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ढैंचा बीज घोटाला: हरीश रावत बोले- त्रिवेंद्र नहीं मेरी सरकार गिराने वालों को जाना था जेल

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Published : Sep 14, 2021, 5:27 PM IST

Updated : Sep 14, 2021, 7:35 PM IST

राजनीति में कुछ मुद्दे कभी नहीं मरते हैं. उन्हें समय-समय पर राजनीति करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. उत्तराखंड की राजनीति में ऐसा ही एक मुद्दा है कि ढैंचा बीज घोटाला. इसका इस्तेमाल राजनीतिक पार्टियां और नेता अपने फायदे के मुताबिक करते रहते हैं. ऐसा ही इस बार भी चुनाव से पहले देखने को मिल रहा है. हालांकि इस बार कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए ढैंचा बीज घोटाला गले की फांस बन गया है. इस मुद्दे पर हरक सिंह रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरीश रावत आमने-सामने हैं.

Harish Rawat
Harish Rawat

देहरादून: उत्तराखंड की सियासत में इन दिनों ढैंचा बीज घोटाले का मामला चल रहा है. कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के बयान के बाद ही उत्तराखंड की सिसायत में हलचल मची हुई है. वहीं अब कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के बयान पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि हरक सिंह रावत का आरोप बेबुनियाद है. उनकी सरकार गिराने वालों पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकी थी.

बता दें कि हाल ही में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने ढैंचा बीज घोटाले को लेकर एक बयान दिया था. हरक सिंह रावत ने कहा था कि जब ढैंचा बीज घोटाले में हरीश रावत की सरकार में त्रिवेंद्र सिंह रावत के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटकी थी, तब वे हरीश रावत सरकार में कृषि मंत्री थे. उन्होंने दो पेज का नोट त्रिवेंद्र सिंह रावत के पक्ष में लिखा था और उन्हें गिरफ्तारी से बचाया था.

हरक सिंह रावत के बयान पर हरीश रावत की प्रतिक्रिया.

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हरक ने यह भी कहा कि हरीश रावत एम्स में भर्ती थे और डेढ़ महीने तक तकिए के नीचे ढैंचा बीज घोटाले की फाइल दबाए बैठे रहे थे. हरक सिंह ने तो अपने बयान में यहां तक कहा था कि जब उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत से त्रिवेंद्र सिंह रावत को बचाने की सिफारिश की थी, तब हरीश रावत ने कहा कि सांप को दूध पिला रहे हो.

हरक सिंह रावत के इन बयानों पर जब हरीश रावत से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ढैंचा बीज घोटाले में तत्कालीन कृषि मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और कृषि सचिव ओम प्रकाश पर किसी भी तरह की धांधली करने का मामला नहीं बनता था. साथ ही उन्होंने हरक सिंह रावत के तमाम आरोपों को खारिज किया.

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हरीश रावत ने कहा कि जब त्रिपाठी आयोग की रिपोर्ट उन्हें मिली तब वे एम्स में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे. उन्होंने देखा कि बीज की कीमत को लेकर अंतर होना कोई बड़ी बात नहीं थी. क्योंकि जब मांग बढ़ती है तो सामान के दाम भी बढ़ जाते हैं. लिहाजा कोई गड़बड़ी का मामला नहीं बनता था. ऐसे में आज भी वो अपने उसी फैसले के साथ खड़े हैं.

यही नहीं हरदा ने यहां तक कह दिया कि सिर्फ एक फाइल ढैंचा बीज घोटाला की नहीं आयी थी, बल्कि 7-8 फाइलें भी उनके पास आई थीं, जिसमें से 2 से 3 फ़ाइल उनकी सरकार गिराने वाले विरोधियों से भी जुड़ी थी, जिनकी संलिप्तता बन रही थी. लेकिन किसी के खिलाफ ठोस सुबूत नहीं थे. लिहाजा सिर्फ विरोधी थे, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई करना जायज नहीं होता. साथ ही कहा कि हरीश और कांग्रेस की कभी ऐसी नीयत नहीं रही है, लेकिन अगर भाजपा होती तो एक दिन के लिए हवालात में जरूर डाल देते.

क्या है ढैंचा बीज घोटाला: ढैंचा बीज घोटाला 2009-10 में सामने आया था. तब त्रिवेंद्र सिंह रावत कृषि मंत्री थे और उन्हीं के ऊपर आरोप लगा था कि बाजार से अधिक दाम पर ढैंचा बीज खरीदे गए हैं. इससे सरकार को काफी नुकसान झेलना पड़ा था.

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पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के कार्यकाल में इस घोटाले की जांच के लिए त्रिपाठी आयोग बनाया गया था. त्रिपाठी आयोग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा था कि ढैंचा बीज खरीद में घोटाला हुआ है. लिहाजा त्रिवेंद्र सिंह रावत पर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन इसी बीच कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया और हरीश रावत के हाथों में सत्ता आ गई. हरीश रावत प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने. उनके पास त्रिपाठी आयोग की रिपोर्ट आई थी.

हरक सिंह रावत ने रविवार को दिया था बयान: रविवार को हरक सिंह रावत ने एक बयान दिया था. हरक ने कहा था कि ढैंचा बीज घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को गिरफ्तार करने के लिए कहा था. लेकिन उन्होंने हरीश रावत सरकार में कृषि मंत्री रहते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत का बचाव किया था. हरक ने कहा कि उनकी वजह से ही त्रिवेंद्र सिंह रावत जेल जाने से बचे थे. यदि वे उस समय त्रिवेंद्र सिंह रावत का बचाव नहीं करते तो त्रिवेंद्र सिंह रावत को जेल जाना पड़ता और फिर वे मुख्यमंत्री कैसे बनते.

Last Updated : Sep 14, 2021, 7:35 PM IST

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