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जानिए...पौराणिक स्थल महर्षि वाल्मीकि के आश्रम का महत्व

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Published : Oct 21, 2021, 9:38 AM IST

प्रदेश में पौराणिक और धार्मिक स्थलों की कमी नहीं है. इन स्थलों को देखने के लिए देश ही नहीं विदेश से भी लोग आते हैं. उन्नाव जिले में ऐसा ही एक स्थल है परिहर. यह स्थल रामायण काल की कई यादों को संजोए हुए है.

महर्षि बाल्मीकि आश्रम.
महर्षि बाल्मीकि आश्रम.

उन्नाव:उत्तर प्रदेश में ऐसे कई पौराणिक और धार्मिक स्थल मौजूद हैं जो किसी न किसी ग्रंथ से जुड़े होने के कारण इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं तो वहीं कुछ ऐसे भी धार्मिक स्थल हैं जो अभी भी गुमनामी के अंधेरे में कोसों दूर हैं. ऐसा ही एक धार्मिक स्थल उन्नाव जिले के कानपुर से सटा परिहर कस्बे में स्थित है, जो रामायण काल की कई अनोखी घटनाओं को अपने आप में संजोए हुए है.

परिहर में महर्षि वाल्मीकि जी की तपोभूमि लव-कुश की जन्मस्थली है. परिहर कस्बा वह पवित्र स्थान है जहां पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के पुत्र लव-कुश का जन्म हुआ था. यह महर्षि वाल्मीकि का आश्रम भी है जहां पर माता सीता ने अपने जीवन के कई साल बिताए थे. मान्यता तो यह भी है कि महर्षि वाल्मीकि ने यहां पर मौजूद वट वृक्ष के नीचे ही रामायण की रचना भी की थी.

महर्षि बाल्मीकि आश्रम.

जिले में परिहर कस्बे में ही परियर स्थित जानकीकुंड पर लव-कुश और भगवान रामचंद्र जी की सेना के बीच युद्ध हुआ था. इसमें श्रीराम की सेना परास्त हुई थी. यहां आज भी खुदाई के दौरान बाणों के कई सारे फलक मिलते हैं. साथ ही आश्रम के अंदर खड़ा बरगद का पेड़ माता सीता के जीवन के कई पहलुओं की याद दिलाता है और अपने अंत समय में धरती में समा जाने वाला यह स्थान आज भी जानकी कुंड के रूप में मौजूद है.

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उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में स्थित पौराणिक स्थल परिहर कस्बे में है. यह वही पवित्र तीर्थ स्थल है जहां पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम चंद्र के पुत्र लव-कुश का जन्म हुआ था. मान्यता है कि महर्षि बाल्मीकि ने यहां पर मौजूद वट वृक्ष के नीचे रामायण की रचना की थी.

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