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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य सेविकाओं की भर्ती मामले में राज्य सरकार से मांगा जवाब

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Published : Oct 16, 2022, 9:36 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य सेविकाओं की भर्ती मामले में राज्य सरकार से छह सप्ताह में जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने मुख्य सेविकाओं की भर्ती से पड़ने वाले वित्तीय बोझ का भी विवरण मांगा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य सेविकाओं की भर्ती के मामले में राज्य सरकार से छह सप्ताह में जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने मुख्य सेविकाओं की भर्ती से पड़ने वाले वित्तीय बोझ का भी विवरण मांगा है. हाईकोर्ट ने पूछा है कि इस पद पर पहले से कार्यरत मुख्य सेविकाओं के नियमित करने से कितना वित्तीय बोझ पड़ेगा. इसकी भी जानकारी देनी होगी, क्योंकि विभाग के निदेशक ने 2018 में शासन को भेजे प्रस्ताव में कहा है कि नियमितीकरण करने से कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा. हाईकोर्ट ने कहा कि मामले में संयुक्त सचिव बाल विकास एवं पुष्टाहार के स्तर से नीचे रैंक वाले अधिकारी का जवाबी हलफनामा नहीं होना चाहिए.

यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा ने अनीता सिंह और 75 अन्य की याचिका पर दिया है. याचियों का कहना है कि वे 2003 से बतौर मुख्य सेविका काम कर रही हैं. 2018 में नियमितीकरण के लिए उन्होंने निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार के समक्ष प्रत्यावेदन दिया था. निदेशक ने उसे शासन को भेज दिया था. लेकिन, शासन ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया. इसके उलट शासन ने मुख्य सेविकाओं के 2693 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया है.

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उसमें 126 पदों पर बतौर मुख्य सेविका काम कर रहीं याचियों के पद भी शामिल हैं. याचियों ने नियमितीकरण की मांग की है. अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि शासन ने याचियों के प्रत्यावेदन निरस्त कर दिए हैं क्योंकि, वे नियमितीकरण नियम-2016 के मानदंडों को पूरा नहीं कर रहीं हैं. इस संबंध में याचियों को सूचित भी कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि याचियों की ओर से भर्ती प्रक्रिया को चुनौती नहीं दी गई है. केवल नियमितीकरण की मांग की गई है.

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