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पहले चरण में 4 सीटों पर दांव पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा, फर्स्ट टाइमर और जातीय समीकरण पर पार्टियों को भरोसा - Lok Sabha Election 2024

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 1, 2024, 8:10 PM IST

Lok Sabha Election 2024 : बिहार में पहले चरण का चुनाव होना है. नक्सल प्रभावित इलाकों में पहले चरण के चुनाव को लेकर मुकम्मल तैयारी की गई है. राजनीतिक दलों ने भी मजबूत उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. पहले चरण की चारों सीट एनडीए की सीटिंग सीट है जिसमें महागठबंधन सेंधमारी की तैयारी में है.

72 में से 33 उम्मीदवारों का नामांकन रद्द
72 में से 33 उम्मीदवारों का नामांकन रद्द
पहले चरण का घमासान

पटना : लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का चुनाव होना है. बिहार में चारों लोकसभा सीट नक्सल प्रभावित इलाकों से आती हैं. यहां गया, औरंगाबाद, नवादा और जमुई में फर्स्ट फेज में चुनाव होंगे. राजनीतिक दलों ने भी पहले चरण के चुनाव के लिए मुकम्मल तैयारी की है. कई बड़े नेताओं की साख दांव पर है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, पूर्व कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत, सांसद सुशील कुमार और राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है.

72 में से 33 उम्मीदवारों का नामांकन रद्द : आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को होनी है. 27 मार्च को नामांकन के अंतिम तिथि थी. कुल मिलाकर चारों लोकसभा सीट के लिए 72 उम्मीदवारों ने नामांकन का पर्चा दाखिल किया था. स्क्रुटनी के दौरान कुल 33 उम्मीदवारों के नामांकन के परिचय को रद्द कर दिया गया.

लोकसभा वार प्रत्याशियों की संख्या : गया सुरक्षित लोकसभा सीट पर कुल 22 नामांकन हुए थे. जिसमें 7 नामांकन को तकनीकी कारणों से रद्द कर दिया गया. नवादा लोकसभा सीट पर 17 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था. जबकि 9 उम्मीदवारों का नामांकन रद्द कर दिया गया. औरंगाबाद लोकसभा सीट पर 21 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था जबकि 12 उम्मीदवारों के नामांकन रद्द कर दिए गए. जमुई लोकसभा सीट पर 12 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था, जबकि पांच उम्मीदवारों का नामांकन रद्द कर दिया गया.

ईटीवी भारत GFX.
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गया में मांझी फैक्टर : गया लोकसभा सीट पर सब की निगाहें टिकी हैं. हम पार्टी के संरक्षण और पूर्व मुख्यमंत्री गया आरक्षित लोकसभा सीट से उम्मीदवार हैं. जीतन राम मांझी 2019 के लोकसभा चुनाव में भी लड़े थे, लेकिन उन्हें जदयू उम्मीदवार विजय मांझी से शिकस्त मिली थी. गया लोकसभा सीट मांझी वोटों की बहुलता के लिए जाना जाता है. राजनीतिक दल भी मांझी उम्मीदवार पर भरोसा करते हैं.

गया सीट की जीत-हार का समीकरण : जीतन राम मांझी का दावा इसलिए भी मजबूत है कि वह वहां के स्थानीय कैंडिडेट हैं और इस बार उन्हें एनडीए का टिकट मिला है. जीतन राम मांझी पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनके बेटे संतोष सुमन बिहार सरकार में मंत्री हैं. दोनों नेताओं के प्रभाव का फायदा एनडीए को मिल सकता है. पिछले लोकसभा चुनाव में जीतन राम मांझी को 314000 वोट हासिल हुए थे और वह लगभग डेढ़ लाख वोटों से चुनाव हारे थे. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जीत को लाल लेकर सकारात्मक है जीतन राम मांझी को एनडीए की टिकट पर उम्मीद है और मुसहर जाति के वोट बैंक में बिखराव ना होना उनके जीत के दावों को पुख्ता करता है.

मांझी Vs सर्वजीत : राष्ट्रीय जनता दल ने कुमार सर्वजीत पर दाव लगाया है. कुमार सर्वजीत पार्टी के विधायक हैं और कृषि मंत्री रह चुके हैं. गया लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधायक हैं, जिसमें तीन महागठबंधन के हैं. कुमार सर्वजीत लगातार दो बार बोधगया सीट पर विधायक रह चुके हैं. कुमार सर्वजीत के पिता राजेश कुमार भी सांसद रह चुके हैं. उनकी राजनीतिक विरासत को वह आगे बढ़ा रहे हैं. पासवान जाति से आने के चलते राजद को पासवान वोटों की उम्मीद भी है.

ईटीवी भारत GFX.
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गया का जातीय समीकरण : मुस्लिम यादव और पासवान जाति के वोट की बदौलत राष्ट्रीय जनता दल गया सीट को जीतना चाहती है. साथ ही कुशवाहा वोटों से भी राष्ट्रीय जनता दल को उम्मीद है. गया जिले के नेता अभय कुशवाहा को औरंगाबाद में पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है.

औरंगाबाद का समीकरण : औरंगाबाद लोकसभा सीट पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं. दो बार से लोकसभा चुनाव जीत रहे भाजपा सांसद सुशील कुमार तीसरी बार मैदान में है औरंगाबाद को बिहार का चितौड़गढ़ कहा जाता है और राजपूत जाति के वोटर ही निर्णायक होते हैं औरंगाबाद लोकसभा सीट पर 1952 से राजपूत उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आ रहे हैं. औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में ढाई लाख से अधिक राजपूत वोटर हैं.

एनडीए से सीट छीनने की जुगत में लालू : लालू प्रसाद यादव ने औरंगाबाद लोकसभा सीट पर इस बार प्रयोग किया है और कुशवाहा उम्मीदवार मैदान में उतारा है. जदयू के पूर्व विधायक अभय कुशवाहा को लालू प्रसाद ने गया लोकसभा सीट पर उम्मीदवार बनाया है. लालू प्रसाद यादव की नजर 190000 यादव 125000 मुस्लिम और 125000 कुशवाहा जाति के वोटों पर है. साथ ही दो लाख महादलित की आबादी भी गया लोकसभा क्षेत्र में है.

नवादा का समीकरण : नवादा लोकसभा सीट पर एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ने प्रयोग किया है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से पिछले तीन चुनाव से हर बार नवादा लोकसभा सीट पर नए उम्मीदवार दिए जा रहे हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गिरिराज सिंह को मैदान में उतारा था, तो 2019 के चुनाव में सूरजभान सिंह के भाई चंदन सिंह लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. इस बार भाजपा ने राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर को मैदान में उतारा है.

इस बार नवादा किसका? : नवादा लोकसभा सीट भूमिहार डोमिनेंट माना जाता है. पिछले तीन चुनाव से भूमिहार जाति के उम्मीदवार ही चुनाव जीत रहे हैं. नवादा लोकसभा सीट पर 2019 में लोक जनशक्ति पार्टी उम्मीदवार चंदन कुशवाहा को 495000 वोट मिले थे. चंदन सिंह को लगभग डेढ़ लाख वोटों से जीत हासिल हुई थी. 2009 के लोकसभा चुनाव में गिरिराज सिंह को 390000 वोट हासिल हुए थे और उन्होंने राजबल्लभ प्रसाद को 140000 वोटों से हराया था. गिरिराज सिंह को 52% वोट मिले थे.

विवेक ठाकुर Vs श्रवण कुशवाहा : इस बार लोग जनशक्ति पार्टी ने नवादा सीट भाजपा के लिए छोड़ दिया और भाजपा ने राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर को मैदान में उतारा है. विवेक ठाकुर सीपी ठाकुर के पुत्र हैं और यह भी भूमिहार जाति से आते हैं. नवादा यादव जाति की बहुलता वाला भी लोकसभा सीट माना जाता है. नवादा जिले के तीन लोकसभा सीट पर महागठबंधन का कब्जा है. राष्ट्रीय जनता दल ने नवादा लोकसभा सीट पर कुशवाहा वोट बैंक पर सेंधमारी की कोशिश की है. सरवन कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है. सरवन कुशवाहा मुखिया का चुनाव हार गए थे, लेकिन लालू प्रसाद यादव ने उन्हें लोकसभा का टिकट दे दिया.

नवादा का जातीय समीकरण : नवादा जिले के जातिगत समीकरण को समझना भी जरूरी है. नवादा जिले में चार से 4 लाख से अधिक भूमिहार जाति की आबादी है. तो 3.50 लाख के आसपास यादव आबादी है. एक लाख से अधिक आबादी मुसलमानों की है. भारतीय जनता पार्टी के लिए सवा लाख रजवार जाति की आबादी संजीवनी का काम करती है. वहीं भाजपा के लिए जीत का कारण भी बनती है.

जमुई में किसके जीत की गारंटी? : जमुई लोकसभा सीट को इस बार एनडीए के स्टार प्रचारक चिराग पासवान ने छोड़ दिया है. जमुई सीट पर चिराग पासवान ने अपने बहनोई अरुण भारती को मैदान में उतारा है. अरुण भारती पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और एनडीए ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है. राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर ने जीत का भरोसा जताया है. विवेक ठाकुर ने कहा है कि नरेंद्र मोदी के विकास कार्य और गारंटी के बदौलत नवादा लोकसभा सीट पर हमारी जीत होगी.

अरुण भारती Vs अर्चना रविदास : राष्ट्रीय जनता दल की ओर से दलित समुदाय से आने वाली कुमारी अर्चना रविदास को उम्मीदवार बनाया है. लालू प्रसाद यादव को मुस्लिम यादव और रविदास वोट बैंक पर उम्मीद है. आपको बता दें कि जमुई नक्सल प्रभावित जिला माना जाता है और आरक्षित क्षेत्र भी है. पिछली दो बार से चिराग पासवान सांसद थे.

जमुई का जातीय समीकरण : जमुई लोकसभा क्षेत्र में तीन लाख से ज्यादा यादव वोटर हैं. ढाई लाख से अधिक मुस्लिम वोटर हैं तो दलित महादलित की आबादी भी ढाई लाख के आसपास है सवर्ण वोटरों की संख्या तकरीबन 2.5 लाख से ज्यादा है. अगड़ी जाति की आबादी में राजपूत सबसे अधिक हैं, जिनकी आबादी 2 लाख से अधिक बताई जाती है.

आरजेडी को जीत का भरोसा : राष्ट्रीय जनता दल ने इस बार पहले चरण में चारों सीटों पर वैसे उम्मीदवार को खड़ा किया है जो पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. अर्थात फर्स्ट टाइमर पर राष्ट्रीय जनता दल ने भरोसा जताया है. पार्टी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि 17 महीने के दौरान जो हमारी सरकार ने काम किया उन उपलब्धियां को लेकर हमारे प्रत्याशी जनता के बीच जा रहे हैं. हमारे विकास कार्यों के बदौलत हमारे उम्मीदवार की जीत होगी.

बीजेपी ने किया जीत का दावा : भाजपा प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने कहा है कि ''पहले चरण के चारों सीट हमारे कब्जे में है. नरेंद्र मोदी का मैजिक बरकरार है. हम चारों सीट पर चुनाव जीतेंगे बिहार के सभी 40 सीट पर हमारी जीत तय है.''

क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार? : वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि ''इस बार पहले चरण में लड़ाई बेहद दिलचस्प होने वाली है. पिछले लोकसभा के मुकाबले इस बार समीकरण भी बदले हैं. मांझी जहां भाजपा के साथ आ गए हैं. वहीं वामदल महागठबंधन में है. लालू प्रसाद यादव ने नए उम्मीदवार पर दाव लगाया है. तो भाजपा को मोदी के मैजिक पर भरोसा है.''

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पहले चरण का घमासान

पटना : लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का चुनाव होना है. बिहार में चारों लोकसभा सीट नक्सल प्रभावित इलाकों से आती हैं. यहां गया, औरंगाबाद, नवादा और जमुई में फर्स्ट फेज में चुनाव होंगे. राजनीतिक दलों ने भी पहले चरण के चुनाव के लिए मुकम्मल तैयारी की है. कई बड़े नेताओं की साख दांव पर है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, पूर्व कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत, सांसद सुशील कुमार और राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है.

72 में से 33 उम्मीदवारों का नामांकन रद्द : आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को होनी है. 27 मार्च को नामांकन के अंतिम तिथि थी. कुल मिलाकर चारों लोकसभा सीट के लिए 72 उम्मीदवारों ने नामांकन का पर्चा दाखिल किया था. स्क्रुटनी के दौरान कुल 33 उम्मीदवारों के नामांकन के परिचय को रद्द कर दिया गया.

लोकसभा वार प्रत्याशियों की संख्या : गया सुरक्षित लोकसभा सीट पर कुल 22 नामांकन हुए थे. जिसमें 7 नामांकन को तकनीकी कारणों से रद्द कर दिया गया. नवादा लोकसभा सीट पर 17 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था. जबकि 9 उम्मीदवारों का नामांकन रद्द कर दिया गया. औरंगाबाद लोकसभा सीट पर 21 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था जबकि 12 उम्मीदवारों के नामांकन रद्द कर दिए गए. जमुई लोकसभा सीट पर 12 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था, जबकि पांच उम्मीदवारों का नामांकन रद्द कर दिया गया.

ईटीवी भारत GFX.
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गया में मांझी फैक्टर : गया लोकसभा सीट पर सब की निगाहें टिकी हैं. हम पार्टी के संरक्षण और पूर्व मुख्यमंत्री गया आरक्षित लोकसभा सीट से उम्मीदवार हैं. जीतन राम मांझी 2019 के लोकसभा चुनाव में भी लड़े थे, लेकिन उन्हें जदयू उम्मीदवार विजय मांझी से शिकस्त मिली थी. गया लोकसभा सीट मांझी वोटों की बहुलता के लिए जाना जाता है. राजनीतिक दल भी मांझी उम्मीदवार पर भरोसा करते हैं.

गया सीट की जीत-हार का समीकरण : जीतन राम मांझी का दावा इसलिए भी मजबूत है कि वह वहां के स्थानीय कैंडिडेट हैं और इस बार उन्हें एनडीए का टिकट मिला है. जीतन राम मांझी पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनके बेटे संतोष सुमन बिहार सरकार में मंत्री हैं. दोनों नेताओं के प्रभाव का फायदा एनडीए को मिल सकता है. पिछले लोकसभा चुनाव में जीतन राम मांझी को 314000 वोट हासिल हुए थे और वह लगभग डेढ़ लाख वोटों से चुनाव हारे थे. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जीत को लाल लेकर सकारात्मक है जीतन राम मांझी को एनडीए की टिकट पर उम्मीद है और मुसहर जाति के वोट बैंक में बिखराव ना होना उनके जीत के दावों को पुख्ता करता है.

मांझी Vs सर्वजीत : राष्ट्रीय जनता दल ने कुमार सर्वजीत पर दाव लगाया है. कुमार सर्वजीत पार्टी के विधायक हैं और कृषि मंत्री रह चुके हैं. गया लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधायक हैं, जिसमें तीन महागठबंधन के हैं. कुमार सर्वजीत लगातार दो बार बोधगया सीट पर विधायक रह चुके हैं. कुमार सर्वजीत के पिता राजेश कुमार भी सांसद रह चुके हैं. उनकी राजनीतिक विरासत को वह आगे बढ़ा रहे हैं. पासवान जाति से आने के चलते राजद को पासवान वोटों की उम्मीद भी है.

ईटीवी भारत GFX.
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गया का जातीय समीकरण : मुस्लिम यादव और पासवान जाति के वोट की बदौलत राष्ट्रीय जनता दल गया सीट को जीतना चाहती है. साथ ही कुशवाहा वोटों से भी राष्ट्रीय जनता दल को उम्मीद है. गया जिले के नेता अभय कुशवाहा को औरंगाबाद में पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है.

औरंगाबाद का समीकरण : औरंगाबाद लोकसभा सीट पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं. दो बार से लोकसभा चुनाव जीत रहे भाजपा सांसद सुशील कुमार तीसरी बार मैदान में है औरंगाबाद को बिहार का चितौड़गढ़ कहा जाता है और राजपूत जाति के वोटर ही निर्णायक होते हैं औरंगाबाद लोकसभा सीट पर 1952 से राजपूत उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आ रहे हैं. औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में ढाई लाख से अधिक राजपूत वोटर हैं.

एनडीए से सीट छीनने की जुगत में लालू : लालू प्रसाद यादव ने औरंगाबाद लोकसभा सीट पर इस बार प्रयोग किया है और कुशवाहा उम्मीदवार मैदान में उतारा है. जदयू के पूर्व विधायक अभय कुशवाहा को लालू प्रसाद ने गया लोकसभा सीट पर उम्मीदवार बनाया है. लालू प्रसाद यादव की नजर 190000 यादव 125000 मुस्लिम और 125000 कुशवाहा जाति के वोटों पर है. साथ ही दो लाख महादलित की आबादी भी गया लोकसभा क्षेत्र में है.

नवादा का समीकरण : नवादा लोकसभा सीट पर एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ने प्रयोग किया है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से पिछले तीन चुनाव से हर बार नवादा लोकसभा सीट पर नए उम्मीदवार दिए जा रहे हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गिरिराज सिंह को मैदान में उतारा था, तो 2019 के चुनाव में सूरजभान सिंह के भाई चंदन सिंह लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. इस बार भाजपा ने राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर को मैदान में उतारा है.

इस बार नवादा किसका? : नवादा लोकसभा सीट भूमिहार डोमिनेंट माना जाता है. पिछले तीन चुनाव से भूमिहार जाति के उम्मीदवार ही चुनाव जीत रहे हैं. नवादा लोकसभा सीट पर 2019 में लोक जनशक्ति पार्टी उम्मीदवार चंदन कुशवाहा को 495000 वोट मिले थे. चंदन सिंह को लगभग डेढ़ लाख वोटों से जीत हासिल हुई थी. 2009 के लोकसभा चुनाव में गिरिराज सिंह को 390000 वोट हासिल हुए थे और उन्होंने राजबल्लभ प्रसाद को 140000 वोटों से हराया था. गिरिराज सिंह को 52% वोट मिले थे.

विवेक ठाकुर Vs श्रवण कुशवाहा : इस बार लोग जनशक्ति पार्टी ने नवादा सीट भाजपा के लिए छोड़ दिया और भाजपा ने राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर को मैदान में उतारा है. विवेक ठाकुर सीपी ठाकुर के पुत्र हैं और यह भी भूमिहार जाति से आते हैं. नवादा यादव जाति की बहुलता वाला भी लोकसभा सीट माना जाता है. नवादा जिले के तीन लोकसभा सीट पर महागठबंधन का कब्जा है. राष्ट्रीय जनता दल ने नवादा लोकसभा सीट पर कुशवाहा वोट बैंक पर सेंधमारी की कोशिश की है. सरवन कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है. सरवन कुशवाहा मुखिया का चुनाव हार गए थे, लेकिन लालू प्रसाद यादव ने उन्हें लोकसभा का टिकट दे दिया.

नवादा का जातीय समीकरण : नवादा जिले के जातिगत समीकरण को समझना भी जरूरी है. नवादा जिले में चार से 4 लाख से अधिक भूमिहार जाति की आबादी है. तो 3.50 लाख के आसपास यादव आबादी है. एक लाख से अधिक आबादी मुसलमानों की है. भारतीय जनता पार्टी के लिए सवा लाख रजवार जाति की आबादी संजीवनी का काम करती है. वहीं भाजपा के लिए जीत का कारण भी बनती है.

जमुई में किसके जीत की गारंटी? : जमुई लोकसभा सीट को इस बार एनडीए के स्टार प्रचारक चिराग पासवान ने छोड़ दिया है. जमुई सीट पर चिराग पासवान ने अपने बहनोई अरुण भारती को मैदान में उतारा है. अरुण भारती पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और एनडीए ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है. राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर ने जीत का भरोसा जताया है. विवेक ठाकुर ने कहा है कि नरेंद्र मोदी के विकास कार्य और गारंटी के बदौलत नवादा लोकसभा सीट पर हमारी जीत होगी.

अरुण भारती Vs अर्चना रविदास : राष्ट्रीय जनता दल की ओर से दलित समुदाय से आने वाली कुमारी अर्चना रविदास को उम्मीदवार बनाया है. लालू प्रसाद यादव को मुस्लिम यादव और रविदास वोट बैंक पर उम्मीद है. आपको बता दें कि जमुई नक्सल प्रभावित जिला माना जाता है और आरक्षित क्षेत्र भी है. पिछली दो बार से चिराग पासवान सांसद थे.

जमुई का जातीय समीकरण : जमुई लोकसभा क्षेत्र में तीन लाख से ज्यादा यादव वोटर हैं. ढाई लाख से अधिक मुस्लिम वोटर हैं तो दलित महादलित की आबादी भी ढाई लाख के आसपास है सवर्ण वोटरों की संख्या तकरीबन 2.5 लाख से ज्यादा है. अगड़ी जाति की आबादी में राजपूत सबसे अधिक हैं, जिनकी आबादी 2 लाख से अधिक बताई जाती है.

आरजेडी को जीत का भरोसा : राष्ट्रीय जनता दल ने इस बार पहले चरण में चारों सीटों पर वैसे उम्मीदवार को खड़ा किया है जो पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. अर्थात फर्स्ट टाइमर पर राष्ट्रीय जनता दल ने भरोसा जताया है. पार्टी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि 17 महीने के दौरान जो हमारी सरकार ने काम किया उन उपलब्धियां को लेकर हमारे प्रत्याशी जनता के बीच जा रहे हैं. हमारे विकास कार्यों के बदौलत हमारे उम्मीदवार की जीत होगी.

बीजेपी ने किया जीत का दावा : भाजपा प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने कहा है कि ''पहले चरण के चारों सीट हमारे कब्जे में है. नरेंद्र मोदी का मैजिक बरकरार है. हम चारों सीट पर चुनाव जीतेंगे बिहार के सभी 40 सीट पर हमारी जीत तय है.''

क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार? : वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि ''इस बार पहले चरण में लड़ाई बेहद दिलचस्प होने वाली है. पिछले लोकसभा के मुकाबले इस बार समीकरण भी बदले हैं. मांझी जहां भाजपा के साथ आ गए हैं. वहीं वामदल महागठबंधन में है. लालू प्रसाद यादव ने नए उम्मीदवार पर दाव लगाया है. तो भाजपा को मोदी के मैजिक पर भरोसा है.''

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