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हनीट्रैप कर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, बिहार, झारखंड और बंगाल तक फैला रखा था जाल

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 31, 2024, 10:13 AM IST

Updated : Jan 31, 2024, 3:09 PM IST

Bhagalpur Honey Trap : हनीट्रैप के जरिए ठगी करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को बिहार की नवगछिया पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जो झारखंड के गिरीडिह के रहने वाले हैं. इनकी निशानदेही पर गिरिडीह से चार अन्य लोगों को भी पकड़ा गया. गिरिडीह पुलिस मामले की जांच में जुटी है.

भागलपुर में ठग गिरफ्तार
भागलपुर में ठग गिरफ्तार

भागलपुरः बिहार के भागलपुर के नवगछिया में हनीट्रैप कर ठगी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश हुआ है. नवगछिया बाजार में हनीट्रैप कर साइबर ठगी सिखाने वाले दो ट्रेनर को पुलिस ने एक निजी होटल से गिरफ्तार किया है. इनमें झारखंड के गिरिडीह स्थित पंचाटार अहिल्यापुर के अजय कुमार मंडल और बांका के चांदन थाना गोपडीह के रामशरण मंडल शामिल हैं.

गिरिडीह साइबर थाना के हवाले ठगः बताया जाता है कि दोनों नवगछिया बाजार के निजी होटल में बोरिंग करवाने के नाम पर रूम लेकर रह रहे थे. दोनों आरोपियों को गिरिडीह साइबर थाना के डीएसपी को सौंप दिया गया. साइबर थाना गिरिडीह के पुलिस अवर निरीक्षक सावन कुमार साहु के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गयी. उसके बाद इसी गिरोह के चार सदस्यों को गिरिडीह के बगोदर थाना स्थित नावाडीह में छापेमारी कर गिरफ्तार किया गया.

"गिरफ्तार आरोपियों में कोडरमा थाना क्षेत्र के बोकोबार के अजीत कुमार दास, अनुज पंडित, हजारीबाग जिला के चलकोशा के शिवा साव और बरकट्ठा के सूरज कुमार साव शामिल है. आरोपियों के पास से 21 मोबाइल फोन, 65 सिम कार्ड, नौ एटीएम कार्ड, पांच पासबुक, एक लैपटॉप, एक बाइक, दो आधार कार्ड और दो पैन कार्ड बरामद हुए हैं"- दीपक कुमार शर्मा, एसपी, गिरिडीह

एस्कॉर्ट सर्विस के नाम पर देते थे झांसाः पूछताछ में बदमाशों ने बताया कि वो लोग एस्कॉर्ट सर्विस के नाम पर लोगों को झांसे में लेकर ठगी करते थे. इसके अलावा एस्कॉर्ट पैशन क्लब के जरिये भी लोगों को सर्विस उपलब्ध कराने का झांसा देते थे और लड़कियों से न्यूड वीडियो कॉलिंग करा कर उसकी रिकॉर्डिंग करते थे. फिर इस वीडियो को उन लड़कियों के मोबाइल पर भेजकर ब्लैकमेलिंग कर पैसे ठगते थे.

गूगल सर्च ऑटोमाइजेशन के हर माह देते थे 4 लाखः वहीं नवगछिया से गिरफ्तार अजय और रामशरण कोलकाता से पांच हजार रुपये में सिम और आम लोगों की डिटेल खरीदता था. इन लोगों ने सिम कार्ड बांका से खरीदे थे. दोनों साइबर ट्रेनरों के साथ सीम सप्लायर भी थे. वहीं गूगल सर्च ऑटोमाइजेशन के लिए सरवर मेंटेनेंस कंपनी को हर महीने चार लाख रुपये पेमेंट करते थे, ताकि किसी व्यक्ति के गूगल सर्च करने पर सबसे पहले उनका नंबर दिखे. साथ ही एक वेबसाइट मेंटेन करते थे, जिसके माध्यम से झांसा देकर ठगी की जाती थी.

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Last Updated : Jan 31, 2024, 3:09 PM IST
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