केदारघाटी में हेलीकॉप्टर से वन्यजीव विचलित केदारनाथ:उत्तराखंड चारधाम यात्रा जोरों-शोरों से चल रही है. इसी बीच श्रद्धालु हेली सेवाओं का भी लाभ उठा रहे हैं. हेलीकॉप्टरों के संचालन से इस वैली में तमाम समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जो आने वाले समय में केदारघाटी की सुंदरता को खराब कर सकती हैं. दरअसल एक ओर हेलीकॉप्टरों के संचालन से केदारघाटी में मौजूद जीव-जंतु पहले ही घाटी से माइग्रेट कर चुके हैं, तो वहीं हेलीकॉप्टरों के संचालन से केदारघाटी में काफी अधिक प्रदूषण फैल रहा है. जिससे आने वाले समय में ग्लेशियरों के पिघलने का सिलसिला भी तेज होने की संभावना है.
हेलीकॉप्टर के शोर से वन्यजीव हो रहे विचलित:केदारघाटी जितनी खूबसूरत है, उतनी ही ऊंचाई पर होने की वजह से अतिसंवेदनशील क्षेत्र भी है. अतिसंवेदनशील होने की मुख्य वजह यह है कि केदारनाथ धाम तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है. इसके साथ ही केदारघाटी से केदारनाथ का रास्ता भी संकरी घाटी जैसा है. यही वजह है कि विकास कार्यों के साथ ही केदारघाटी में होने वाले तमाम ह्यूमन एक्टिविटी पर भी लगाम लगानी पड़ती है. इसके बावजूद भी इस घाटी में दिन भर हेलीकॉप्टरों की गूंज सुनाई देती रहती है. यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर टैक्सी की तरह घाटी में चक्कर लगाते हैं.
स्कूलों के बच्चे यात्रा काल के दौरान नहीं कर पा रहे पढ़ाई:एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के एचओडी प्रोफेसर आरके मैखुरी ने साल 2005 से 2012 के बीच केदारनाथ के लिए संचालित होने वाले हेलीकॉप्टर पर शोध कर रिपोर्ट जारी की थी. जिसके अनुसार, केदारघाटी में संचालित हो रहे हेलीकॉप्टर से केदारघाटी के आबादी क्षेत्र में रह रहे लोगों को परेशानी हो रही है. इसके अलावा, हेलीपैड के आसपास मौजूद स्कूलों के बच्चे यात्रा काल के दौरान सही से पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. साथ ही रामबाड़ा से केदारनाथ धाम के बीच रहने वाले वन्य जीव, हेलीकॉप्टर की आवाज से काफी अधिक विचलित होते हैं.
हेलीकॉप्टर ने बायोडायवर्सिटी को कर दिया चेंज:वाडिया से रिटायर्ड हिमनद वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि केदारघाटी में जो हेलीकॉप्टर उड़ रहे हैं, उन्होंने वहां की बायोडायवर्सिटी को चेंज कर दिया है. साथ ही वहां की वाइल्ड लाइफ खत्म हो चुकी है, क्योंकि हेलीकॉप्टर के साउंड और वाइब्रेशन की वजह से उस क्षेत्र के वन्य जीव माइग्रेट कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि केदारघाटी में 2002 में जब रिसर्च कर रहे थे, उस दौरान वन्य जीव नजर आते थे, लेकिन पिछले 18-20 सालों में वन्य जीव, दिखने बंद हो गए. जब हेलीकॉप्टर साउंड करता है, तो उसका साउंड वैली में होने की वजह से काफी इको होता है, जिससे तमाम जीव डर जाते हैं.
जानवरों के सुनने की क्षमता पर पड़ता है असर:जियोलॉजिस्ट एसपी सती ने बताया कि केदारघाटी में हेलीकॉप्टर की उड़ान से वाइल्ड लाइफ को बड़ा डिस्टरबेंस होता है. इसके अलावा जानवरों के सुनने की क्षमता पर भी हेलीकॉप्टर की साउंड असर डालती है. साथ ही हेलीकॉप्टर के फ्यूल से निकलने वाले कार्बन पार्टिकल से भी माइक्रो क्लाइमेटिक कंडीशन पर भी असर पड़ता है, जिसको लेकर कई बार अध्ययन हो चुके हैं. ऐसे में संकरी घाटियों में अंधाधुंध हेलीकॉप्टरों का संचालन काफी घातक है. इसलिए सीमित संख्या में हेलीकॉप्टर के संचालन को अनुमति दी जानी चाहिए.
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