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कृषि वैज्ञानिक एमएस स्‍वामीनाथन को भारत रत्न मिलने पर दिल्‍ली के जौंती गांव में खुशी का माहौल, जानें क्या है वजह

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 10, 2024, 7:16 PM IST

Updated : Feb 10, 2024, 7:39 PM IST

भारत रत्न कृषि वैज्ञानिक एमएस स्‍वामीनाथन
भारत रत्न कृषि वैज्ञानिक एमएस स्‍वामीनाथन

Agricultural scientist MS Swaminathan: कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार देने के फैसले का सभी वर्गों ने स्वागत किया. दिल्ली के जौंती गांव के लोगों के मुताबिक, साठ के दशक में एमएस स्वामीनाथन ने गांव वालों से कहा था कि उनका सपना है कि आप खेती से इतने संपन्न हों कि गांव के हर घर के बाहर कार खड़ी हो.

दिल्‍ली के जौंती गांव में खुशी का माहौल

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 9 फरवरी 2024 को तीन बड़ी शख्सियतों को भारत रत्न देने का ऐलान किया. इन तीन नामों में एक नाम एमएस स्वामीनाथन का भी है. वह महान कृषि वैज्ञानिक थे. इस सम्मान से सम्मानित किए जाने के बाद हर कोई एमएस स्वामीनाथन के द्वारा किए गए कार्यों की सराहना कर रहा है. विशेष तौर पर दिल्ली देहात से जुड़े लोग कृषि क्षेत्र में उनके योगदान को भूला नहीं पाए हैं. इस महान वैज्ञानिक के निधन के बाद दिल्ली का एक गांव उन्‍हें आज भी शिद्दत से याद करता है.

दरअसल, दिल्ली का जौंती गांव जहां साठ के दशक में डॉ. स्वामीनाथन ने प्रवेश किया था, उसके बाद से वहां पर कृषि क्षेत्र में ना केवल नई पैदावार देखने को मिला, बल्कि पैदावार में बढ़ोतरी भी देखने को मिली थी. लोगों के मुताबिक, उन्होंने गांव वालों से कहा था कि उनका सपना है कि आप खेती से इतने संपन्न हों कि गांव के हर घर के बाहर कार खड़ी हो.

दिल्ली के इस गांव से डॉ. एमएस स्वामीनाथन और इंदिरा गांधी का भी रिश्‍ता रहा है. ऐसा माना जाता है कि करीब दस हजार की आबादी वाला यह गांव हरित क्रांति की शुरुआत करने वाला पहला गांव है. स्थानीय लोगों के मुताबिक, उन्होंने यहां पर 1967 में एक बीज शोधालय की शुरुआत में एक बड़ी भूमिका निभाई थी, जहां से लाखों किसानों को हरित क्रांति के दौरान गेंहू के बीज दिए गए. इस बीज शोधनालय का उद्घाटन इंदिरा गांधी ने किया था. हालांकि उस स्थान पर इस समय स्वास्थ्य सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए एक डिस्पेंसरी संचालित की जा रही है.

गांववासियों का कहना है कि डॉ. स्वामीनाथन ने 1964 में बीज दिए और उन्होंने अपने खेत में गेहूं की बंपर पैदावार करके किसानों के बीच भरोसा पैदा किया था. जौंती गांव के किसान के मुताबिक, जब भी स्वामीनाथन जी आते थे तो वह घर के सदस्य की तरह थे. यही वजह है कि आज भी इस गांव में बढ़चढ़ कर लोग खेती करते हैं. बता दें कि पिछले डॉ. एमएस स्वामीनाथन का 98 साल की उम्र में निधन हो गया था.

Last Updated :Feb 10, 2024, 7:39 PM IST
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