प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court on GDA) ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष से पूछा है कि जीडीए के होते हुए बिल्डर ने कैसे अवैध रूप से 134 फ्लैट बना लिए. कोर्ट ने फ्लैट निर्माण की निगरानी करने वाले अफसरों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करने का आदेश देते हुए रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कार्रवाई के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने मदन मोहन चौधरी की अवमानना याचिका पर दिया है.
इसके पहले अवमानना याचिका पर जीडीए (Ghaziabad Development Authority) के उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह कोर्ट ने पेश हुए और हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि विवादित मामले में 536 फ्लैटों का नक्शा पास किया गया था. नक्शे में बदलाव करके बड़े फ्लैटों को छोटे फ्लैटों में तब्दील करके 134 अतिरिक्त फ्लैटों का निर्माण किया गया. उन्होंने यह भी बताया कि फ्लैट निर्माण करने वाले बिल्डर ने संशोधित नक्शे को समायोजित करने के लिए जीडीए के समक्ष अर्जी दी थी लेकिन जीडीए ने उसे निरस्त कर दिया है.
इस पर बिल्डर (Allahabad High Court on 34 illegal flats) ने राज्य सरकार के समक्ष पुनर्विचार अर्जी दाखिल की जो लंबित है. हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने ऐसे ही मामले में एक आदेश किया है कि पुनर्विचार अर्जी लंबित होने पर बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती. इसलिए बिल्डर के खिलाफ अभी कोई नहीं की जा सकी है. इस पर याची की ओर से कहा गया कि लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार को ऐसे मामलों को निस्तारित करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है लेकिन राज्य सरकार ऐसा नहीं कर सकी है. इससे बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी है.