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वाराणसी में है एक और विश्वनाथ मंदिर, जिसकी ऊंचाई जानकर रह जाएंगे हैरान

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Published : Aug 9, 2023, 1:16 PM IST

धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है. इस ऐतिहासिक शहर में कई पुराने और रहस्यमयी मंदिर हैं लेकिन, आज हम जिस मंदिर के बारे आप को बताना चाहते हैं, वह इन सब से बिल्कुल अलग है. आईए जानते हैं इस मंदिर के बारे में.

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वाराणसी के एक और विश्वनाथ मंदिर पर विस्तृत रिपोर्ट.

वाराणसी: यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ धाम के बाद एक और काशी विश्वनाथ मंदिर है. यह मंदिर पूर्वांचल की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी कहे जाने वाली काशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्थापित है. बीएचयू में इस मंदिर को बीटी के नाम से भी जाना जाता है. लोग इसको बिरला टेंपल कहते हैं. मंदिर की खासियत यह है कि इसकी ऊंचाई दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ज्यादा बताई जाती है. मंदिर से कई किलोमीटर बने मकानों की छत या ऊंची जगहों से इस मंदिर का शिखर दिखाई देता है.

भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1916 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. इस मंदिर को छात्रों के ज्ञान का केंद्र माना गया. तब महामना ने 1931 में तपस्वी स्वामी कृष्णम से इसकी आधारशिला रखवाई. हालांकि, मंदिर कई खण्डों में निर्माण हुआ. बीएचयू काशी विश्वनाथ मंदिर की बात करें तो यह मंदिर द्रविड़ और नागर सभ्यता वास्तु शैली पर आधारित है. इस मंदिर का निर्माण कई वर्ष में और कई खंड में हुआ.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय का प्रवेश द्वार

जानकारी के अनुसार मार्च 1931 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के निवेदन के बाद उस समय के तपस्वी स्वामी कृष्णम ने मंदिर की आधारशिला रखी. उसके बाद उद्योगपति जुगल किशोर बिरला ने सन 1954 में इसके निर्माण का काम पूरा कराया. हालांकि, उस वक्त भी मंदिर के शिखर का काम पूरा नहीं हो पाया. उसके बाद 1962 में यह मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हुआ.

सफेद संगमरमर से बना है मंदिरःमंदिर पूरे सफेद संगमरमर के पत्थरों से बना हुआ है. मंदिर काफी विशालकाय प्रांगण में स्थित है. मंदिर के ऊपर 10 कलश स्थापित हैं जो देश विदेश से पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. शाम होते ही मंदिर की रोशनी लाइटिंग के माध्यम से और भी खूबसूरत लगती है. आज भी विश्वविद्यालय के विश्वनाथ मंदिर में आप चले जाएंगे तो कहीं पर छात्र आपको वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते नजर आएंगे तो कहीं पर कुछ छात्र संगीत के अभ्यास को करते दिखेंगे. एक तरफ हवन कुंड बना है तो दूसरी तरफ पार्क बना है. बाहर से भी लोग मंदिर घूमने के लिए आते हैं.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्थित मंदिर भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय की परिकल्पना है

आस्था का केंद्र है मंदिरःमहामना के बगिया में स्थापित यह मंदिर आस्था का भी केंद्र है. लोग दूर-दूर से सावन में बाबा का दर्शन करने और जल चढ़ाने के लिए आते हैं. वहीं शिवरात्रि पर यहां पर विशेष भीड़ होती है. सीर गोवर्धनपुर गांव के लोग का मंदिर के प्रति आस्था है. विश्वविद्यालय परिसर में उनके बहुत से मंदिर हैं. यही वजह है कि मंदिर में भी लाखों लोग सावन के समय में दर्शन करने के लिए आते हैं.

मदन मोहन मालवीय की परिकल्पना है मंदिरःप्रोफेसर डॉ. प्रवीण सिंह राणा ने बताया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में मंदिर की परिकल्पना भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने की थी. 1931 से शुरू होकर 1962 में उनकी परिकल्पना साकार हुई. महामना जानते थे कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय पढ़ाई का एक बहुत बड़ा केंद्र होगा और जब कोई पढ़ने आएगा तो पूजा पाठ करके ही अपनी पढ़ाई शुरू करेगा. अगर हम लेआउट की बात करें तो काशी हिंदू विश्वविद्यालय में विश्वनाथ मंदिर एकदम केंद्र में है और माना जाता है जो केंद्र में होता है उसका प्रकाश चारों तरफ होता है. केंद्र में मंदिर दिखता है और चंद्राकार विश्वविद्यालय दिखता है. महामना की यह भी सोच थी कि सभी छात्र भगवान के समक्ष परीक्षा देंगे.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्थापित मंदिर.

मंदिर 252 फीट ऊंचा हैःप्रोफेसर ने बताया बनारस की काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विश्वनाथ मंदिर का शिखर सबसे ऊंचा है. यह शिखर 252 फीट लंबा है और अगर हम पूरे मंदिर की लंबाई की बात करेंगे तो जो चतुर्भुज मंदिर मध्य प्रदेश के ओरछा में स्थित है उसकी पूरी लंबाई 344 है, उस मंदिर का शिखर 240 फीट लंबा है. मंदिर सर्व धर्म को प्रजेंट करता है. मंदिर में किसी को भी आने-जाने की अनुमति है. मंदिर के केंद्र में शिव हैं लेकिन मंदिर के चारों तरफ वेद की शिक्षा, बौद्ध शिक्षा, जैन शिक्षा, हर शिक्षा के बारे में सारी चीजें लिखी गई हैं. कोई भी व्यक्ति यहां पर आकर धर्म और दर्शन की शिक्षा प्राप्त कर सकता है. यह मंदिर सर्व धर्म की बात करता है.

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