ETV Bharat / bharat

ओटीसी दवाओं के संबंध में केंद्र के कदम का AIOCD कर रहा विरोध, जानिए क्या है पूरा मामला - centres move regarding OTC drugs

author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 26, 2024, 7:14 PM IST

centres move regarding OTC drugs
ओटीसी दवाओं की बिक्री

centres move regarding OTC drugs : बिना डॉक्टरी पर्चे के किराना और अन्य दुकानों पर दवाओं की बिक्री को लेकर एआईओसीडी ने चिंता जताई है. एआईओसीडी ने इस संबंध में डीजीएचएस को पत्र लिखा है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

नई दिल्ली: भारत में बिना लाइसेंस के ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाओं की बिक्री की अनुमति देने की केंद्र की पहल पर विरोध दर्ज कराते हुए ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) ने स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) से अपील की है कि इस मामले में विनियमन बनाने से पहले सभी हितधारकों को विश्वास में लेना होगा.

एआईओसीडी ने डीजीएचएस डॉ. अतुल गोयल को संबोधित एक पत्र में लिखा, 'इस मुद्दे पर सभी वैज्ञानिक, कानूनी, तथ्यात्मक और व्यावहारिक दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए, सामान्य और किराना स्टोर जैसे अनियंत्रित वातावरण में दवा उपलब्ध कराना समाज के लिए बिल्कुल भी मददगार नहीं है. हम ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स और इसके 12.40 लाख सदस्य और एसोसिएशन ऐसे विचार के खिलाफ दृढ़ता से खड़े हैं जो देश की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के लिए हानिकारक है.'

सरकारी पहल:सरकार ने हाल ही में ओटीसी दवाओं की एक सूची को अंतिम रूप देने के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो बिना किसी डॉक्टरी नुस्खे के सामान्य दुकानों में खरीदने के लिए उपलब्ध होंगी. यह कार्यक्रम भारत की नई ओवर-द-काउंटर दवा नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य उपचार लागत कम करना और सुरक्षा बनाए रखते हुए स्व-देखभाल को बढ़ावा देना है.

ओटीसी दवा क्या है: ओटीसी दवाओं के वितरण, विपणन और उपयोग को नियंत्रित करने वाला कोई व्यापक विनियमन नहीं है. खांसी, सर्दी और गर्भनिरोधक दवाएं अक्सर उचित नियमन के बिना काउंटर पर दी जाती हैं. 1940 का औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम और 1945 का औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम ओवर-द-काउंटर दवाओं को परिभाषित नहीं करते हैं.

एआईओसीडी और उसका दृष्टिकोण:1975 में स्थापित एआईओसीडी देश भर में दवा व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक संघ है. देशभर में इसके 12.40 लाख दवा विक्रेता सदस्य हैं. एआईओसीडी के अनुसार, ओटीसी ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 और नियम 1945, फार्मेसी एक्ट 1948 और फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015 का उल्लंघन करता है.

क्या कहता है नियम : औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम की धारा 18 (सी) के अनुसार, यदि जनरल और किराना दुकानों को ओटीसी दवाएं बेचने की अनुमति दी जाती है तो यह औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम की धारा 18 (सी) के प्रावधान का उल्लंघन होगा. औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम की धारा 18 (सी) के अनुसार, कोई भी व्यक्ति स्वयं या अपनी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा लाइसेंस के तहत और शर्तों के अनुसार किसी भी दवा को बेच, या स्टॉक या प्रदर्शन या बिक्री के लिए पेश नहीं करेगा, या वितरित नहीं करेगा.

फार्मेसी अधिनियम 1948 और फार्मेसी प्रैक्टिस विनियम, 2015:फार्मेसी अधिनियम 1948 की धारा 42 के अनुसार अपंजीकृत (इस अधिनियम के तहत) व्यक्तियों द्वारा दवाओं का वितरण अपराध है. इस प्रावधान के अनुसार एक पंजीकृत फार्मासिस्ट के अलावा कोई भी व्यक्ति किसी मेडिकल प्रैक्टिशनर के प्रिस्क्रिप्शन पर किसी भी दवा को कंपाउंड, तैयार, मिश्रण या वितरित नहीं करेगा. फार्मेसी प्रैक्टिस विनियम, 2015 के पैरा 4 (बी) के अनुसार, फार्मेसी की किसी अन्य प्रणाली में योग्यता रखने वाले व्यक्ति को किसी भी रूप में फार्मेसी की आधुनिक प्रणाली का अभ्यास करने की अनुमति नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन:2020 के एसएलपी 8799 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मुकेश कुमार अपीलकर्ता बनाम बिहार राज्य और अन्य मामले में 29 नवंबर, 2022 को फैसला सुनाया. प्रतिवादी (एस) ने पाया कि फार्मेसी अधिनियम, 1948 के प्रावधानों के साथ-साथ फार्मेसी प्रैक्टिस विनियम, 2015 के तहत फार्मेसी काउंसिल और राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि वे अस्पतालों/मेडिकल स्टोरों आदि को देखें.

एआईओसीडी के महासचिव राजीव सिंघल ने कहा, 'भारत के सर्वोच्च न्यायालय के यह निर्देश बाध्यकारी हैं और संविधान के अनुच्छेद 141 के अनुसार अनिवार्य हैं जो स्व-व्याख्यात्मक है. इसे ध्यान में रखते हुए जनरल स्टोर और किराने की दुकानों के माध्यम से ओटीसी दवाओं की बिक्री की अनुमति देना उक्त आदेश और ऐसे कई अन्य आदेशों का घोर उल्लंघन है.'

नकली दवाओं का खतरा:सिंघल ने कहा कि हाल के दिनों में कैंसर रोधी दवाओं सहित विभिन्न नियामकों द्वारा नकली दवाओं के कई मामलों का खुलासा किया गया है. उन्होंने कहा कि 'यदि दवा, जनरल स्टोर और किराने की दुकानों में उपलब्ध होगी तो असामाजिक तत्वों के लिए दवा की आपूर्ति करने के खुले अवसर होंगे क्योंकि खरीदार फार्मा क्षेत्र के एक्सपर्ट नहीं हैं. यह स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के लिए एक बहुत ही गंभीर और चिंताजनक खतरा है. इससे संपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी.'

ओटीसी दवा से संबंधित संभावित खतरे: यह खतरनाक स्व-दवा और नशीली दवाओं के दुरुपयोग को बढ़ावा देगा. प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाओं के जोखिम को बढ़ाने के अलावा आईटी फार्मासिस्ट परामर्श सेवाओं की अनुपस्थिति को भी बढ़ावा देगा. यह नकली दवाओं के प्रसार को बढ़ावा देगा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में देरी करेगा. दवा की अधिक मात्रा के कारण बीमारियों की घटनाएं भी बढ़ सकती हैं.

ये भी पढ़ें

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.