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संगम में हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर आता है यह खास मेहमान, बढ़ जाती है मेले की रौनक

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Published : Nov 23, 2021, 12:29 PM IST

प्रयागराज में माघ मेले के आयोजन में देश-विदेश के अलग-अलग कोने से श्रद्धालु पहुंचते हैं. इसी क्रम में माघ मेले से ठीक पहले सात समुंदर पार करके संगम में साइबेरिया पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है. इस दिनों सबेरियन पक्षियों अपना डेरा संगमनगरी में जमा लिया है. जिससे यहां की रौनक बढ़ गई है.

साइबेरिया पक्षियों.
साइबेरिया पक्षियों.

प्रयागराज:विश्व भर में धर्म नगरी कहे जाने वाले प्रयागराज के संगम तट पर तंबुओं की नगरी सजने में अब कुछ ही महीने बचे हैं, लेकिन हर साल मेले से पहले हजारों किमी दूर से उड़कर आने वाले प्रवासी परिंदों का बहुत बड़ा झुंड संगम पहुंच चुका है. इस बार पक्षियों की तादाद भी कुछ ज्यादा ही दिख रही है. वहीं, संगम पर आने वाले तीर्थयात्रियों और सैलानियों को ये पक्षी काफी लुभाने लगे हैं. सुबह उगते सूर्य की चमकीली किरणें जिस तरह संगम के जल के साथ मिलकर इंद्रधनुषी छटा बिखेरती है. उसी तरह प्रवासी मेहमान संगम की शोभा बढ़ाते दिखाई दे रहे हैं.

हर वर्ष साइबेरियन पक्षियों के प्रयागराज के संगम तट पर जमघट देखने को मिलता है. साइबेरियन पक्षियों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. इन पक्षियों की खास बात यह है कि पर्यटक इन्हें नमकीन खिलाते हैं जिसे खाने के लिए यह पक्षी झुंड में लोगों के पास आ जाते हैं.

जानकारी देते पंडा और नाविक.

परिंदों के कलरव से गुलजार

श्रद्धालुओं से भरी नावों के इर्द-गिर्द आहार के लिए अठखेलियां करते साइबेरियन पक्षी बरबस ही लोगों का मनमोह ले रहे हैं. हजारों किमी का सफर तय करके संगम तट आए ये पक्षी बिल्कुल प्रवासी नहीं लग रहे. धारा में उनकी अठखेलियां देखकर ऐसा लगता है कि मानो संगम की लहरें ही उनका बसेरा हैं. वहीं, सैलानी उन्हें मेहमान पक्षी मानकर उनका स्वागत लाई, बेसन से बनी सेव और पपड़ी से कर रहे हैं. पक्षी भी यह आहार बड़े चाव से खाते दिख रहे हैं. लोग उनकी खूबसूरती के साथ खुद को भी कैमरे में कैद करते नजर आ रहे हैं. अधिक बर्फबारी के कारण साइबेरिया से अपना आशियाना छोड़कर आए प्रवासी मेहमान मार्च के बाद अपने-घर को लौट जाते हैं.

संगम घाट के पांडा ने बताया कि ठंड की शुरुआत होते ही संगम में साइबेरिया पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है. साईबेरियन पक्षी हर वर्ष यहां पर आती हैं और पूरे 3 माह तक संगम में रहती हैं. पक्षियों का स्वगात प्रयागराज की जनता बड़े ही खुशी के साथ करती है. सात समुंदर पार करके साइबेरिया से आए हुए इन पक्षियों को श्रद्धालु पूरे तन, मन से दाना खिलाते हैं.

साइबेरिया से आने वाले इन विदेशी पक्षियों को देखने दूर-दूर से श्रद्धालु संगमनगरी पहुंचते हैं. नवंबर महीने से लेकर फरवरी तक संगम घाट की रौनक बढ़ी रहती है. पक्षियों को दाना, पानी और खाने की सामग्री देने के लिए श्रद्धालु नाव की सवारी करते हैं. साइबेरिया पक्षी स्वगात भक्त बड़े ही उत्साह के साथ करते हैं.

माघ मेले की बढ़ाती है रौनक

3 माह तक संगम की रेती में अपना ठिकाना बनाने वाली यह साइबेरियन पक्षी माघ मेले की भी रौनक बढ़ाती है. जनवरी माह में लगने वाले माघ मेले में दूर-दूर से पहुंचने वाले भक्तों के लिए ये साइबेरियन पक्षी आकर्षण का केंद्र होते हैं.

प्रवासी पक्षियों से मिलता है रोजगार

संगम में साइबेरियन पक्षियों के आने से काफी लोगों को रोजगार भी मिलता है. बेसन का सेव, लाई आदि आहार लोग घाट के किनारे और नाव पर बैठकर श्रद्धालुओं को बेच कर अपना परिवार चलाते हैं.

सेव, लाई या कुछ अन्य दाने खिलाने के दौरान साइबेरियन पक्षी आपकी एक आवाज पर उड़कर चले आते हैं और आपके आसपास ही मंडराने लगते हैं और दाना खाकर उड़ जाते हैं. यह नजारा कुछ ऐसा होता है मानो पक्षी आपसे संवाद करते हों.

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