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Economic Survey 2021-22: उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में सुधार, अल्मोड़ा में सबसे अधिक गरीबी

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Published : Jun 18, 2022, 1:40 PM IST

Updated : Jun 18, 2022, 2:51 PM IST

राज्य सरकार की आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 की रिपोर्ट के आंकड़े बता रहे हैं कि राज्य की अर्थव्यवस्था पटरी पर और तेजी से सुधार की ओर लौट रही है. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार बहुआयामी गरीबी के मामले में उत्तराखंड देश में 15वें स्थान पर है. राज्य के अल्मोड़ा जिले में सबसे अधिक 25.65 प्रतिशत गरीबी है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में सबसे ज्यादा निर्धनता हरिद्वार जिले में 29.55 प्रतिशत है.

Economic Survey
उत्तराखंड की आर्थिक अर्थव्यवस्था में सुधार

देहरादून: विधानसभा के पटल पर रखी गई राज्य सरकार की आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश की अर्थव्यवस्था कोरोना काल के दुष्चक्र से बाहर निकल चुकी है. रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 में कोविड के सबसे बुरे दौर में राज्य की आर्थिक विकास दर शून्य से नीचे -4.42 फीसदी गिर चुकी थी. 2021-22 में वह न सिर्फ बढ़ी, बल्कि अब उसके 6.13 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है. यह भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावित विकास दर 9.2 प्रतिशत से कम है.

सकल राज्य घरेलू उत्पाद में पिछले वर्ष से 8.17 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है. जबकि स्थिर भाव पर 6.13 प्रतिशत वृद्धि होने का अंदाजा है. राज्य गठन के बाद से पहली बार किसी वर्ष (2020-21) में सकल राज्य घरेलू उत्पाद में गिरावट दिखी है. 2020-21 में प्रचलित भाव पर यह 2,34,660 करोड़ था, जिसके 2021-22 में बढ़कर 2,53,832 करोड़ होने का अनुमान है.

अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में द्वितीय क्षेत्र (44.98 प्रतिशत) और तृतीय क्षेत्र (42.92 प्रतिशत) का सबसे अधिक योगदान है. यानी आर्थिकी में विनिर्माण और निर्माण, व्यापार, होटल एवं जलपान गृह, परिवहन, भंडारण, संचार एवं प्रसारण क्षेत्र की अहम भूमिका है. प्राथमिक क्षेत्र कृषि, पशुपालन, मत्स्य खनन का कुल मिलाकर योगदान सबसे कम 12.11 प्रतिशत का है.

प्रतिव्यक्ति आय में पहली बार हिमाचल से पीछे: रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की प्रतिव्यक्ति आय में बढ़ोत्तरी तो हुई है, लेकिन तुलनात्मक दृष्टि से हम हिमाचल से पिछले दो साल से पिछड़ रहे हैं. राज्य सकल घरेलू उत्पाद के आधार पर वर्ष 2021-22 के अग्रिम अनुमानों में प्रचलित भावों पर राज्य की प्रति व्यक्ति आय 1,96,282 रुपये अनुमानित है.

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यह बेशक राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय 1,50,326 रुपये से अधिक है, लेकिन हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय 2,01,864 रुपये से कम है. कोरोनाकाल में ही प्रति व्यक्ति आय में हिमाचल आगे था. 2020-21 में अनंतिम अनुमान के अनुसार, राज्य की प्रति व्यक्ति आय 1,82,698 रुपये दर्शाई गई, जबकि हिमाचल की 1,83,333 रुपये है.

स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाना होगा: रिपोर्ट में राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च को बढ़ाने की आवश्यकता जताई गई है. पिछले तीन वर्षों में सरकार ने शिक्षा पर सबसे अधिक और स्वास्थ्य पर सबसे कम खर्च किया. रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 व 20-21 में शिक्षा पर 32 तथा 30 प्रतिशत खर्च हुआ. जबकि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पर छह फीसदी ही खर्च हो पाया है. 2021-22 में भी स्वास्थ्य पर सात फीसदी के ही खर्च का अनुमान है.

अल्मोड़ा में सबसे अधिक गरीबी: आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार बहुआयामी गरीबी के मामले में उत्तराखंड देश में 15वें स्थान पर है. राज्य के अल्मोड़ा जिले में सबसे अधिक 25.65 प्रतिशत गरीबी है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में सबसे ज्यादा निर्धनता हरिद्वार जिले में 29.55 प्रतिशत है. नगरीय क्षेत्र में सबसे अधिक गरीबी चंपावत जिले की 20.90 प्रतिशत है.

महंगाई में देश में आठवें स्थान पर: रिपोर्ट में केंद्रीय सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वय मंत्रालय के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड में जनवरी 2022 से मार्च 2022 की तिमाही में महंगाई 5.83 प्रतिशत बढ़कर 6.38 प्रतिशत हो चुकी है. देश में उत्तराखंड का आठवां स्थान है.

20 वर्षों में 20 गुना निवेश, आठ गुना रोजगार:रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य गठन के समय 14,163 औद्योगिक इकाइयां थीं, जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 73,961 हो गईं. राज्य गठन के बाद 20 वर्षों में उद्योगों में पांच गुना से अधिक की वृद्धि हुई. 20 गुना निवेश बढ़ा और रोजगार में आठ गुना की वृद्धि हुई. 2022 तक राज्य में सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योगों में 3,82,431 और बड़े उद्योगों में 1,11,451 लोगों को रोजगार मिला.

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3.53 लाख से अधिक रोजगार का प्रस्ताव: उद्योगों के लिए 601 एमओयू हो चुके हैं, जिनमें 1,24,366 करोड़ का निवेश होना है और 3,53,924 लोगों को रोजगार की संभावना है. इसमें से 7180 इकाइयों को मंजूरी मिल चुकी है, जिनमें 39,477 करोड़ का निवेश होगा और 1,76,561 लोगों को रोजगार मिलेगा. भले ही केंद्र व राज्य सरकार तमाम ऐसी स्वरोजगार की योजनाएं चला रही हों, जिनमें बैंक से लोन की जरूरत होती है, लेकिन उत्तराखंड के बैंक लोन देने में आनाकानी कर रहे हैं.

इस वजह से प्रदेश में ऋण-जमा अनुपात महज 47 फीसदी है, जबकि आरबीआई के मानकों के हिसाब से यह 60 फीसदी होना ही चाहिए. आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, प्रदेश में ऊधमसिंह नगर का ऋण-जमा अनुपात सबसे अधिक 103 प्रतिशत, चमोली का 70 प्रतिशत, हरिद्वार का 66 प्रतिशत है. जबकि पौड़ी, अल्मोड़ा और बागेश्वर का 26-26 प्रतिशत है. देहरादून का 35 प्रतिशत, उत्तरकाशी का 52 प्रतिशत, टिहरी का 32 प्रतिशत, रुद्रप्रयाग का 28 प्रतिशत, पिथौरागढ़ का 45 प्रतिशत, चंपावत का 34 प्रतिशत, नैनीताल का 41 प्रतिशत है. कुमाऊं मंडल के छह जिलों का ऋण-जमा अनुपात आरबीआई के 60 फीसदी के मानक के करीब 58 फीसदी है, जबकि गढ़वाल मंडल के सात जिलों का ऋण-जमा अनुपात महज 42 फीसदी है.

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में 95 ब्लॉक में से 81 ब्लॉक चिह्नित किए जा चुके हैं. जबकि चार में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत शेड निर्माण पूरा हो चुका है. दो ब्लॉक में काम शुरू हो चुका है. इन सभी ब्लॉक में पंचायती राज विभाग के माध्यम से कॉम्पैक्टर लगाए जाएंगे, जिससे प्लास्टिक कचरे की ईंट या अन्य सामग्री बनाई जा सकेगी. आधा बजट ही खर्च कर पाये पेयजल विभाग के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2,374.16 करोड़ का बजट स्वीकृत किया है. जिसमें से 2,252.05 करोड़ रुपये जारी हुए हैं. इसमें से 1,224.29 करोड़ ही खर्च हुआ.

Last Updated : Jun 18, 2022, 2:51 PM IST

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