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प्रयागराज के एसआरएन हॉस्पिटल में बाइफरकेशन एंजियोप्लास्टी शुरू, हार्ट मरीजों के लिए वरदान

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Published : Jun 23, 2022, 5:30 PM IST

etv bharat

प्रयागराज के स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में हार्ट के मरीजों के लिए बाइफरकेशन एंजियोप्लास्टी की सुविधा शुरू की गई है. बाइफरकेशन एंजियोप्लास्टी को मिनी क्रश टेक्निक का इस्तेमाल करके किया जाएगा.

प्रयागराज: जिले के स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में हार्ट के मरीजों के लिए बाइफरकेशन एंजियोप्लास्टी सर्जरी शुरू हो गई हैं. एंजियोप्लास्टी सर्जरी के जरिये कौशांबी के रहने वाले मरीज के हार्ट को ब्लॉकेज से मुक्ति दिलवायी गयी. मंडल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में इस इलाज का 90 हजार रुपये तक का खर्च आया. जबकि इसी इलाज के लिए दिल्ली- मुंबई जैसे बड़े शहरों में 8 से 9 लाख रुपये तक का खर्च आता है. शहर में शुरू हुए इस इलाज से गरीब मरीजों को फायदा होगा.

एसआरएन हॉस्पिटल में शुरू हुई बाइफरकेशन एंजियोप्लास्टी
कम कीमत में शुरू हुई बाइफरकेशन एंजियोप्लास्टी:मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक सचदेवा ने अपनी टीम के साथ मिलकर अस्पताल में पहली बाइफरकेशन एंजियोप्लास्टी की सफल सर्जरी की. डॉ. अभिषेक सचदेवा का कहना है कि ये तकनीक जिले के लोगों के लिए वरदान साबित होगी. अब तक इस सर्जरी के लिए लोगों को बड़े शहरों के चक्कर लगाने पड़ते थे. साथ ही लाखों रुपये भी खर्च करने पड़ते थे. लेकिन अब अपने जिले में ही कम पैसो में लोग बाइफरकेशन एंजियोप्लास्टी करवा सकेंगे. एसआरएन अस्पताल में हुए इस सफल बाइफरकेशन एंजियोप्लास्टी को मिनी क्रश टेक्निक का इस्तेमाल करके किया गया है. इसके दो दिन बाद ही मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर घर भी भेज दिया गया है.इसे भी पढ़े-राजधानी लखनऊ के सिविल अस्पताल में सफलतापूर्वक हुई मरीज की सिस्टोस्कोपी सर्जरी

क्या होती है बाइफरकेशन एंजियोप्लास्टी:डॉक्टर अभिषेक सचदेवा ने बताया कि कई बार हार्ट में ऐसी ब्लॉकेजेस हो जाती है जो कि दो बड़ी नसों को जड़ से ही खराब करती है. ऐसे में डॉक्टर अगर किसी एक नस को ठीक करने की कोशिश करते हैं तो दूसरी नस जिंदगी भर के लिए बीमार हो जाती है. बाइफरकेशन एंजियोप्लास्टी के जरिये मरीज की दोनों नसों को एक साथ सही करके स्वस्थ कर दिया जाता है. मेडिकल क्षेत्र में बाइफरकेशन एंजियोप्लास्टी का चलन भी बढ़ने लगा है. बाइफरकेशन एंजियोप्लास्टी सिंपल एंजियोप्लास्टी नहीं होती है. ये कॉम्प्लेक्स एंजियोप्लास्टी सर्जरी होती है. इसे करना अभी थोड़ा मुश्किल है. लेकिन इसके जरिये मरीज को ज्यादा लाभ होता है. यही वजह है की धीरे-धीरे इस तकनीक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ेगा और मरीजों का भला होगा. उन्होंने बताया कि बाइफरकेशन टेक्निक का इस्तेमाल करते हुए मरीज के दोनों नसों की एक ही स्थान पर हुई ब्लॉकेज को सही किया जाता है.

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