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कांग्रेस पर राजनीतिक परिवारवाद का आरोप, झारखंड में 7 में से 5 सीटों के उम्मीदवार पर बीजेपी ने उठाए सवाल - Nepotism in Congress

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 24, 2024, 9:16 PM IST

NEPOTISM IN CONGRESS
NEPOTISM IN CONGRESS

NEPOTISM IN TICKET DISTRIBUTION. लोकसभा चुनाव 2024 में झारखंड कांग्रेस राज्य के 14 में से 07 लोकसभा सीट पर INDIA ब्लॉक के तहत चुनाव लड़ रही है. बाकी के 07 सीटों में से 05 सीट पर झामुमो, 01 सीट पर राजद और 01 सीट माले चुनाव लड़ रहा है. खास बात ये है कि कांग्रेस पर लगातार आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने सिर्फ अपने सगे संबंधियों या फिर दूसरी पार्टी से आए लोगों को टिकट दिए हैं.

बीजेपी और कांग्रेस के प्रवक्ता का बयान

रांची: कांग्रेस ने जिस 7 लोकसभा सीट पर उम्मीदवार उतारें हैं, उसमें से 5 लोकसभा उम्मीदवार ऐसे हैं जो या तो किसी बड़े नामचीन कांग्रेसी नेता के सगे सम्बन्धी हैं या फिर दूसरे दलों में रहने के बाद कांग्रेसी बनें हैं. ऐसे में अब भाजपा सवाल उठा रही है कि कांग्रेस में ग्रासरूट पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं की कोई पूछ नहीं है तो कांग्रेस के नेता पहले अपने घर देखने की सलाह भाजपा नेताओं को दे रहे हैं.

एक नजर डालें, कांग्रेस के उन पांच लोकसभा उम्मीदवारों के नाम पर जिनका या दो दूसरे दलों से नाता रहा है या फिर किसी बड़े नेता से उनका संबंध रहा है.

रांची लोकसभा सीट: रांची लोकसभा सीट से कांग्रेस आलाकमान ने अनुभवी नेताओं को दरकिनार करते हुए यशस्विनी सहाय की राजनीति में इंट्री हुई है. पेशे से अधिवक्ता यशस्विनी सहाय की पहचान यह है कि वह पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की बेटी हैं.

धनबाद लोकसभा सीट: धनबाद लोकसभा सीट पर इस बार अनुपमा सिंह को उम्मीदवार बनाया है. पार्टी में उनकी पहचान यह है कि वह दिग्गज कांग्रेसी नेता और राज्य के पूर्व मंत्री राजेन्द्र प्रसाद सिंह की बहू और कांग्रेसी विधायक अनूप सिंह की पत्नी हैं. धनबाद लोकसभा सीट से टिकट पाने से पहले वह अपने घर परिवार से ही जुड़ी रही हैं. यहां यह बताना भी जरूरी है कि धनबाद से ददई दुबे, मन्नान मल्लिक सहित कई दिग्गज टिकट पाने की होड़ में शामिल थे, लेकिन पार्टी ने राजनीतिक घराने की बहू को टिकट देने का फैसला लिया.

गोड्डा लोकसभा सीट: कांग्रेस ने गोड्डा लोकसभा सीट से इस बार पहले दीपिका पांडेय सिंह को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन बाद में उनकी जगह प्रदीप यादव को उम्मीदवार बनाया है. प्रदीप यादव राज्य बनने के बाद भाजपा विधायक के रूप के शिक्षा मंत्री थे, बाद में बाबूलाल मरांडी की पार्टी में रहे. 2019 में जेवीएम उम्मीदवार के रूप में उन्होने गोड्डा से लोकसभा चुनाव भी लड़ा. बाबूलाल मरांडी ने जब अपनी पार्टी का विलय भाजपा में कर लिया तो प्रदीप यादव कांग्रेस में शामिल हो गए. संगठन में मजबूत पकड़ के बावजूद दीपिका पांडेय सिंह पर जेवीएम से आये प्रदीप यादव भारी पड़े.

हजारीबाग लोकसभा सीट: राज्य की प्रतिष्ठित हजारीबाग लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने इस बार जयप्रकाश भाई पटेल को उम्मीदवार बनाया है. जेपी पटेल की राजनीति झामुमो से शुरू हुई फिर भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत कर विधानसभा में भाजपा के सचेतक बनें. लोकसभा चुनाव की घोषणा के ठीक पहले जेपी पटेल कांग्रेस में शामिल हो गए और टिकट भी पा लिया. हजारीबाग से योगेंद्र साहू, अंबा प्रसाद सहित कई नाम टिकट पाने की रेस में थे.

लोहरदगा लोकसभा सीट: कांग्रेस आलाकमान ने इस बार भी लोहरदगा लोकसभा सीट से सुखदेव भगत को उम्मीदवार बनाया है. झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पद छोड़ कर राजनीति में आने वाले सुखदेव भगत ने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से भले ही की हो, लेकिन 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद वह भाजपा में शामिल हो गए थे. भाजपा में शामिल होते वक्त उन्होंने कांग्रेस पर भड़ास भी निकाली थी. 2022 में उन्होंने कांग्रेस में वापसी की और फिर 2024 में लोकसभा का टिकट भी पा लिया.

इस तरह देखें तो चतरा से उम्मीदवार बनाये गए केएन त्रिपाठी और खूंटी से उम्मीदवार बनाये गए कालीचरण मुंडा ही दो ऐसे नेता रहे हैं जो खांटी कांग्रेसी कहे जा सकते हैं, जिसने अपना समय भी पार्टी को दिया है.

वंशवाद की कांग्रेसी परंपरा को सबक सिखाएगी जनता-भाजपा

कांग्रेस के द्वारा दूसरे दलों से आए नेताओं को टिकट देने में प्राथमिकता और बड़े नेताओं की बहू बेटियों को टिकट देने को भाजपा नेता प्रदीप सिन्हा राजनीति में वंशवाद की पराकाष्ठा करार देते हैं. प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि यह राजनीति में नैतिक मूल्यों में आ रही गिरावट का परिचायक है. भाजपा नेता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि धनबाद और रांची में कांग्रेस ने जिन्हें लोकसभा प्रत्याशी बनाया है उनकी पहचान सिर्फ इतनी भर है कि वह बड़े कांग्रेसी नेता की बेटी और बहू हैं. इसी तरह हजारीबाग से उम्मीदवार जयप्रकाश भाई पटेल के बारे में प्रदीप सिन्हा ने कहा कि कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे जेपी पटेल अभी भी भाजपा के विधायक हैं. उन्होंने अपने विधायिकी से इस्तीफा तक नहीं दिया है. जबकि इसी तरह के मामले में झामुमो विधायक रहीं सीता सोरेन ने भाजपा में शामिल होने से पहले विधायक पद से इस्तीफा दे दी थीं.

भाजपा को वंशवाद और बाहरी उम्मीदवार पर बोलने का हक नहीं- कांग्रेस

झारखंड कांग्रेस के प्रदेश महासचिव और मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने कांग्रेस में वंशवाद के आधार पर टिकट वितरण के आरोप को निराधार बताते हुए कहा कि लोकतंत्र में जनता जिन्हें चुनकर लोक सभा भेजती है, उसे वंशवाद नहीं कहा जा सकता. उन्होंने जय शाह का नाम लिए बगैर कहा कि जिसे गिल्ली डंडा खेलने नहीं आता वह बीसीसीआई का सचिव बन जाता है, यह वंशवाद है. कांग्रेस के प्रदेश महासचिव ने कहा कि भाजपा ने भी राज्य में कई दूसरे दल के आए नेताओं को टिकट दिया है. ऐसे में भाजपा का हक नहीं बनता है कि वह कांग्रेस पर आरोप लगाए.

कांग्रेस मीडिया प्रभारी ने कहा कि हमारी पार्टी ने किसी के गॉडफादर या राजनीतिक विरासत को देखकर टिकट नहीं दिया है. बल्कि हमारे आंतरिक सर्वेक्षण में जो नाम आए हैं उन्हीं में से एक को पार्टी ने लोकसभा का टिकट दिया है.

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