गंगा महासभा के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने टेंट सिटी और क्रूज पर नाराजगी जताई. वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में दो साल बाद रविवार को गंगा महासभा की बैठक हुई. जिसमें देशभर के पदाधिकारी वह सदस्य शामिल हुए. बैठक में गंगा महासभा द्वारा गंगा प्रदूषण समेत कई मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पत्राचार करने की बात कही गई. इसके साथ ही तीर्थाटन के स्थलों को पर्यटन स्थल में तब्दील करने व वहां निषेध कार्यों को भी किए जाने को लेकर सदस्यों ने अपनी नाराजगी जाहिर की.
बैठक वाराणसी के छोटी गैबी स्थित मठ में संपन्न हुई. बैठक में जिन प्रमुख मुद्दों पर गंगा महासभा ने आपत्ति दर्ज कराई, उसमें गंगा उस पार बनी टेंट सिटी, गंगा में चल रहे क्रूज और इसके साथ ही समस्त घाटों के धसने के मुद्दे शामिल रहे. बड़ी बात यह है कि, महासभा के द्वारा आगामी दिनों में गंगा के किनारे बनाए जाने वाली फोरलेन सड़क पर भी आपत्ति दर्ज कराई गई है. महासभा का कहना है कि, यह फोरलेन सड़क ना सिर्फ घाटों की खूबसूरती को खराब करेगी, बल्कि यह गंगा घाटों के लिए एक बड़ा खतरा भी बनेगी.
गंगा महासभा पीएम मोदी को लिखेगी पत्र, देगी प्रेजेंटेशन
महासभा के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि, गंगा के किनारे रेत जमने के साथ ही फोर लेन बनाने की बात हो रही है. अगर ऐसा हुआ तो काशी के घाटों को नष्ट होने से कोई नही बचा सकता. इस बात पर महासभा ने चिंता जाहिर की है. उन्होंने इस मुद्दे पर पीएम मोदी से पत्राचार करने की बात कही है. कहा कि आने वाले 15 दिन में प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर इससे अवगत कराया जाएगा. इसके साथ ही एक प्रेजेंटेशन भी प्रधानमंत्री के समक्ष रखा जाएगा.
तीर्थ मंत्रालय बनाने की सरकार से मांग
स्वामी जितेंद्र नंद सरस्वती ने टेंट सिटी और गंगा में चलने वाले क्रूज पर भी आपत्ति दर्ज कराई है. उन्होंने कहा कि, यह नया तम्बू का शहर धार्मिक यानी तीर्थ क्षेत्र के लिए चारित्रिक नहीं है. गंगा किनारे ऐसा नहीं होना चाहिए. इसके लिए उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस नगरी को तीर्थाटन नगरी घोषित किया जाए, यदि ऐसा होगा तो ये सारी चीजें नहीं होंगी. इसलिए जल्द से जल्द सरकार को एक तीर्थ मंत्रालय भी बनाना चाहिए, जो यह निर्धारित करे कि, तीर्थ सर्च स्थलों पर क्या निषेध है और किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए.
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