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महिला पहलवानों के यौन शोषण मामले में बृजभूषण शरण सिंह की दोबारा जांच की मांग खारिज - wrestkers harrasement case

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 26, 2024, 5:47 PM IST

Wrestkers Harrasement Case
Wrestkers Harrasement Case

Wrestkers Harrasement Case: कोर्ट ने शुक्रवार को महिला पहलवानों के यौन शोषण मामले में दोबारा जांच की मांग खारिज कर दी. बृजभूषण शरण सिंह ने मामले की फिर से जांच करने की मांग की थी.

नई दिल्ली: दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोप के मामले में भारतीय कुश्ती संघ के निवर्तमान अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने इस मामले की फिर से जांच की मांग की थी. एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने उनके खिलाफ आरोप चय करने के मामले पर 7 मई को फैसला सुनाने का आदेश दिया.

दरअसल, 18 अप्रैल को कोर्ट ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर फैसला सुनाने वाला था, लेकिन 18 अप्रैल को ही बृजभूषण शरण सिंह की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया था कि 7 सितंबर 2022 को घटना वाले दिन वह भारत में नहीं थे. इस तथ्य की उन्होंने दिल्ली पुलिस से जांच कराने का आदेश देने की मांग की थी. इसपर शुक्रवार को कोर्ट का यह फैसला आया.

बता दें कि कोर्ट ने चार अप्रैल को आरोप तय करने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. 27 फरवरी को दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया था कि अगर हम चाहते तो आरोपियों के खिलाफ छह अलग-अलग एफआईआर दर्ज कर सकते थे, लेकिन इससे ट्रायल में देरी होती. इसका विरोध करते हुए बृजभूषण भूषण शरण सिंह के वकील ने कहा था कि अगर आरोपों में निरंतरता नहीं है, तो अलग-अलग आरोपों में एक एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती.

बृजभूषण शरण सिंह की ओर से इस मामले में आरोप मुक्त करने की मांग की गई थी. उनकी तरफ से कहा गया था कि अपराध की सूचना देने में काफी देरी की गई. साथ ही शिकायतकर्ता के बयानों में काफी विरोधाभास है. शिकायतकर्ता की ओर से टोक्यो, मंगोलिया, बुल्गारिया, जकार्ता, कजाकिस्तान, तुर्की आदि में हुई घटना का क्षेत्राधिकार इस अदालत के पास नहीं है. ऐसे में मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अथॉरिटी से इजाजत लेनी होती है.

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बता दें कि 23 जनवरी को महिला पहलवानों की ओर से ओवरसाइट कमेटी के गठन और उसकी जांच पर सवाल उठाया गया था. महिला पहलावानों की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि ओवरसाइट कमेटी का गठन प्रोटेक्शन ऑफ वुमन फ्रॉम सेक्सुअल हैरेसमेंट एक्ट (पॉश) के प्रावधानों के अनुरुप नहीं किया गया था. ओवरसाइट कमेटी आंतरिक शिकायत निवारण कमेटी नहीं है. ऐसे में ओवरसाइट कमेटी की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का पर्याप्त आधार है.

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