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देहरादून में खुर्द हो रही चाय बागान की जमीनें, जिला प्रशासन ने खरीद फरोख्त पर लगाई रोक

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Published : May 18, 2023, 3:44 PM IST

देहरादून में बहुतायत संख्या में चाय बागान है. कई सालों से चाय बागान की जमीन खुर्द बुर्द की जा रही थी. जिसे देखते हुए जिला प्रशास ने चाय बागानों की जमीन की खरीद फरोख्त पर जिला प्रशासन ने लगाई रोक

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देहरादून में खुर्द हो रही चाय बागान की जमीनें

देहरादून में खुर्द हो रही चाय बागान की जमीनें

देहरादून: देहरादून के अलग अलग इलाकों में स्थित चाय बागानों की जमीन की खरीद फरोख्त पर जिला प्रशासन ने रोक लगा दी है. देहरादून में चाय बागानों की अलग-अलग भूमि पर अतिक्रमण होता रहा. यहां जमीनों को सालों से खुर्द खुर्द किया जा रहा है. जिससे चाय बागनों की जमीन को बचाने के लिए इसकी खरीद फरोख्त पर रोक लगाई गई है.

बता दें साल 2005 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने चाय बागानों की भूमि की जांच करवाई थी. तब अलग-अलग चाय बागान में करीब 1100 बीघा भूमि का पता चला. यह भी जानकारी मिली कि चाय बागानों की कितनी भूमि बेची गई है और कितने पर खेती की जा रही है. साथ ही कितनी भूमि पर चाय उगाई जा रही है इसकी भी जानकारी मिली. साथ ही खाली पड़ी भूमि की भी डिटेल इकट्ठा की गई. इसके बाद तत्कालीन जिलाधिकारी ने चाय बागानों की भूमि बचाने के लिए आदेश जारी किया. 10 अक्टूबर 1975 के बाद बेची गई भूमि सरकार के पक्ष में दर्ज की जाएगी. हालांकि कुछ समय बाद ही यह कवायद ठंडे बस्ते में डाल दी गई.

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देहरादून में जीवनगढ़, सेंट्रल होप टाउन, एनफील्ड ग्रांट,जमनीपुर,एटनबाग,ईस्ट वेस्ट हॉपटाउन,बदामवाला,लखनवाला,मलूकावाला, खेमदोज, मोहकमपुर खुद,बंजारावाला माफी,कावली,मीठी बेहड़ी, आरकेडिया ग्रांट,हरबंसवाला,रायपुर,नत्थनपुर और लाडपुर में चाय बागान की भूमि है. चाय बागानों की अलग-अलग भूमि पर अतिक्रमण होता रहा. जमीनों का सालों तक खुर्द खुर्द करते हुए बेचने का सिलसिला भी इस दौरान चलता रहा.

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7 जुलाई 2022 को वकील विकेश नेगी ने नैनीताल हाईकोर्ट में लाडपुर क्षेत्र में चाय बागान की करीब 350 बीघा भूमि पर उत्तराखंड सरकार के खिलाफ याचिका डाली. जिसके बाद सरकार ने कब्जा प्राप्त करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की. इस भूमि को चाय बागान के रूप में सीलिंग एक्ट में छूट दी गई थी, लेकिन इसकी खरीद-फरोख्त शुरू कर दिए जाने के बाद वह छूट समाप्त हो गई. लाडपुर की तरह ही जिले भर में करीब 1100 बीघा भूमि चाय बागान के रूप में राजस्व अभिलेखों में दर्ज है. इन्हें चाय बागान के चलते सीलिंग एक्ट से छूट दी गई. समय के साथ चाय की खेती का रकबा घटता चला गया. भूमि की खरीद-फरोख्त की जाने लगी. लाडपुर में चाय बागान की भूमि को खुर्द बुर्द होने से बचाने के लिए वकील विकेश नेगी कोर्ट में लड़ाई लड़ी रहे थे. विकेश नेगी ने जिले के अन्य चाय बागान की भूमि की जानकारी आरटीआई से निकाली. जिसमें चाय बागान की जमीनों पर खरीद-फरोख्त का काम चल रहा था. जिसके बाद विकेश नेगी ने जिलाधिकारी को शिकायत की. तब जिला प्रशासन भी चाय बागान की भूमि को खुर्द बुर्द होने से बचाने के लिए इसकी खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी है.

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