उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

...तो क्या टूट जाएगा काशी से गंगा का नाता!

धर्मनगरी काशी में मोक्षदायिनी मां गंगा का अब वह स्वरूप देखने को नहीं मिल रहा, जो शायद आज से कुछ वर्षों पहले देखने को मिलता था. हालात यह है कि गंगा दिन-प्रतिदिन सूखती जा रही है. आज गंगा में पानी गायब हो गया है और रेत के टीले निकल कर सामने आ गए हैं. अब यह डर सताने लगा है कि क्या काशी से गंगा का नाता टूट जाएगा?

गंगा दशहरा पर सूखी हुई नजर आई मां गंगा.

By

Published : Jun 12, 2019, 11:12 AM IST

वाराणसी:आज गंगा दशहरा का पर्व है. वो दिन जब मां गंगा लोगों को मोक्ष देने के लिए देवलोक छोड़कर धरती पर आई थी. लेकिन अब यही मोक्षदायिनी आज खुद मोक्ष की तलाश में है. शास्त्रों में भी वर्णन है कि गंगा के महज स्पर्श मात्र से लोगों को जन्म-जन्म के पापों से मुक्ति मिल जाती है, लेकिन आज यही मोक्षदायिनी मां गंगा कागजों में फंसकर अपने मोक्ष का इंतजार कर रही हैं. शायद यही वजह है कि गोमुख से निकलकर पहाड़ों के रास्ते मैदानी इलाके तक आने वाली गंगा में अब पानी लगातार सूखता जा रहा है.

गंगा दशहरा पर सूखी हुई नजर आई मां गंगा.

सूख रही मोक्षदायिनी मां गंगा

  • भीषण गर्मी में जून के महीने में गंगा के जल स्तर में कमी आई है.
  • केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो 2015 में गंगा का न्यूनतम जलस्तर 58.67 मीटर था, जबकि 2016 में यह 58.52 मीटर रिकॉर्ड किया गया.
  • साल 2017 में गंगा का जलस्तर घटकर 58.27 मीटर रह गया.
  • साल 2018 में गंगा का जलस्तर आठ सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया और यह 58.1 मीटर रिकॉर्ड हुआ, जो 2010 के 57.16 मीटर के बाद न्यूनतम स्तर पर था.
  • 22 मई 2018 को केंद्रीय जल आयोग ने गंगा का जलस्तर बनारस में 57.84 मीटर रिकॉर्ड किया, जो इसी तारीख को पिछले साल 2017 में 58.33 मीटर दर्ज किया गया था.
  • केंद्रीय जल आयोग के आंकड़े से स्पष्ट हो रहा है कि गंगा नदी लगातार सूख रही है.
  • अगर इस साल महज तीन दिनों में गंगा के जलस्तर के आंकड़ों पर नजर डालें तो 9 जून को गंगा का जलस्तर 58.28 मीटर, 10 जून को 58.26 मीटर और 11 जून को 58.24 मीटर पर पहुंच गया.
  • इस बारे में यूपीए सरकार में गंगा निर्मलीकरण के लिए बनाई गई गंगा बेसिन अथॉरिटी के सदस्य रह चुके काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और नदी वैज्ञानिक बीडी त्रिपाठी का कहना है कि चार कारणों से गंगा का जलस्तर तेजी से घट रहा है.

पहला कारण है- हरिद्वार में नदियों को बांध में बांध कर रखना. 98 प्रतिशत जल वहीं पर रोक देने की वजह से गंगा में पानी रह नहीं गया है. जो पानी बचकर आगे आ भी रहा है, उसका इस्तेमाल दूसरे राज्यों की पानी की किल्लत को दूर करने के लिए किया जा रहा है. इसके अलावा सिंचाई के लिए भी कई राज्यों में गंगा के पानी का खूब दोहन हो रहा है. इसके अलावा चौथा और महत्वपूर्ण कारण है- ग्राउंड वाटर लेवल के कम होने के बाद गंगा के पानी के बल पर इस को ऊपर उठाने की कोशिश किया जाना. यानि इन वजहों से गंगा का जलस्तर लगातार कम हो रहा है, जो निश्चित तौर पर चिंता का विषय है. यही वजह है कि पहले कानपुर, इलाहाबाद और वाराणसी में लगातार गंगा घाटों से दूर हो रही है. गंगा में रेत के टीले निकल आ रहे हैं जो आने वाले वक्त में गंगा के अस्तित्व को लेकर ही गंभीर परिणाम दिखा सकते हैं.

- प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी, नदी वैज्ञानिक

आंकड़ों या फिर प्रतिशत के फेर में फंसा कर कोई मंत्री या अधिकारी गंगा को स्वच्छ व निर्मल नहीं बता सकता है. सिर्फ केमिकल के बल पर कुंभ के दौरान गंगा के पानी को साफ कर देने मात्र से ही गंगा स्वच्छ नहीं होगी. इसके लिए प्रयास करने होंगे और बार-बार यह कह कर अपना पल्ला झाड़ देना कि कितने प्रतिशत गंगा साफ हो गई है तो उचित नहीं है. इसलिए बेहतर यह है कि मोदी सरकार में मंत्री प्रतिशत में नहीं, बल्कि पूर्ण रूप से गंगा की स्वच्छता और निर्मलता पर ध्यान दें.
- स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती, महामंत्री, गंगा महासभा

ABOUT THE AUTHOR

...view details