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Doctors Became Engineer: मसूरी में डॉक्टर बने इंजीनियर, स्टेथोस्कोप छोड़ थामा प्लास और पेंचकस, जानिए वजह

उप जिला चिकित्सालय मसूरी के डॉक्टर आज इंजीनियर बन गये. डॉक्टरों ने मिलकर ऑक्सीजन प्लांट में आ रही कमी को दूर किया. करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद ऑक्सीजन प्लांट को सही तरीके से संचालित किया गया.

मसूरी में डॉक्टर बने इंजीनियर
Doctors Became Engineer

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Published : Jan 28, 2023, 7:54 PM IST

मसूरी: उप जिला चिकित्सालय मसूरी में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर किए जाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार काम कर रहा है. यहां तैनात डॉक्टर भी सीमित संसाधनों में मरीजों को बेहतर सेवा देने के लिए प्रयासरत हैं. इसी कड़ी में मसूरी उप जिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ यतेन्द्र सिंह, डॉ प्रदीप राणा और डॉ खजान सिंह चौहान खराब पड़े ऑक्सीजन प्लांट को ठीक करने के लिए कमर कसी. ये डॉक्टर से इंजीनियर बन गए और हाथ में प्लास व अन्य मरम्मत के औजार लेकर अपने कर्मचारियों के साथ ऑक्सीजन प्लांट पहुंचे. काफी मशक्कत के बाद ऑक्सीजन प्लांट को ठीक करने में उन्होंने कामयाबी हासिल की. उप जिला चिकित्सालय में तैनात सभी डॉक्टरों द्वारा सीमित संसाधनों में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने को लेकर लगातार काम किया जा रहा है.

मसूरी उप जिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ यतेंद्र सिंह ने बताया अस्पताल में पैरामेडिकल और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की कमी है. जिसको पूरा करने के लिए लगातार उच्च अधिकारी काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा अस्पताल को संचालन करने को लेकर डाक्टरों से साथ पूरा स्टाफ कटिबद्ध है. जिसके लिए लगातार काम किया जा रहा है.

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उन्होंने कहा ऑक्सीजन प्लांट के खराब हो गया था. इंजीनियर के समय से ना आने के कारण मरीजों को दिक्कत हो रही थी. जिसको लेकर वह स्वयं अपनी डॉक्टरों की टीम और कर्मचारियों के साथ ऑक्सीजन प्लांट पहुंचे. करीब 2 घंटे की मशक्कत के बाद ऑक्सीजन प्लांट का संचालित किया गया. उन्होंने कहा अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने को लेकर अस्पताल में तैनात सभी लोग अपना 100 प्रतिशत देने का काम कर रहे हैं.

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इससे पूर्व में स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने अस्पताल का औचक निरीक्षण भी किया था. तब अस्पताल में कई प्रकार की कमियां पाई गई. जिस पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की. तब स्वास्थ्य सचिव ने अस्पताल में नियुक्त सभी डॉक्टरों और स्टाफ से अस्पताल में ऑन ऑनरशिप के तहत सम संचालन करने के निर्देश दिये गए थे. जिसका असर अब साफ तौर पर देखा जा रहा है.

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