उत्तराखंड

uttarakhand

उत्तराखंड में धूमधाम से मनाया गया दशहरा, बन्नू बिरादरी ने जलाया 5 फीट का रावण

By

Published : Oct 25, 2020, 7:30 PM IST

Updated : Oct 25, 2020, 10:16 PM IST

उत्तराखंड में दशहरा का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान प्रदेश के सभी 13 जिलों में नियमों का पालन करते हुए रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

dussehra 2020
उत्तराखंड में धूमधाम से मनाया गया दशहरा

देहरादून: अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक विजयादशमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया. कोरोना संकट को देखते हुए सारी सावधनियों को ध्‍यान में रखकर त्‍योहार मनाया गया. राजधानी देहरादून में पिछले 72 सालों से दशहरा पर 60 से 65 फीट का रावण दहन करने वाली बन्नू बिरादरी ने महज 5 फीट का रावण जलाकर 72 सालों से चली आ रही परंपरा को आगे बढ़ाया.

ईटीवी भारत से बात करते हुए बन्नू बिरादरी के अध्यक्ष हरीश विरमानी ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा महज 50 लोगों को दशहरा कार्यक्रम में एकत्रित होने की अनुमति दी गई थी. इसके साथ ही रावण की प्रतिमा की ऊंचाई भी महज 10 फीट रखने को कहा गया था. जो लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ जैसा था.

बन्नू बिरादरी ने जलाया 5 फीट का रावण.

ऐसे में पहले तो बन्नू बिरादरी ने दशहरा कार्यक्रम भी रद्द कर दिया था. लेकिन जनभावना को देखते हुए यह निर्णय लिया गया कि 72 सालों से चली आ रही प्रथा को आगे बढ़ाना जरूरी है. इसलिए महज औपचारिकता भर पूरी करने के लिए 5 फिट के रावण का दहन किया गया है.

ये भी पढ़ें:विजयादशमी के मौके पर टिहरी राजपरिवार ने की शस्त्र पूजा

ऋषिकेश में रावण को जलसमाधि

कोरोना महामारी की वजह से ऋषिकेश में इस वर्ष दशहरा सादगी के साथ मनाया गया. इस बार ऋषिकेश दशहरा कमेटी ने 55 फीट की जगह 10 फीट का रावण बनाया और उसे दहन की जगह जल में प्रवाहित किया गया. प्रशासन की गाइडलाइन का पालन करते हुए सुभाष क्लब दशहरा कमेटी ऋषिकेश ने 10 फीट का रावण और 3-3 फीट के कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनवाए और त्रिवेणी घाट पर विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना कर गंगा में विसर्जित कर दिया. वहीं, लक्ष्मण झूला क्षेत्र में नाव घाट पर रस्म अदायगी के लिए रावण का पुतला दहन किया गया. इस दौरान जय श्रीराम के उद्घोष से गंगा तट गूंज उठा.

उत्तराखंड में रावण दहन की अलग-अलग तस्वीरें.

रामनगर में रावण दहन

नैनीताल के रामनगर में पायते वाली रामलीला समिति द्वारा 17 फीट के राणव का दहन किया गया है. इससे पहले पायते वाली रामलीला समिति 80 फीट के रावण के पुतले को जलाया जाता था. पायते वाली रामलीला के सचिव प्रदीप कपूर ने बताया कि इस बार कोविड-19 के नियम का पालन करते हुए सामान्य तरीके से 70 सालों से चली आ रही परंपरा को जीवित रखने के लिए रावत दहन किया गया.

सितारगंज में रावण दहन

सितारगंज हर वर्ष बड़ी धूमधाम से मनाया जाने वाला विजयदशमी का पर्व इस वर्ष कोरोना के कारण सादगी से मनाया गया. हर वर्ष विजयादशमी के मौके पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ तीनों के लगभग 40 फिट ऊंचे पुतले बनाकर उनका दहन किया जाता था. लेकिन इस वर्ष सिर्फ 12 फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया गया.

उत्तराखंड में धूमधाम से मनाया गया दशहरा.

ये भी पढ़ें:दशहरा पर अखाड़ों में होता है शस्त्रों का पूजन, जानिए क्या है वजह?

रुड़की में रावण के साथ-साथ कोरोना के पुतले का भी दहन

देशभर में विजयादशमी के मौके पर रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले का दहन किया गया. लेकिन, रुड़की में इस बार रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के साथ कोरोना के पुतले का भी दहन किया गया. रुड़की रामलीला कमेटी द्वारा इस बार रावण के पुतले के साथ कोरोना का पुतला भी तैयार कराया गया था. रावण का पुतला 50 फीट का बनाया गया था और कोरोना का पुतला करीब 30 फीट का बनाया गया था. जिसका दहन रुड़की के नेहरू स्टेडियम में किया गया.

जेल में रावण दहन का कार्यक्रम

वहीं, हल्द्वानी के उप-कारागार में धूमधाम से रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. हल्द्वानी उप-कारागार में जहां महिला कैदियों ने रामलीला का आयोजन किया. वहीं, पुरुष कैदियों ने विजयादशमी के मौके पर रावण के पुतले का दहन किया. जेल में तीन दिवसीय रामलीला का समापन रावण के पुतले के दहन के साथ समाप्त हो गया.

खटीमा में भी रावण दहन

खटीमा में भी धूमधाम से विजयादशमी का त्योहार मनाया गया. इस दौरान 5 फीट के रावण और कुंभकर्ण के पुतले का दहन किया. मात्र 100 लोगों की भीड़ में पुतला दहन कर विजयदशमी त्योहार मनाया गया. वहीं, कोरोना संक्रमण की वजह से रामलीला पात्र परिषद द्वारा ऑनलाइन रामलीला का मंचन कराया गया था. जिसको सीमान्त क्षेत्र के दर्शकों द्वारा बेहद पसंद किया गया.

अल्मोड़ा में रावण दहन

अल्मोड़ा का ऐतिहासिक दशहरा धूमधाम से मनाया गया. कोरोना संक्रमण के चलते इस बार शोभा यात्रा निकाल कर रावण के पुतले का दहन किया गया. वहीं, इससे पहले अल्मोड़ा में रावण परिवार के दर्जनों पुतलों का दहन किया जाता था. जानकारों के अनुसार 1965 में सबसे पहले दशहरे के मौके पर रावण का पुतला बना था. पिछले 4 दशकों से अल्मोड़ा में रावण परिवार के दर्जनों कलात्मक पुतले बनते थे, जिनका दहन किया जाता था.

काशीपुर में रावण दहन

रामनगर रोड स्थित श्रीरामलीला मैदान में प्रत्येक वर्ष सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों का दहन किया गया. स्थानीय प्रशासन की मौजूदगी में 15-15 फीट के रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों का दहन किया गया. वहीं, इनरव्हील क्लब ब्लॉसम की महिलाओं ने कोरोना रूपी रावण का दहन किया. इस मौके पर एसडीएम गौरव कुमार के अलावा कोरोना नोडल अधिकारी डॉ अमरजीत सिंह सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद रहे.

लक्सर में रावण दहन

लक्सर में रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों की उपस्थिति में रावण का दहन किया गया. वहीं, लक्सर में 83वीं रामलीला का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए किया गया था. सनातन धर्म रामलीला कमेटी के अध्यक्ष विशाल चौधरी ने बताया कि कोरोना काल के चलते सरकार द्वारा बनाई गई गाइडलाइन का पालन करते हुए बहुत कम लोगों की संख्या में रावण का दहन किया गया.

Last Updated : Oct 25, 2020, 10:16 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details