म्यांमार तख्तापलट के बाद. हालाँकि, म्यांमार सरकार ने अभी तक इस फैसले पर आधिकारिक तौर पर प्रतिक्रिया नहीं दी है.

1969 में स्थापित एफएमआर ने साझा सीमा के 16 किलोमीटर के भीतर के निवासियों को परमिट के साथ स्वतंत्र रूप से पार करने की अनुमति दी, जिससे व्यापार, पारिवारिक संबंध और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की सुविधा हुई. भारत म्यांमार का सहयोग चाहता है ताकि पूर्वोत्तर में सुरक्षा स्थिति स्थिर बनी रहे. म्यांमार में अस्थिरता के कारण ही भारत विरोधी विद्रोही समूह हैं.

भाटिया ने कहा म्यांमार सरकार इस पर अंकुश लगाने के लिए शायद ही कुछ कर रही है और हम चाहते हैं कि इसे बदला जाए. म्यांमार भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है, इस पर उन्होंने कहा,'म्यांमार आसियान की अग्रिम पंक्ति है, और अगर हम आसियान के साथ आर्थिक संबंध विकसित करना चाहते हैं, तो म्यांमार आसियान के प्रवेश द्वार के रूप में एक बड़ी भूमिका निभाता है.

भारत म्यांमार में चीन के बढ़ते प्रभाव से चिंतित है, जो हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के लिए अच्छा नहीं है. इसलिए, हमारे लिए न केवल सरकार के साथ बल्कि म्यांमार में अन्य हितधारकों के साथ भी संपर्क में रहना महत्वपूर्ण है ताकि उस देश में आर्थिक रूप से जो कुछ भी हो रहा है, उसमें भारत हर समय मौजूद रहे.'

म्यांमार में सैन्य समूह और इसके विरोधी समूहों के बीच हाल ही में बढ़े संघर्ष के मद्देनजर, भाटिया ने कहा, 'म्यांमार के प्रति भारत की नीति देश में सैन्य शासन के साथ संपर्क में रहने की होनी चाहिए क्योंकि भारत की नीति समझौते की है. चाहे कोई भी शासन सत्ता में हो, लेकिन साथ ही, हमें अन्य हितधारकों के साथ अपने संपर्कों को व्यापक बनाना चाहिए.'

पूर्व राजनयिक ने कहा, 'भारत को आसियान, क्वाड और चीन जैसे समान विचारधारा वाले देशों के साथ काम करने की जरूरत है ताकि एक खाका तैयार किया जा सके जिसे हम स्थिति से निपटने के लिए अपने मित्र म्यांमार को प्रस्तुत कर सकें. मुझे लगता है कि यह म्यांमार के प्रति भारत की नीति का केंद्रीय आधार होना चाहिए.'

उन्होंने आगे कहा कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ अच्छे पड़ोसी संबंध चाहता है, लेकिन यह भारत की सुरक्षा और संप्रभुता की कीमत पर नहीं हो सकता. उन्होंने कहा, 'अगर विदेशी तत्व सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले हैं, तो नियमों को कड़ा करना होगा. उन्होंने कहा कि एफएमआर को खत्म करने का विचार मणिपुर सरकार द्वारा अनुरोध किया गया था.

इस पर विविध प्रतिक्रियाएं हुई हैं, लेकिन बहुत स्पष्ट रूप से, स्थानीय स्तर पर लोगों को लगता है कि इससे सीमा पार हाट, सामाजिक यात्राओं और परिचित लिंक जैसी सकारात्मक सीमा पार गतिविधियों में बाधा आएगी. इसलिए संतुलन बनाना होगा, संक्षेप में यह एक अपरिहार्य स्थिति है, और सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कैसे लागू किया जाता है.'

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने गुरुवार को नियमित मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि म्यांमार के रखाइन राज्य में सुरक्षा स्थिति चिंताजनक और गंभीर है और भारतीय पक्ष ने एक सलाह जारी कर अपने नागरिकों को क्षेत्र छोड़ने के लिए कहा है.

उन्होंने कहा, 'भारतीय नागरिकों को रखाइन राज्य की यात्रा न करने की सलाह दी गई है. जयसवाल ने कहा कि उनके पास रखाइन राज्य में मौजूद भारतीय नागरिकों की सटीक संख्या नहीं है, जहां 2014 से सिटवे में भारत का वाणिज्य दूतावास है. सुरक्षा स्थिति का हमारे वाणिज्य दूतावास पर प्रभाव पड़ेगा. हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं और देखेंगे कि इससे कैसे बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है.

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Last Updated :Feb 11, 2024, 7:28 PM IST
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