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मोबाइल लेकर सोने से लड़कियों को हो सकती है ब्रेस्ट कैंसर और ब्रेन ट्यूमर जैसी घातक बीमारियां : डॉ. परीक्षित

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 3, 2024, 10:18 PM IST

Jaipur Literature Festival 2024
Jaipur Literature Festival 2024

Jaipur Literature Festival 2024, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शनिवार को आयोजित एक विशेष सेशन को संबोधित करते हुए डॉ. परीक्षित ने मोबाइल से होने वाली बीमारियों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि मोबाइल को साथ लेकर सोने से लड़कियों को ब्रेस्ट कैंसर और ब्रेन ट्यूमर जैसी घातक बीमारियां हो सकती है.

सेशन को संबोधित करते डॉ. परीक्षित

जयपुर. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शनिवार को हुए सेशन 'क्लीन अर्थ ग्रीन अर्थ : हाइजीन, हेल्थ एंड द प्लेनेट में डॉ परीक्षित सिंह ने मोबाइल को बीमारी का कारण बताया. उन्होंने कहा कि मोबाइल को साथ लेकर सोने से लड़कियों को ब्रेस्ट कैंसर और ब्रेन ट्यूमर जैसी घातक बीमारियां हो सकती है.

मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से हो रही हैं ये बीमारियां : जेएलएफ के मुगल टेंट में हुए इस सेशन में डॉ. परीक्षित ने कहा कि 5G के बाद अब 6G की तैयारी चल रही है. लोग पूरे दिन मोबाइल यूज करने के बाद रात को भी इसे अपने पास रखकर सोते हैं, जो घातक है. कुछ लोग मोबाइल को चेस्ट पर तो कुछ लड़कियां इनर वियर में रखकर सो जाती हैं, जबकि कुछ बच्चे लैपटॉप पैरों पर रखकर काम करते हैं. इससे काफी ज्यादा रेडिएशन निकलता है. इसे लेकर बहुत से रिसर्च के बाद ये सामने आया कि इस कारण से बहुत से युवा लड़कियों में ब्रेस्ट कैंसर, ब्रेन ट्यूमर जैसी घातक बीमारियां हो रही है.

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ऐसा करने से लड़कियों को होती ये समस्या : मोबाइल को चेस्ट पर लेकर सोने का कोई खास कारण नहीं होता है. ये पूरी तरह गलत है. ये उसी तरह है जैसे कोई अपना सिर माइक्रोवेव में रख कर सो रहा हो. ऐसे में इसे लेकर अपने बच्चों को जागरूक करने की जरूरत है. इसी तरह प्लास्टिक का ज्यादा इस्तेमाल भी ठीक नहीं है. इससे लड़कियों को जल्दी पीरियड की समस्या हो सकती है.

Jaipur Literature Festival 2024
तमिल लेखक चारु निवेदिता

औरंगजेब ने शिवाजी को नहीं मारा : एक अन्य सत्र में 'कन्वर्सेशन विथ एन एंपरर' पर बात करते हुए लेखक चारु निवेदिता और नंदिनी कृष्णन ने औरंगजेब पर लिखी किताब पर अपना व्यू रखा, जिसमें चारु निवेदिता ने बताया कि जब उनका ब्रेकअप हुआ तो वो टूट से गए थे. उन्होंने औरंगजेब की ओर से 84 से 89 वर्ष आयु में उनके बच्चों को लिखें पत्रों को पढ़ा, जिसमें औरंगजेब का एक अलग चेहरा सामने आया. औरंगजेब ने शिवाजी को नहीं मारा. उनके दूसरे साथियों को जरूर मारा था, लेकिन वो शिवाजी की रेस्पेक्ट करता था.

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जब 100 करोड़ लोग राम की पूजा करते हैं तो डर लगता है : उन्होंने कहा कि पोस्ट मॉडर्नाइज्म पावर और अथॉरिटी पर सवाल उठाता हैं, लेकिन जब हम राम मंदिर के बारे में सोचते हैं तो उनकी पूजा करने वालों को देखकर डर लगता है. राम की पूजा करना ये किसी के लिए भी व्यक्तिगत हो सकता है, लेकिन जब 90 करोड़ व 100 करोड़ लोग राम की आरती करते हुए पूजा करते हैं तो ऐसी स्थिति में उन्हें डर लगता है. इसी तरह औरंगजेब की स्टोरी में वो अपने पत्रों में रोता है, इसलिए उन्होंने औरंगजेब पर लिखने का प्लान किया.

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