नैनीताल बस हादसे की घायल टीचर ने बताई हादसे की आपबीती हल्द्वानीः रविवार (8 अक्टूबर) शाम नैनीताल के कालाढूंगी में हुए बस हादसे में घायलों की संख्या 26 पहुंच गई है. हादसे में 7 लोगों की मौत हो चुकी है. मरने वालों में 5 महिलाएं और 2 पुरुष शामिल हैं. घायलों में 2 शख्स की हालत गंभीर बनी हुई है, जिन्हें हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल के आईसीयू वार्ड में रखा गया है. अन्य घायलों की स्थिति फिलहाल सामान्य बनी हुई है. सभी लोग हिसार, हरियाणा के रहने वाले हैं जो 2 दिन पहले नैनीताल घूमने आए थे. घायलों ने हादसे को लेकर अपनी आपबीती सुनाई है.
सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती हादसे की शिकार मोनिका (शिक्षिका) हादसे का जिक्र करती हुए कहती हैं कि बस का चालक खड़े मोड़ पर बस से संतुलन खो बैठा और बस हादसे का शिकार हो गई. मोनिका के दोनों हाथ, सिर और कंधे पर चोट आई है. मोनिका के भाई समीर और राजवीर का कहना है कि उन्हें घटना की जानकारी पुलिस द्वारा फोन से मिली. उन्होंने बताया कि हादसे में उनके चाचा और दो बहनें घायल हुई हैं. सबकी हालत सामान्य है. अस्पताल के स्टाफ की तरफ से पूरा सहयोग मिल रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि एक, दो दिन में ज्यादातर घायलों को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा.
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अस्पताल के एमएस जीएस तितियाल का कहना है कि 26 मरीज अभी अस्पताल में भर्ती हैं. इनमें से 2 मरीजों के सिर पर चोट लगने से हालत अभी गंभीर बनी हुई है. उन्हें आईसीयू में एडमिट किया गया है. ज्यादातर मरीजों को बाहरी चोटों लगी हैं, लेकिन खतरे से बाहर हैं. सभी घायलों के परिजनों को सूचना दे दी गई है. कई परिजन अस्पताल पहुंच चुके हैं. मरीजों की स्थिति सामान्य बनी रहने पर देर शाम तक कुछ मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा. फिलहाल किसी भी मरीज को हायर सेंटर रेफर करने की जरूरत नहीं पड़ रही है.
कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना: रविवार को हुई नैनीताल बस दुर्घटना और पिथौरागढ़ सड़क हादसे में कुल 14 लोगों की मौत हो चुकी है. हादसे में घायलों का उपचार जारी है. बताया जा रहा है कि नैनीताल बस हादसा खड़े मोड़ पर बस से संतुलन खो जाने का कारण हुआ. जबकि पिथौरागढ़ के धारचूला में वाहन के ऊपर चट्टान गिर गई. इन हादसों के जरिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने प्रदेश की सड़कों को हादसों का कारण बताया है. उन्होंने कहा कि सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे पड़ चुके हैं, जिसका नतीजा है कि उत्तराखंड में रोजाना सड़क हादसे हो रहे हैं. लेकिन सरकार और प्रशासन आंख बंद कर बैठा हुआ है.