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टिहरी झील में फ्लोटिंग हट्स रेस्टोरेंट मामले में कोर्ट में सुनवाई, लाइसेंस को लेकर मांगा जवाब

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 5, 2024, 7:27 PM IST

Floating huts and restaurants in Tehri Lake टिहरी झील में संचालित हो रहे फ्लोटिंग हट्स व रेस्टोरेंट मामले में कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट ने राज्य सरकार से इसके लाइसेंस को लेकर जबाव मांगा है. साथ ही कोर्ट ने लाइसेंस नवीनीकरण को लेकर पीसीबी से भी डिटेल मांगी है.

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टिहरी झील में फ्लोटिंग हट्स रेस्टोरेंट मामले में कोर्ट में सुनवाई

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने टिहरी झील में फ्लोटिंग हट्स व फ्लोटिंग रेस्टोरेंट द्वारा मांसाहारी भोजन व मलमूत्र डाले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खण्डपीठ ने अगली सुनवाई के लिए 8 जनवरी की तिथि नियत की है.खण्डपीठ ने सरकार से पूछा है कि होटल का लाइसेंस समाप्त होने के दौरान कैसे संचालित हो रहा रहा था?

राज्य प्रदूषण बोर्ड ने अपने शपथपत्र में कहा 31 मार्च 2023 को संचालित होटल ले रियो का लाइसेंस समाप्त हो गया था. जिसके नवीनीकरण के लिए संचालक ने 21 दिसम्बर 2023 को आवेदन किया. आवेदन के बाद पीसीबी ने 1 जनवरी 2024 को इसके संचालन के लिए लाइसेंस जारी किया. इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता ने कहा लाइसेंस समाप्त होने से पहले दो माह पूर्व नवीनीकरण के लिए आवेदन किया जाना था. जिसे होटल स्वामी ने नहीं किया. कोर्ट ने पीसीबी की रिपोर्ट पर सरकार से जवाब पेश करने को कहा है.

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मामले के अनुसार नवीन सिंह राणा स्वर्गआश्रम जोंक जिला पौड़ी गढ़वाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टिहरी में गंगा पर फ्लोटिंग हट व फ्लोटिंग रेस्टोरेंट चलाने की अनुमति दी. इनके द्वारा इस अनुमति का गलत उपयोग किया जा रहा है. कई रेस्टोरेंट्स इनमें मांसाहारी भोजन बनाकर उसका वेस्ट पवित्र गंगा में डाल रहे हैं. यही नहीं फ्लोटिंग हट्स द्वारा मलमूत्र भी गंगा में डाला जा रहा है.

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जनहित याचिका में कहा गया राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जो लाइसेंस दिया है उससे ये करोड़ों सनातनियों की भावनाओ के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. सनातनी गंगा में नहाने से पहले उसकी पूजा करते हैं. चप्पल व जूते उतारकर स्नान करते हैं. फ्लोटिंग हट्स व रेस्टोरेंट्स इसे अपवित्र कर रहे हैं. याचिकाकर्ता ने इस पर रोक लगाए जाने को लेकर जिला अधिकारी, केंद्र सरकार व मुख्य सचिव को पत्र भेजा., मगर इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई. जिसके बाद उन्हें कोर्ट की शरण में आना पड़ा.

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