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11 दिसंबर को IMA की पासिंग आउट परेड, बतौर रिव्यूइंग ऑफिसर राष्ट्रपति कोविंद हो सकते हैं शामिल

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Published : Nov 16, 2021, 4:21 PM IST

Updated : Nov 16, 2021, 4:57 PM IST

देहरादून स्थित IMA (Indian Military Academy) की पासिंग आउट परेड आगामी 11 दिसंबर को होना है. आईएमए सूत्रों का कहना है कि इस पासिंग आउट परेड में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शामिल हो सकते हैं.

President Ram Nath Kovind
President Ram Nath Kovind

देहरादून:आगामी 11 दिसंबर को होने वाली IMA परेड की सलामी इस बार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद लेंगे. हालांकि, अभी इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है. लेकिन आईएमए सूत्रों का कहना है कि IMA की पासिंग आउट परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद परेड की सलामी ले सकते हैं.

परेड होगा LIVE प्रसारण:आईएमए के जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल हिमानी पंत ने बताया कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के दृष्टिगत मीडिया कवरेज का दायरा सीमित रखा गया है. हालांकि, POP कार्यक्रम घर बैठे देखा जा सकेगा. इसके लिए परेड का लाइव प्रसारण किया जाएगा. यह लाइव प्रसारण मीडिया संस्थानों को भी मुहैया कराया जाएगा. साथ ही पीओपी कार्यक्रम में कोरोना की केंद्रीय गाइडलाइन का सख्ती से पालन किया जाएगा.

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उधर, भारतीय सैन्य अकादमी परेड के लिए तमाम तैयारियां हर बार की अपने अंतिम पड़ाव पर हैं. आईएमए की ऐतिहासिक चैटवुड बिल्डिंग के समीप फाइनल परेड की रिहर्सल चल रही है. पासिंग आउट परेड के लिए सुरक्षा तंत्र की मीटिंग का दौर भी तेज हो गया है. साथ ही आगामी 25 नवंबर को IMA प्रशासन की देहरादून पुलिस-प्रशासन के साथ सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण बैठक होनी है.

पासिंग आउट परेड में वीआईपी: 1962 में पासिंग आउट परेड में कैडेट्स को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने संबोधित किया था. 1982 में स्वर्ण जयंती के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पीओपी का निरीक्षण किया था. 1992 में तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमण ने पीओपी (शीतकालीन अवधि) की समीक्षा की थी. साल 2006 में राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम पीओपी में समीक्षा अधिकारी थे. वहीं, तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल साल 2011 में आईएमए की पासिंग आउट परेड में शामिल हुईं थीं.

आईएमए का इतिहास: देहरादून में करीब 1,400 एकड़ में फैली ये विशाल धरोहर न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि ये पराक्रमी सैन्य अफसरों का प्रशिक्षण केंद्र भी है. इतिहास गवाह है कि यहां तैयार होने वाले वीरों ने पराक्रम की हर परकाष्ठा को पार किया है. दुश्मन कोई भी हो भारतीय शेरों की दहाड़ के सामने हर हथियार और तकनीक धरी की धरी रह गयी.

भारतीय सैन्य अकादमी की स्थापना 1932 में हुई. पहले बैच में 40 जेंटलमैन कैडेट्स शामिल थे. साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायक रहे फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ इसी पहले बैच के छात्र थे. पहले बैच में शामिल स्मिथ डन ने बर्मा और मुहम्मद मूसा खान ने पाकिस्तान की सेना का नेतृत्व किया. भारतीय सैन्य अकादमी अब तक देश और दुनिया को 62 हजार से ज्यादा सैन्य अफसर दे चुकी है. इसमें 2,500 विदेशी सैन्य अफसर भी शामिल हैं.

भारतीय सैन्य अकादमी के 88 साल पुराने गौरवमई इतिहास की यादें यहां मौजूद म्यूजियम में सजाई गई हैं. भारत में स्थित ब्रिटिश सरकार के कमांडर इन चीफ फील्ड मार्शल सर फिलिप चैटवुड से लेकर पाकिस्तान को खंड-खंड करने वाले 1971 युद्ध के नायक फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की पुरानी तस्वीरें यहां मौजूद हैं. ब्रिटिश कालीन हथियारों से लेकर देश के सर्वोच्च मेडल और पाकिस्तान का वह झंडा जिसे 1971 में जीत के बाद सरेंडर किये गए पाकिस्तानी सैनिकों से लिया गया को यहां पर रखा गया है.

1934 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पहला बैच पास आउट हुआ. 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायक रहे भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल जनरल सैम मानेकशॉ भी इसी एकेडमी के छात्र रह चुके हैं. जांबाज वीरों के कदमताल का गवाह सर फिलिप चैटवुड के नाम से चैटवुड भवन के सामने का ये मैदान हर साल अंतिम पग की बाधा को खत्म कर जीसी को सैन्य अफसर बनता देखता है. यूं तो परंपराओं से भरी इस ऐतिहासिक सैन्य अकादमी ने 1932 के बाद विश्व युद्ध से लेकर तमाम मुश्किल क्षणों को देखा, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ जब यह अकादमी अपने कर्तव्य से पीछे हटी हो.

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भारतीय सैन्य अकादमी देश को अब तक 16 जनरल यानी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ दे चुकी है. नेतृत्व क्षमता और त्वरित निर्णय लेने के साथ ही एक जेंटलमैन कैडेट को फौलाद बनाने वाला ये संस्थान दुनिया में इन्हीं वजहों से जाना जाता है.

Last Updated : Nov 16, 2021, 4:57 PM IST

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