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दलित भोजनमाता विवाद: CM धामी ने दिए जांच के आदेश, कुप्रथा के खिलाफ सरकार चलाएगी जागरुकता अभियान

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Published : Dec 24, 2021, 8:23 AM IST

Updated : Dec 27, 2021, 8:28 PM IST

चंपावत जिले के राजकीय इंटर कॉलेज सुखीढांग में दलित भोजनमाता की नियुक्ति पर विवाद बढ़ने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जांच कर भोजनमाता की नियुक्ति को अवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है. अब जल्द विज्ञप्ति जारी कर नए सिरे से भोजनमाता की नियुक्ति की जाएगी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जांच के आदेश दिए हैं.

GIC Sukhidhang champawat
GIC सुखीढांग

चंपावत:जिले के सुखीढांग स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में अनुसूचित जाति की महिला को भोजनमाता नियुक्त (GIC Sukhidhang Bhojanmata appointment case) किए जाने के बाद छात्र-छात्राओं का भोजन करने से इनकार करने का मामला सामने आया था. वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जांच कर भोजनमाता की नियुक्ति को अवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है. अब जल्द विज्ञप्ति जारी कर नए सिरे से भोजनमाता की नियुक्ति की जाएगी.

वहीं, इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का भी बयान आया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा है कि छात्रों ने चंपावत के एक सरकारी स्कूल में 'भोजनमाता' (रसोइया) द्वारा बनाया गया खाना खाने से इनकार किया है. इसके साथ ही छात्र अपने घरों से खुद का खाना ला रहे हैं. डीआईजी कुमाऊं डॉ नीलेश आनंद भरणे को मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

कुप्रथा के खिलाफ सरकार चलाएगी जागरुकता अभियान.

ये है पूरा मामला: शिक्षा विभाग की जांच में पाया गया कि पहले सामान्य जाति की महिला की नियुक्ति होनी थी. बाद में अनुसूचित जाति की महिला को भोजनमाता नियुक्त कर दिया गया. इससे विवाद पैदा हो गया. विद्यालय (Govt Inter College Sukhidhang champawat) में स्कूल मैनेजमेंट कमेटी और पीटीए की ओर से पहले परित्याग महिला पुष्पा भट्ट को भोजनमाता नियुक्त किया गया था. इससे पहले कि पुष्पा भट्ट कार्यभार लेतीं विद्यालय प्रशासन ने अनुसूचित जाति की महिला को भोजनमाता नियुक्त कर उसे कार्यभार भी सौंप दिया. इससे पीटीए अध्यक्ष नरेश जोशी और अभिभावक नियुक्ति के खिलाफ खड़े हो गए. वहीं अनुसूचित जाति की महिला को भोजनमाता बनाए जाने से सवर्ण जाति के बच्चों ने स्कूल में उसके हाथ का बनाया भोजन खाना बंद कर दिया था.

मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग और प्रशासन में खलबली मच गई थी. जांच बैठाई गई. जांच एडी बेसिक अजय नौटियाल, मुख्य शिक्षा अधिकारी आरसी पुरोहित और बीईओ अंशुल बिष्ट ने की. मामले की जांच कर रहे चंपावत के मुख्य शिक्षा अधिकारी आर सी पुरोहित ने बताया कि दोनों पक्षों को सुनने और अभिलेखों की जांच में भोजनमाता की नियुक्ति अवैधानिक पाई गई है. इस पर नियुक्ति को रद्द कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि अब जल्द नए सिरे से विज्ञप्ति जारी कर भोजनमाता की नियुक्ति होगी.

उधर, इस बारे में जब स्कूली बच्चों से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता ने अनुसूचित जाति की महिला के हाथ से बना खाना खाने को मना किया था, क्योंकि उनके यहां देवता आते हैं.

पढ़ें:GIC सुखीढांग में भोजन माता की नियुक्ति का विवाद सुलझा, अब नए सिरे से होगी तैनाती

वहीं, सुखीढांग के उपजिलाधिकारी हिमांशु कफलटिया ने बताया कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने जागरुकता अभियान चलाने का फैसला लिया है, जिससे स्थानीय ग्रामीण जनता को विश्वास में लेकर कु-प्रथाओं को मिटाया जा सके.

भोजन माता की नियुक्ति अवैधः चंपावत मुख्य शिक्षा अधिकारी आरसी पुरोहित (Champawat CEO RC Purohit) ने बताया कि एसएमसी और पीटीए की खुली बैठक आयोजित की गई, जिसमें दोनों पक्षों को सुनने और अभिलेखों की जांच में भोजनमाता की नियुक्ति अवैध पाई गई. इस नियुक्ति को रद्द कर दिया गया. अब नए सिरे से भोजनमाता की नियुक्ति करने का आदेश जारी किया गया है.

Last Updated : Dec 27, 2021, 8:28 PM IST

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