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Allahabad High Court: प्रमोशन पर निर्णय होने के बाद आपराधिक केस दर्ज होना प्रमोशन में बाधा नहीं

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Published : Feb 13, 2023, 10:32 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि विभागीय अथवा आपराधिक कार्रवाई शुरू होने पर कर्मचारी की प्रमोशन आदेश प्रभावित नहीं होगा.

Allahabad High Court
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प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि किसी कर्मचारी की प्रमोशन पर निर्णय हो जाने के बाद यदि उसके विरुद्ध विभागीय अथवा आपराधिक कार्रवाई शुरू की जाती है तो उसे स्थिति में उसका प्रमोशन आदेश प्रभावित नहीं होगा. कोर्ट ने कहा कि प्रमोशन पर निर्णय लिए जाने के बाद इस आधार पर कर्मचारी का केस सील बंद लिफाफे में नहीं रखा जा सकता है कि उसके विरुद्ध विभागीय अथवा आपराधिक कार्रवाई बाद में शुरू हो गई थी. नोएडा में तैनात तहसीलदार रनबीर सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह ने की.


याची का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि याची 1996 में नायब तहसीलदार के पद पर नियुक्त हुआ. सर्विस रिकॉर्ड अच्छा होने के कारण 2013 में उसे तहसीलदार के पद पर प्रमोशन दी गई. 2018 में डिप्टी कलेक्टर के पद पर प्रमोशन के लिए प्रोन्नत कमेटी का गठन हुआ, जिसमें याची के नाम पर भी विचार हुआ. प्रोमोशन सूची में याची का नाम शामिल किया गया. लेकिन जब परिणाम जारी हुआ तो उसका नाम सूची में नहीं था.

जानकारी करने पर पता चला कि विभागीय कार्रवाई के तहत याची को निलंबित किए जाने के कारण उसकी प्रमोशनका मामला सीलबंद लिफाफे में रखा गया है. याची के विरुद्ध नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी के लिए जमीन की खरीद-फरोख्त में धांधली करने का मुकदमा भी दर्ज हुआ है. जिस पर सीबीआई ने अभियोजन स्वीकृति प्राप्त की तथा प्रकरण का ट्रायल अभी लंबित है. जिसके जल्दी पूरा होने की उम्मीद नहीं है.

वरिष्ठ अधिवक्ता का तर्क था कि विभागीय प्रमोशन पर विचार करते समय उसे कोई चार्जशीट नहीं दी गई, न ही उस समय उसके विरुद्ध आपराधिक मुकदमा लंबित था. इसलिए उसका प्रकरण सीलबंद कवर में रखने का कोई औचित्य नहीं है. विभागीय प्रमोशन समिति की बैठक में याची के प्रमोशन पर निर्णय हो जाने के बाद चार्जशीट दाखिल होने से उसकी प्रमोशन पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा. वरिष्ठ अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णित यूनियन आफ इंडिया बनाम केवी जानकी रमन केस की नजीर प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्रमोशन पर विचार हो जाने के बाद प्रकरण को सीलबंद कवर में रखने का कोई औचित्य नहीं है. कोर्ट ने याची की ओर से दी गई दलीलों को स्वीकार करते हुए विभागीय अधिकारियों को आदेश दिया है याची की प्रमोशन पर यथाशीघ्र निर्णय लिया जाए.

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