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new pension scheme को हाईकोर्ट में चुनौती, राज्य सरकार से जवाब-तलब

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Published : Jan 27, 2023, 8:46 PM IST

राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए लागू नई पेंशन नीति की वैधानिकता को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. चलिए जानते हैं पूरे मामले के बारे में.

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new pension scheme को हाईकोर्ट में चुनौती, राज्य सरकार से जवाब-तलब

प्रयागराज: राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए लागू नई पेंशन नीति की वैधानिकता को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. नई पेंशन योजना के साथ ही साथ अपर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 16 दिसंबर 2022 को जारी शासनादेश को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. इस शासनादेश के द्वारा सरकार ने नई पेंशन योजना नहीं अपनाने वाले कर्मचारियों का वेतन रोकने का निर्देश दिया था.

प्रतापगढ़ के चौधरी मोहम्मद मुदस्सीर व दर्जनों अन्य की याचिकाओं पर न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने अधिवक्ता अनुराग त्रिपाठी को सुनकर यह आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि अगली सुनवाई तक याची गण का वेतन नहीं रोका जाएगा. उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 16 दिसंबर 2022 को शासनादेश जारी कर राज्य सरकार व बेसिक शिक्षा परिषद सहित अन्य सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों अध्यापकों के लिए नई पेंशन योजना को अपनाना अनिवार्य कर दिया था. साथ ही यह भी कहा था कि जो कर्मचारी नई पेंशन योजना के लिए प्रान नंबर नहीं आवंटित करवाएगे उनका वेतन जारी नहीं किया जाएगा. कर्मचारियों की ओर से इस शासनादेश को हाईकोर्ट में तमाम याचिकाएं दाखिल कर चुनौती दी गई है. याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं का वेतन रोके जाने पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

इसी प्रकार के एक अन्य मामले में याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना है कि 28 मार्च 2005 को जारी नई पेंशन नीति के तहत मई 2005 के बाद सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया है. राज्य सरकार ने इन कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना लागू की है. मगर इस नई पेंशन योजना के प्रावधानों से कर्मचारी सहमत नहीं है. इसलिए अधिकांश कर्मचारियों ने नई पेंशन योजना अपनाने से इनकार कर दिया है. अब सरकार यह योजना लागू करवाने के लिए कर्मचारियों का वेतन रोकने व उन पर दबाव बनाने का प्रयास कर रही है। कोर्ट ने उन कर्मचारियों को राहत दी है जिन्होंने 16 दिसंबर 22 के शासनादेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

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