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सियासी भंवर में फंसी सरकार...क्या हरियाणा में होने वाला है फ्लोर टेस्ट ? - Haryana Political Crisis Update

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : May 8, 2024, 9:20 PM IST

Updated : May 8, 2024, 10:46 PM IST

Haryana Political Crisis Update : हरियाणा की सियासत इस वक्त देश में सुर्खियां बटोर रही है. वजह 3 निर्दलीयों का सरकार से समर्थन वापसी का बड़ा फैसला और फौरन कांग्रेस को सपोर्ट दे देना. इसके बाद विपक्ष कह रहा है कि हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार अल्पमत में आ गई है और सरकार को नैतिकता के आधार पर फौरन इस्तीफा दे देना चाहिए, लेकिन बीजेपी कह रही है कि सरकार अल्पमत में नहीं है. ऐसे में किसके दावे में है कितना दम, ये एक बड़ा सवाल है. ऐसे मामले में जानकार क्या कह रहे हैं. क्या वाकई हरियाणा की बीजेपी सरकार पर ख़तरा मंडरा रहा है ?.

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सियासी भंवर में फंसी हरियाणा सरकार (Etv Bharat)

चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार से 3 निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापसी के बाद हरियाणा की सियासत में हंगामा मचा हुआ है. विपक्ष सरकार को नैतिकता का पाठ पढ़ा रहा है और राज्यपाल से अल्पमत में आई सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रहा है. लेकिन सीएम और पूर्व सीएम कह रहे हैं कि उनकी सरकार अल्पमत में नहीं है.

3 निर्दलीय विधायकों का कांग्रेस को समर्थन और सियासत : मंगलवार को 3 निर्दलीय विधायकों ने हरियाणा की बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया और कांग्रेस को समर्थन दे डाला जिसके बाद सियासी हंगामा शुरू हो गया. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि बीजेपी की सरकार अल्पमत में आ गई है और सीएम को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए और राज्यपाल से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर डाली.

दुष्यंत चौटाला भी मैदान में आए : मंगलवार को शुरू हुए इस खेल में बुधवार सुबह जेजेपी भी कूद गई. पूर्व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने हिसार में कहा है कि निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने से प्रदेश की भाजपा सरकार अल्पमत में है और नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को विधानसभा में बहुमत साबित करना चाहिए या फिर मुख्यमंत्री पद से तुरंत अपना इस्तीफा देना चाहिए. दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जेजेपी इस मामले में राज्यपाल को पत्र लिखेगी. जेजेपी प्रदेश सरकार को गिराने के पक्ष में है और इसके लिए समूचे विपक्ष का साथ देने को तैयार है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष सरकार गिराने के लिए कदम उठाए.

हुड्डा ने दुष्यंत से मांगा लिखित लेटर : इधर दुष्यंत चौटाला का बयान आया तो वहीं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी उनके बयानों पर तंज कसते हुए कहा कि दुष्यंत चौटाला लिखकर दें कि वे सरकार गिराना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि जेजेपी दरअसल हरियाणा में बीजेपी की बी टीम है. साथ ही उन्होंने बीजेपी सरकार से इस्तीफे की मांग करते हुए राज्य में तत्काल प्रभाव से राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर डाली.

सत्ता पक्ष भी हुआ विपक्ष पर हमलावर : जब इस मामले में विपक्ष हमलावर है तो फिर सरकार भला कैसे चुप रहती. इस मामले में सीएम नायब सिंह सैनी भी मीडिया के सामने आए और उन्होंने कहा कि सरकार को कोई खतरा नहीं है. सरकार पहले भी अल्पमत में नहीं थी और अब भी अल्पमत में नहीं है. वहीं मनोहर लाल खट्टर ने कह डाला कि चुनावी माहौल है, कौन किधर जाता है, किधर नहीं जाता, उससे असर नहीं पड़ता, कई विधायक हमारे संपर्क में हैं. इसलिए किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है

स्पीकर ने राज्यपाल के पाले में डाली गेंद : वहीं हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने पर कहा कि विधानसभा में जो पहले स्थिति विधायकों की थी, वही अभी भी है. मुझे मीडिया से ही जानकारी मिली है. अभी तक लिखित में कोई जानकारी नहीं आई है. विधानसभा स्पीकर ने विधायकों के कांग्रेस को समर्थन देने पर कहा ये तकनीकी चीजें है, जिस पर फैसला राज्यपाल करेंगे. स्पीकर ने कहा कि पहले अविश्वास प्रस्ताव के 6 महीने बाद ही दूसरा अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार अल्पमत में है, ये नहीं कहा जा सकता. सेशन बुलाने पर उन्होंने कहा कि राज्यपाल फैसला करेंगे, जो फैसला वो करेंगे वही मान्य होगा.

क्या कहते हैं इस मामले में राजनीतिक मामलों के जानकार? : क्या वर्तमान में जो हालात है, क्या उसको देखते हुए माना जा सकता है कि हरियाणा सरकार खतरे में है ?. इस मामले में राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि बिल्कुल हरियाणा सरकार अल्पमत में है. सरकार के पास 43 विधायक है तो ऐसे में जाहिर है कि सरकार अल्पमत में है. वे कहते हैं कि वर्तमान में 88 विधायक विधानसभा में है जिसमें से 43 सरकार के साथ और 45 विपक्ष में है, जिससे साफ है कि सरकार अल्पमत में है. अब इन हालातों में विपक्ष राज्यपाल से मिलकर मांग कर सकता है कि सरकार अल्पमत में है. वे विधानसभा की वर्तमान स्थिति के बारे में राज्यपाल को जानकारी दे सकते हैं और फ्लोर टेस्ट के लिए सत्र बुलाए जाने की मांग कर सकते हैं. ऐसे हालातों में राज्यपाल की भूमिका सबसे ज्यादा अहम हो जाती है. वहीं कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर राजभवन क्यों नहीं जा रही है ?. इस सवाल के जवाब में धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि कांग्रेस राज भवन तब जाएगी जब विपक्ष की कुल संख्या 45 हो जाएगी यानी सत्ता पक्ष के 43 के आंकड़े से ज्यादा होगी. इसके लिए जब कांग्रेस की जननायक जनता पार्टी और इनेलो के विधायक के साथ सहमति बन जाएगी और कोई लिखित डॉक्यूमेंट तैयार होगा तब वो राजभवन के लिए कूच करेगी. यही वजह है कि नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा जेजेपी से लिखित में सब देने के लिए कह रहे हैं. बाकी राज्यपाल पर निर्भर करता है. राज्यपाल चाहे तो वे इसे पेंडिंग रख सकते हैं, क्योंकि कुछ ही महीनों में हरियाणा में विधानसभा के चुनाव भी होने वाले हैं.

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Last Updated :May 8, 2024, 10:46 PM IST
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