ETV Bharat / bharat

कश्मीर से AFSPA हटाना: क्या CRPF सेना की जिम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार है? - Jammu and Kashmir AFSPA

author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 28, 2024, 7:49 PM IST

CRPF
सीआरपीएफ (सौजन्य X)

Is CRPF Prepared to Assume Army's Responsibilities : कश्मीर से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) को हटाने के संकेत मिले हैं. इसके बाद इस पर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या सीआरपीएफ सेना की जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार है.

श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर): गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर को लेकर दो संकेत दिए हैं. शाह ने दावा किया कि सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) को निरस्त करने की योजना के साथ-साथ सितंबर तक क्षेत्र में विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे. शाह के अनुसार, इस कदम में चरणबद्ध तरीके से सैन्य उपस्थिति को वापस लेना शामिल होगा, जिसमें कानून और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी जम्मू-कश्मीर पुलिस को दी जाएगी.

जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों पर जोर देते हुए, शाह ने केंद्रीय अर्धसैनिक इकाइयों के साथ मिलकर राज्य पुलिस बल द्वारा किए जा रहे सराहनीय कार्यों की प्रशंसा की.

उन्होंने संकेत दिया कि जिन क्षेत्रों में सेना पीछे हटेगी, वहां देश का सबसे बड़ा केंद्रीय अर्धसैनिक बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) नियंत्रण संभाल सकता है. यह निर्णय क्षेत्र में सीआरपीएफ की व्यापक तैनाती के इतिहास और आतंकवाद विरोधी अभियानों में विशेष रूप से इसकी त्वरित कार्रवाई टीमों (क्यूएटी) के माध्यम से इसके अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड के कारण है.

सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जम्मू-कश्मीर में अधिकांश आतंकवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) द्वारा किया जाता है, जिसमें सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस का सहयोग होता है. पिछले दो वर्षों में केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन दोनों ने चरणबद्ध तरीके से सैन्य कर्मियों की संख्या को कम करने पर विचार-विमर्श किया है.

आंकड़े बताते हैं कि हाल के वर्षों में आतंकवादी गतिविधियों और युद्धविराम उल्लंघन दोनों में उल्लेखनीय गिरावट आई है. संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएं, जो दो दशक पहले 70 थीं, 2023 में घटकर केवल दो रह गई हैं.

इसी तरह, घुसपैठ की घटनाओं में नाटकीय रूप से कमी देखी गई है. 2010 में जो संख्या 489 थी, 2023 में घटकर शून्य हो गई. पथराव की घटनाओं में भी कमी आई है. 2010 में 2,654 घटनाएं सामने आई थीं, लेकिन 2023 में एक भी घटना नहीं हुई है. ये इस क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति में सुधार को रेखांकित करता है.

अधिकारी ने कहा कि 'सीआरपीएफ लंबे समय से उग्रवाद और माओवादियों के खिलाफ विभिन्न अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल रही है. आरआर में सीआरपीएफ की भूमिका को बढ़ाने के प्रयास कई वर्षों से चल रहे हैं, जिसमें आरआर के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सीआरपीएफ के परिचालन डोमेन को फिर से परिभाषित करने पर चर्चा हुई है. जम्मू-कश्मीर में जंगल युद्ध (jungle warfare) के लिए सीआरपीएफ की विशेष 'कोबरा' इकाई की तैनाती विभिन्न इलाकों में बल की अनुकूलन क्षमता को प्रदर्शित करती है.'

रक्षा विशेषज्ञ जेके वर्मा AFSPA को हटाने के प्रस्ताव को कश्मीर में तेजी से सुधर रहे हालात के प्रमाण के रूप में देखते हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि एएफएसपीए हटाना सरकार के लिए अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह क्षेत्र में सुरक्षा परिदृश्य को सामान्य बनाने के लिए चल रहे प्रयासों को दर्शाता है.

उन्होंने कहा कि 'जम्मू-कश्मीर में तैनात लगभग 70-80 बटालियनों के साथ सीआरपीएफ विविध प्रकार की जिम्मेदारियां निभाती है, जिसमें कमजोर समुदायों की सुरक्षा समेत कई काम शामिल हैं.'

ये भी पढ़ें

सभी पांच सीटों पर हारने के बाद भाजपा भूल जाएगी AFSPA हटाने का वादा : उमर

पूर्व रॉ चीफ ने कहा-कश्मीर से AFSPA हटना अच्छा कदम होगा, हुर्रियत को लेकर भी कही बड़ी बात

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.