प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि यूपी नगर पालिका अधिनियम 1916 किसी भी नगर पालिका को किसी दुकान के किराए की बकाया राशि को भू-राजस्व के बकाए के रूप में वसूलने का अधिकार नहीं देता है. यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय एवं न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने मंजीत सिंह व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दी.
याचिका में बरेली की बहेड़ी नगर पालिका परिषद के कार्यकारी अधिकारी ने कलेक्टर को भेजे गए वसूली प्रमाणपत्रों को चुनौती दी थी. ये वसूली प्रमाण पत्र याचियों से बकाया किराया की वसूली के लिए जारी किए गए थे. याचिका में कहा गया था कि नगर पालिका उन्हें आवंटित दुकान का बकाया किराया, केवल अधिनियम 1916 की धारा 292 के तहत वसूल सकती है. इसमें कहा गया कि भूमि पर किराया बकाया नहीं है और याचियों द्वारा देय किराया टैक्स नहीं है. इसलिए किसी भी बकाया को धारा 173-ए या धारा 291 के तहत भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूल नहीं किया जा सकता है.
इसके साथ ही अधिनियम 1916 के अध्याय-छह के तहत धारा 167 की आवश्यकता को पूरा करने वाले बिल को पहले लेना नगरपालिका पर निर्भर था. याचियों के उक्त बिल को पूरा करने में विफल रहने पर मांग का नोटिस जारी किया जाना था. यदि याची मांग नोटिस के अनुसार भुगतान करने में विफल रहे, तो बकाया राशि केवल अधिनियम 1916 की धारा 169 के तहत वारंट जारी कर वसूली जा सकती है. वारंट को केवल बकाए दार की चल संपत्ति की बिक्री अधिनियम 1916 की धारा 170, 171 और 172 के तहत निर्धारित तरीके से निष्पादित की जा सकती है.