देहरादून: उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड (uttarakhand chardham devasthanam management board) का विरोध लगातार जारी है. मंगलवार को चारधाम के तीर्थ-पुरोहित और हक-हकूकधारी (teerth purohit) महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM pushkar singh dhami) से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के बारे में मुख्यमंत्री धामी को विस्तार से जानकारी दी.
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री धामी (pushkar singh dhami) से कहा कि इस अधिनियम (chardham devasthanam board) के माध्यम से सरकार की मंशा चारों धामों की संपूर्ण व्यवस्था अपने हाथों पर लेने की है, जो उचित नहीं है. तीर्थ-पुरोहितों ने स्पष्ट किया कि इस अधिनियम के आने के बाद जो भ्रम और विवाद की स्थिति पैदा हुई उसके लिए केवल और केवल सरकार जिम्मेदार है. क्योंकि विधेयक लाने से पूर्व राज्य सरकार ने किसी भी तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी से परामर्श नहीं किया.
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प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री धामी (teerth purohit meet CM dhami) से कहा कि सरकार इन तीर्थों और मंदिरों के लिए तिरुपति बालाजी और वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड का मॉडल लेकर आई है, जो शास्त्र सम्मत नहीं है. उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड विधेयक न केवल उत्तराखंड के चारोंधामों के तीर्थ पुरोहितों, हक-हकूकधारी समाज व स्थानीय जनमानस की भावनाओं के खिलाफ है, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था और विश्वास पर भी आघात करता है. इसलिए अविलम्ब देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड को भंग करते हुए 27 नवंबर 2019 से पूर्व की स्थिति को बहाल किया जाए.
1939 का बीकेटीसी अधिनियम