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ऐसे होगी काशी की प्रसिद्ध रामलीला, संकट मोचन मंदिर के महंत ने ट्विटर से दी जानकारी

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Published : Oct 7, 2020, 6:39 PM IST

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में होने वाली रामलीला के संदर्भ में निर्णय लिया गया है. गोस्वामी तुलसीदास रामलीला समिति के सभापति और संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र ने घोषणा की कि गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देश का पालन करते हुए रामलीला होगी.

महंत ने दी जानकारी.
महंत ने दी जानकारी.

वाराणसी: धर्म और परंपराओं के शहर बनारस में तमाम ऐसे पर्व और त्योहार हैं, जो वर्षों से अपनी परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. ऐसे में जहां विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला है, वहीं नाटी इमली का भरत मिलाप, तुलसी घाट का नाग नथैया और चित्रकूट रामलीला है. यह कई वर्षों से वाराणसी में होता आ रहा है. वैश्विक महामारी के दौर में गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार ज्यादा भीड़ जुटने वाले सभी पर्व को मनाने से मना कर दिया गया है.

वैश्विक महामारी के दौर में गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा ने रामलीला से संबंध में निर्णय लिया. गोस्वामी तुलसीदास रामलीला समिति के सभापति और संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र ने घोषणा की कि गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देश का पालन करते हुए रामलीला होगी. इसकी जानकारी उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से दी. उन्होंने लिखा कि कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए श्री गोस्वामी तुलसीदास रामलीला समिति ने निर्णय लिया है कि इस वर्ष अयोध्या की लीलाएं तुलसी घाट स्थित तुलसी मंदिर में और वन गमन के बाद की लीलाएं संकट मोचन मंदिर तक ही सीमित रहेंगी, ताकि होम मिनिस्ट्री के गाइडलाइन का पालन हो पाए.

इस बारे में प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र ने बताया कि कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया गया है. लीला स्थलों के लिए समिति ने दो स्थान निर्धारित किए हैं. इस वर्ष अयोध्या की लीला तुलसी घाट स्थित तुलसी मंदिर में और वन गमन के बाद के लिए संकट मोचन मंदिर तक सीमित रहेगी. तुलसी घाट की लीला इस वर्ष 11 अक्टूबर को मुकुट पूजा से शुरू होकर 21 अक्टूबर को शंकर जी के आगमन पूजन के साथ विश्राम लेगी. आम जनता को इस बार लीला में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी. उन्होंने कहा कि प्रयास है कि नियम के तहत परंपराएं जीवित रखें.

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