भदोही : ग्राम प्रधान और बीडीसी का चुनाव अगर लड़ना है तो संबंधित प्रत्याशी को जमानत राशि जमा करनी पड़ती है. नियम है कि जीत जाए तो राशि वापस कर दिया जाता है. इसके लिए उन्हें 30 दिन के अंदर आवेदन करना पड़ेगा. लेकिन 2015 में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अजीब आंकड़े देखने को मिले हैं. जिले में पंचायत चुनाव के दौरान जमा होने वाले जमानत राशि से सरकार के खाते में 1.66 करोड़ रुपए आए थे. ग्राम प्रधान, बीडीसी इसके अलावा जिला पंचायत के चुनाव हुए थे. हैरत की बात यह है कि 7316 लोगों ने चुनाव जीत भी लिया लेकिन वे समय सीमा के अंदर जमानत राशि वापस करने के लिए आवेदन नहीं किए. ऐसे में खाते में पड़े एक करोड़ 66 लाख रुपये जप्त कर लिए गए.
जीते हुए उम्मीदवारों ने वापस नहीं ली जमानत राशि
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 561 ग्राम प्रधान, 683 बीडीसी, 7045 ग्राम पंचायत सदस्य और 27 जिला पंचायत सीट पर 12,000 से अधिक उम्मीदवारों ने नामांकन किया था. उम्मीदवारों द्वारा एक करोड़ 72 लाख रूपए जमानत राशि के रूप में जमा किए गए थे, जिसमें से 8316 कैंडिडेट ने जीत दर्ज की थी तथा 150 लोगों ने ₹591000 अपनी जमानत राशि वापस लिए थे. सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि जीते हुए कैंडिडेट अपना पैसा वापस लेने के लिए आवेदन तक नहीं किए.
जमानत राशि वापस करने के नियम
चुनाव संपन्न होने के 3 माह के अंदर जमानत राशि वापसी के लिए आवेदन करना होता है. 20 फीसदी से कम वोट पाने वाले प्रत्याशियों की जमानत राशि भी जप्त हो जाती है. सहायक निर्वाचन अधिकारी डीएस शुक्ला ने बताया कि निर्धारित समय के अंदर यदि आवेदन नहीं हुआ तो बची हुई जमानत राशि भी जप्त कर सरकार के खाते में भेज दी जाती है. उन्होंने बताया कि अक्सर स्थितियां होती है कि जीता हुआ उम्मीदवार जमानत राशि के पैसे कम होने के कारण उनके वापसी के लिए आवेदन नहीं करता है. पिछले चुनाव में हमने एक करोड़ ₹66 लाख सरकार के खाते में भिजवाए थे. इस साल भी कमोबेश वैसी ही स्थिति हो सकती है, हालांकि वो इस पर जागरूकता के लिए काम करवा रहे हैं.