वाराणसी: राम नाम के उच्चारण से ही जन्मो जन्म के पापों से मुक्ति मिल जाती है. काशी में तो राम नाम का तारक मंत्र मोक्ष भी देता है. जब बात रामनवमी की हो, तो भगवान प्रभु श्री राम की भक्ति और उनकी छवि हर किसी के दिल में बस जाती है. हम आज रामनवमी के पावन पर्व पर आपको शिव की नगरी काशी के उस अद्भुत स्थान पर लेकर चल रहे हैं, जो राम नाम का कर्ज देता है. सुनकर आश्चर्य मत कीजिए, क्योंकि काशी में एक ऐसा बैंक बीते 97 सालों से संचालित हो रहा है. जिसे राम रमापति बैंक के नाम से जाना जाता है. भगवान राम के नाम को लिखने का कर्ज देकर यह बैंक ना जाने कितनों के भविष्य को सवार चुका है.
वाराणसी के त्रिपुरा भैरवी दशाश्वमेध रोड स्थित काशी का एकमात्र बैंक है. जहां पर भक्तों को राम नाम का कर्ज मिलता है. यह कर्ज तीन अलग-अलग रूप में होता है जिसमें अनुष्ठान की समय सीमा और भगवान राम के कर्ज को चुकाने के लिए निर्धारित वक्त दिया जाता है. इस बैंक को संचालित करने वाले परिवार के सदस्य आकाश मेहरोत्रा बताते हैं कि यह बैंक पूरी तरह से बैंकिंग सिस्टम पर ही संचालित होता है. यहां मैनेजर से लेकर बैंक के अन्य कर्मचारियों के पद नियुक्त किए गए हैं. सभी अपने-अपने काम को बखूबी पूरा करते हैं. आकाश बताते हैं कि यहां से तीन रूप में भगवान के नाम का कर्ज मिलता है. राम नाम जप, पाठ और लेखन जप 3 वर्ष की क्रिया है, पाठ 21 माह की क्रिया है और राम नाम लेखन सबसे सरल विधि है वह 8 महीने 10 दिन की विधि है.
राम नाम लेखन के बाद मिलता है कर्ज: राम रमापति बैंक जो कर्ज देता है उसे पूरा करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होता है. बैंक के इन नियमों के तहत पाठ जप, लेखन के दौरान मांस, मदिरा, मछली, प्याज, लहसुन पूर्णतया प्रतिबंधित होता है. किसी अशुभ कार्य या शुभ कार्य जैसे किसी की मृत्यु या किसी घर में बच्चों के पैदा होने पर वहां पर भोजन ग्रहण नहीं करना होता है. लेखन या जप के लिए बैंक के छापे प्रार्थना को भरकर अपना पूरा विवरण और यह कंफर्म भी करना होता है कि नियमों के पालन के साथ ही राम नाम का लेखन किया जाएगा. उसके बाद ही यह कर्ज दिया जाता है.
97 साल पहले हुई थी बैंक की स्थापना: राम रमापति बैंक के आकाश का कहना है, कि 17 अप्रैल को भगवान का महोत्सव मनाया जाएगा. सुबह 7:00 बजे मंगला आरती के बाद राम नाम की परिक्रमा शुरू होगी. वर्तमान समय में राम रमापति बैंक में बड़ी-बड़ी गठरियों में राम नाम का जो संचय है उसकी संख्या 19 अब 45 करोड़ 65 लाख 50 हजार पहुंच गई है. इस राम नाम के सबसे बड़े संग्रह की परिक्रमा 10 दिनों तक चलेगी. आकाश बताते हैं, कि 97 साल पहले उनके दादा ने राम रमापति बैंक की स्थापना की थी दास छन्नू लाल ने हिमालय निवासी बाबा सतरामदास की प्रेरणा से इसे लोगों के कष्ठ और दुखों को दूर करने के लिए जनकल्याण के लिए शुरू किया था. कम समय में ही यह बैंक पूरे विश्व में एक अलग पहचान बन चुका है. आकाश बताते हैं, कि इस अनुष्ठान को पूरा करने के लिए बैंक की तरफ से ही सादा कागज, कलम और दवात दी जाती है. इन सारी चीजों का प्रयोग करके ही सुबह सूर्य उदय से पहले इस अनुष्ठान को शुरू करना होता है.
राम नाम अनुष्ठान से जीवन में आए बड़े बदलाव: इसके बाद यह अनुष्ठान 7:00 बजे तक पूर्ण हो जाए इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है. 8 महीने 10 दिन तक इस अनुष्ठान को नियमित रूप से करने के बाद राम नाम का लेखन किया हुआ दस्तावेज बैंक में जमा कर लिया जाता है. यह भी गारंटी होती है कि जिस मनोकामना को मांग कर अपने संस्थान को उठाया है, वह मनोकामना इस अनुष्ठान के पूरा होने से पहले ही पूरी हो जाती है. इसके एक नहीं, बल्कि हजारों ऐसे प्रत्यक्षदर्शी हैं जिनकी जीवन में राम नाम का अनुष्ठान लेने के बाद बड़ा बदलाव आया है. खुद यहां पर आने वाले लोगों का कहना है, कि हमारी जिंदगी इस बैंक ने बदल दी है. यहां पर स्थापित रामलला हर किसी की मनोकामना को पूर्ण करते हैं.
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