उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

काशी-तमिल संगमम से दक्षिण में खिलेगा कमल? पीएम मोदी के संबोधन में दक्षिण भारत पर जोर

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 19, 2023, 12:45 PM IST

सोमवार को वाराणसी में पीएम मोदी के संबोधन में दक्षिण भारत पर विशेष जोर दिया गया. जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi in Varanasi) ने दक्षिण में धर्म और आध्यात्म के सहारे से अपनी पकड़ मजबूत बनानी शुरू कर दी है.

Etv Bharat
Etv Bharat

वाराणसी: काशी-तमिल संगमम. ये संगम कोई सामान्य संगम नहीं है. ये तालमेल है देश के एक छोर के लोगों का दूसरे छोर के लोगों से. इसे अलग तरीके से कहें को यह कह सकते हैं कि उत्तर भारत के लोगों का दक्षिण भारत के लोगों से मिलना. काशी-तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam) का दूसरा संस्करण वाराणसी में चल रहा है. यह कार्यक्रम लगातार दूसरे साल चल रहा है. इसकी शरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी (PM Modi in Varanasi ) से की थी. तब से वह सौराष्ट्र-तमिल संगमम जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करा चुके हैं. अब इसका असर राजनैतिक दृष्टि से भी देखने को मिल रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिण में धर्म और आध्यात्म के सहारे से अपनी पकड़ मजबूत बनानी शुरू कर दी है.

वाराणसी में पीएम मोदी के संबोधन में दक्षिण भारत पर विशेष जोर
काशी और तमिल या कहें कि दक्षिण भारत आध्यात्म और धर्म को प्रधानता पर रखता है. ये दोनों की जगहें अपनी संस्कृति और अपनी परंपरा का पूरा सम्मान करना जानती हैं. यही वजह है कि काशी और तमिल की पूजा पद्धतियां काफी मात्रा में मेल खाती हैं. सबसे बड़ी बात कि तमिलनाडु में और काशी में बाबा विश्वनाथ हैं. दोनों ही जगहों पर महादेव की उतनी ही आराधना होती है और उतने ही पूजनीय दोनों ही हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पहल शुरू की, जिसमें तमिल और काशी के लोगों को एक दूसरे की संस्कृतियों और परंपराओं को और भी नजदीक से जानने का मौका मिलता है. ऐसे में भाजपा को इससे राजनैतिक फायदे मिलते भी दिख रहे हैं.
काशी-तमिल संगमम का दूसरा संस्करण वाराणसी में चल रहा है
साउथ में सीटों की लड़ाई सबसे अहम: वाराणसी के राजनैतिक विश्लेषक कहते हैं कि, काशी-तमिल संगमम जरूर दोनों छोर को मिलाने की एक अच्छी कोशिश है, लेकिन यह राजनैतिक भी है. राजनैतिक इस दृष्टि से माना जा सकता है कि इसका पूरा लाभ उनको दक्षिण के चुनावों में मिलता दिख रहा है. जहां पहले कभी तीन सीटें लाने के लिए भाजपा जी-जान लगा देती थी, उस तेलंगाना में उसे 8 सीटें मिल रही हैं. चेन्नई और केरल जैसी जगहों में भाजपा अपना जनाधार तैयार करने में लगी है. इसका एक और फायदा भाजपा को मिलता दिख रहा है और वो है साउथ में उत्तर से जाकर बसे लोगों को अधिकार मिलना. अभी हाल ही में बिहार-यूपी के मजदूरों को मारे जाने की अफवाह भरी खबरों के बीच तमिलनाडु की सरकार को बीच में आना पड़ा था.
काशी-तमिल संगमम की शरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी से की थी
पवित्र संगरूर की स्थापना का काशी में जिक्र: वे बताते हैं कि, अगर राजनैतिक प्रयोग से अलग देखें तो प्रधानमंत्री मोदी साउथ के महान व्यक्तित्व को उत्तर में महत्व देने का पूरा प्रयास करते हैं. ऐसा उनके काशी-तमिल संगमम के कार्यक्रम के भाषण में भी देखने को मिलता है. अपने संबोधन में उन्होंने कहा था, 'एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना उसी समय भी नजर आई जब हमने संसद के नए भवन में प्रवेश किया. नई संसद भवन में पवित्र संगरूर की स्थापना की गई है. अधिनियम के संतों के मार्गदर्शन में यही संगोल 1947 में सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था.' 'तमिल में कहा गया है, 'हर घर हर जल गंगा जल है' और 'भारत का हर भूभाग काशी है'. ये महज पीएम के संवाद नहीं थे, बल्कि दक्षिण की कितनी अहमियत भाजपा के लिए है यह भी बताता है.
उत्तर भारत के लोगों को दक्षिण भारत के लोगों से मिलने के लिए काशी-तमिल संगमम
काशी और तमिलनाडु की आस्था का एक ही केंद्र:प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में दक्षिण के महान लोगों का जिक्र काशी में किया. उन्होंने कहा था कि, जब उत्तर में आक्रांताओं द्वारा हमारी आस्था के केद्रों पर, काशी पर आक्रमण हो रहे थे तब राजा पराक्रम पांडे ने तीन काशी और शिव काशी में यह कहकर मंदिरों का निर्माण कराया था और कहा था कि काशी को मिटाया नहीं जा सकता. इस बात का जिक्र कर पीएम मोदी ने यह बताने की कोशिश की तमिल के लोगों ने काशी के लिए कितना प्रयास किया है और काशी का रिश्ता तमिल से है. काशी में शिव और तमिलनाडु में शिव. इन दोनों ही जगहों के शिव श्री विश्वनाथ के रूप में विराजामान हैं. ऐसे में आस्था की राह पर चलकर पीएम ने दोनों छोर को जोड़ने की कोशिश की है.सनातन के रास्ते दक्षिण का मन जीतने की कोशिश: राजनैतिक विश्लेषक बताते हैं कि, आस्था और सनातन के रास्ते पर चलकर पीएम मोदी दक्षिण के लोगों के मन में जगह बनाने का प्रयास जरूर कर रहे हैं. अपने संबोधन में उन्होंने जिक्र किया कि आदि शंकराचार्य और रामानुजाचार्य जैसे संतों ने भारत को एक बनाया है, जिन्होंने अपनी यात्राओं से भारत की राष्ट्रीय चेतना को जागृत किया. तमिलनाडु से आदम संत भी सदियों से काशी जैसे शिव स्थान की यात्रा करते रहे हैं. काशी में कुमार गुरु प्रणिता मंदिरों की स्थापना की थी. इसका सीधा सा मतलब यही है कि काशी यानी उत्तर भारत के लोग दक्षिण के लोगों से दूर नहीं हैं. उन्हें एक दूसरे के साथ आना चाहिए. यही उद्देश्य इस संगमम का है. इसका सीधा फायदा होगा कि पीएम मोदी के लिए अलग राय बनेगी.दक्षिण की युवा पीढ़ी को काशी से जोड़ने की तैयारी:राजनैतिक विश्लेषक कहते हैं कि काशी-तमिल संगमम में बड़ी संख्या में युवा भाग ले रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण के युवाओं को उनकी आस्था की जड़ों से जोड़े रखने का एक प्रयास कर रहे हैं. युवाओं को काशी, प्रयागराज और अयोध्या के सहारे उत्तर भारत के राजनीति से परिचय करा रहे हैं. धर्म के सहारे यह बता रहे हैं कि विकास के साथ ही हम धर्म और आध्यात्म को भी उतना ही महत्व देते हैं. ऐसा कहना भी गलत नहीं होगा कि यही युवा पीढ़ी अपने साथ इस विचारधारा को आगे लेकर बढ़ेगी. जहां आधुनिकता और आस्था एकसाथ मिलेगी. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी का यह प्रयास दक्षिण की राजनीति में पहुंच बनाने के लिए एक बेहतर प्रयास होगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details