जानिए 'कुंडा' विधानसभा सीट, यहां कोई नहीं तोड़ पाया 'राजा भैया' का तिलिस्म
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Published : Aug 20, 2021, 11:50 AM IST
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Updated : Aug 20, 2021, 12:28 PM IST
2022 विधानसभा चुनाव में प्रतापगढ़ जिले की कुंडा विधानसभा सीट पर सबकी नजर रहेगी. यह यूपी की हाई प्रोफाइल विधानसभा सीटों में से एक है. इस सीट से लगातार 6 बार से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ 'राजा भैया' विधायक बनते आ रहे हैं. राजा भैया के तिलिस्म को तोड़ना आसान नहीं है, लेकिन समाजवादी पार्टी से राहें जुदा होने के बाद 2022 विधानसभा चुनाव में राजा को टक्कर मिल सकती है. एक नजर 'कुंडा विधानसभा' सीट पर.....
प्रतापगढ़:2022 में उत्तर प्रदेश में होना वाला विधानसभा चुनाव किसी महासंग्राम से कम नहीं है. सूबे की सत्ता पर सवार भारतीय जनता पार्टी जहां दोबारा 'कमल' खिलाने का ख्वाब देख रही है तो वहीं मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी भी सत्ता के शिखर पर बैठने का ख्बाव देख रही है. 2012 में सत्ता से बाहर हुईं बसपा सुप्रीमो मायावती भी दलित-ब्राह्मण गठजोड़ के सहारे दोबारा 'हाथी' को लखनऊ तक सैर करानी चाहती हैं. कांग्रेस पार्टी का 'हाथ' भले ही उनका साथ नहीं दे रहा हो, लेकिन वह भी मुंगेरी लाल के हसीन सपने को सच करने की कोशिश करेगी.
2022 विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियां दमखम से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारियों में लगी हुई हैं. इसी में से एक पार्टी है 'जनसत्ता दल', जिसके मुखिया हैं भदरी रियासत के राजा उदय प्रताप सिंह के बेटे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ 'राजा भैया'. 2019 लोकसभा चुनाव में 'जनसत्ता दल' भले ही कमाल न दिखा पाया हो, लेकिन विधानसभा चुनाव में प्रतापगढ़ व आसपास के जिलों में उसकी नजर है. साथ ही 'राजा भैया' की लोकप्रियता भी दांव पर है.
पूर्वांचल की क्षत्रिय राजनीति में धमक दिखाने वाले बाहुबली राजा भैया ने प्रतापगढ़ जिले की 'कुंडा विधानसभा'सीट पर जो तिलिस्म बनाया है, उसे आज तक कोई तोड़ नहीं पाया है. वर्ष 1993 से लेकर वर्ष 2017 तक लगातार चुनाव जीता है. चुनावी आंकड़े की बात की जाए तो साफ हो जाता है कि कुंडा सीट पर राजा भैया की आंधी चलती है और अन्य प्रत्याशी तिनके के समान उड़ जाते हैं.
राजा भैया ऐसे बाहुबली नेता है, जिन्हें किसी पार्टी की ढाल की आवश्यकता नहीं होती है. ये निर्दलीय ही चुनाव लड़ते आए हैं. इनके आगे राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशी भी कागज के शेर साबित होते हैं. हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव तक समाजवादी पार्टी 'कुंडा विधानसभा'सीटपर राजा भैया को समर्थन देती आई है. इस सीट पर सपा अपना प्रत्याशी नहीं उतारती है. वहीं अब सपा और राजा की राहें जुदा होने के बाद 'कुंडा विधानसभा'सीटपर जनसत्ता के सहारे जीत हासिल करना राजा भैया के लिए आसान नहीं होगा.
2017 विधानसभा चुनाव में 'कुंडा विधानसभा'परराजा भैया को 1,36,597 वोट मिले थे. राजा भैया ने 88,255 वोटों के अंतर से अपने प्रतिद्वंदी प्रत्याशी को शिकस्त दी थी. चुनाव में राजा भैया को 68 प्रतिशत वोट मिला था. राजा भैया का आपराधिक इतिहास भी रहा है, लेकिन कुंडा की जनता को इससे दिक्कत नहीं होती है. जनता राजा भैया को अपना नेता मानती है और हर चुनाव में राजा भैया को ही जनता का समर्थन व मत मिलता है, जिससे उनकी जीत सुनिश्चित हो जाती है. यूपी में फिर से विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. सबकी निगाहें फिर राजा भैया पर टिकी हुई हैं. क्या राजा भैया अपने तिलिस्म को कायम रख पाते हैं या फिर उनके अभेद किले में सेंधमारी हो जाएगी.
एक नजर '246-कुंडा विधानसभा' पर साल 2021 के आंकड़ों के अनुसार कुंडा विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 50 हजार 369 है, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 88 हजार 611 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 61 हजार 758 है.