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रोडवेज बस पोर्ट से रास्ते दिए जाने की मांग ने तूल पकड़ा, लोगों ने पूर्व विधायक से लगाई मदद की गुहार

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Published : Aug 23, 2020, 4:53 PM IST

रामनगर में रोडवेड बस पोर्ट का निर्माण किया जा रहा है. जिसके लिए 27 करोड़ की धनराशि मंजूर किया गया है, लेकिन स्थानीय लोग बस पोर्ट से रास्ता दिए जाने की मांग कर रहे हैं.

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रोडवेज बस पोर्ट

रामनगरःलंबे इंतजार के बाद रोडवेज बस पोर्ट का कार्य तो शुरू हुआ, लेकिन उसमें भी कई अड़चनें सामने आने लगी है. पहले बस पोर्ट की मांग को लेकर कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीति से जुड़े लोगों ने धरना-प्रदर्शन कर सरकार से अपनी मांगें मनवाई. जिसके बाद यहां पर निर्माण कार्य शुरू हुआ, लेकिन अब रोडवेज परिसर के आस-पास रहने वाले लोग बस पोर्ट से आवाजाही के लिए 10 फुट का रास्ता दिए जाने की मांग कर रहे हैं. वहीं, मामले को लेकर आज क्षेत्रवासियों ने पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत से मुलाकात की और मदद की गुहार लगाई.

लोगों ने पूर्व विधायक से लगाई मदद की गुहार.

बता दें कि काफी लंबे से समय से रामनगर के नगरवासी रोडवेज बस पोर्ट के निर्माण की मांग कर रहे थे. जिसे लेकर कई बार अलग-अलग सामाजिक और राजनीतिक लोग धरने पर भी बैठे. जिसके बाद दो महीने पहले ही बस पोर्ट के लिए 27 करोड़ रुपये मंजूर किए गए. वहीं, बस पोर्ट के निर्माण कार्य का शुभारंभ स्थानीय विधायक दीवान सिंह बिष्ट ने किया था. लेकिन, बस पोर्ट के पास रह रहे सैकड़ों लोग आवाजाही के लिए 10 से 12 फुट का रास्ता छोड़ने की मांग पर अड़ गए. जिसे लेकर स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया.

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काफी जद्दोजहद के बाद भी रोडवेज ने क्षेत्रवासियों के लिए रास्ता छोड़े जाने को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. जिसको लेकर क्षेत्रवासियों में भारी नाराजगी है. सभासद सूची बंसल ने कहा कि बीते कई सालों से स्थानीय लोग इसी रास्ते से आवाजाही कर रहे हैं. चाहे बाजार जाना हो, अस्पताल जाना हो, क्षेत्रवासी इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन, रोडवेज ने रास्ते को अंदर से घुमा दिया है. ऐसे में लोगों का काफी परेशानी हो रही. उन्हें लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है.

वहीं, कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत ने कहा कि बस अड्डा आस-पास के लोगों की सुविधा के लिए ही बनाया जा रहा है. लेकिन, यहां रास्ते की समस्या बनी हुई है. पोर्ट से रास्ता मिलता है तो आवाजाही सुलभ होगी. साथ ही आश्वासन दिया कि वे इस मामले को लेकर परिवहन विभाग के अधिकारियों और जिला प्रशासन से वार्ता करेंगे. उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वो कोर्ट की शरण में जाएंगे.

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