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बीकानेर से न्याय सहायक कार्यक्रम की हुई शुरुआत, सीजेआई ने आधी आबादी को लेकर कही ये बात

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 9, 2024, 7:03 PM IST

देश में आम लोगों को सस्ता और सुलभ न्याय मिले इसको लेकर बीकानेर से न्याय सहायक कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉक्टर डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को इसकी शुरुआत की.

CJI DY Chandrachud
CJI DY Chandrachud

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़

बीकानेर. 'संविधान केवल कोर्ट के कॉरिडोर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह गांव की चबूतरे तक अपना स्थान रखता है. संविधान हमें रोटी, पानी, नौकरी, पेंशन का अधिकार देता है.' हमारा संविधान, हमारा सम्मान कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए बीकानेर आए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बीकानेर की महाराजा गंगा सिंह ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में यह बातें कहीं.

देशभर में अलग-अलग आयोजन : भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को न्याय सहायक कार्यक्रम की बीकानेर से शुरुआत की. यह न्याय सहायक देश के 500 आकांक्षी ब्लॉक और जिलों में न्याय विभाग की कानूनी सेवाओं और समाधानों के बारे में घर-घर जागरूकता फैलाने के लिए एक समुदाय आधारित दूत के रूप में कार्य करेंगे. ये न्याय सहायक कानूनी सेवाओं को आयोजित करने और उन्हें घर-घर पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होंगे. ये मुकदमेबाजी से पहले सलाह या मामले का प्रतिनिधित्व मांगने के लिए लाभार्थियों के मामलों के पंजीकरण की सुविधा प्रदान करेंगे.

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आधी आबादी का किया जिक्र : अपने संबोधन में न्याय की प्रक्रिया की सरलीकरण का जिक्र करने के साथ ही मुख्य न्यायाधीश ने आधी आबादी का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा देखने में आया कि सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान जब महिला अधिवक्ता पैरवी कर रहीं थीं, उस दौरान उनका बच्चा भी बीच में उनसे बात करने के लिए आ जाता है. एक महिला के लिए घर की जिम्मेदारियां को निभाना भी जरूरी है. यह देश भर में एक नया उदाहरण है कि यहां जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक भी महिला हैं. ये भी जानकारी मिली है कि राजस्थान में बड़ी संख्या में महिला न्यायिक अधिकारी भी कार्यरत हैं.

स्थानीय भाषा में फैसले की प्रति : इस दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अधिवक्ता और कानूनी जानकारी के लिए न्यायिक भाषा का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन आम आदमी को समझने के लिए भाषा का सरलीकरण होना जरूरी है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने सभी फैसलों को डिजिटलाइज किया है. इनका रूपांतरण भी स्थानीय भाषा में करवाया है, जो कोई भी आदमी ऑनलाइन लॉगिन करके देख सकता है.

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