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अबकी बार चकिया विधानसभा में किसकी सरकार, सत्ता के करीब रहती है यहां की सीट

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Published : Dec 3, 2021, 1:19 PM IST

Updated : Dec 3, 2021, 1:24 PM IST

जिले की चकिया विधानसभा (Chakia Assembly) का स्वतंत्र अस्तित्व 1962 में सामने आया. इससे पहले यह सीट चंदौली विधानसभा से जुड़ी हुई थी. नए परिसीमन में इस विधानसभा में चंदौली विधानसभा के भी कुछ गांव को समावेशित कर लिया गया. चकिया विधानसभा का क्षेत्र एक तरफ जहां प्राकृतिक संपदाओं के लिए विख्यात है, तो वहीं दूसरी तरफ इसके कुछ इलाके नक्सल प्रभावित भी रहे हैं.

चंदौली विधानसभा सीट.
चंदौली विधानसभा सीट.

चंदौली : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के नजदीक आते ही प्रचार-प्रसार शुरू हो गया है. वहीं दूसरी तरफ विधानसभा की हर सीट पर पार्टियां अपना गुणा-गणित सेट करने में लग गई हैं. चकिया विधानसभा क्षेत्र में पर्यटन की दृष्टि से एक तरफ जहां राजदारी देवदारी जलप्रपात है. तो वहीं दूसरी तरफ धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो प्राचीन काली मंदिर, नौगढ़ के जंगलों के बीच स्थित कोइलरवा हनुमान जी मंदिर के साथ-साथ जागेश्वरनाथ धाम और लतीफ शाह की मजार भी है. इस इलाके में पूर्व काशी नरेश का किला था. साथ ही साथ राजा मारीच के किले के अवशेष इस इलाके में मिलते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले नवगढ़ का चित्र बाबू देवकीनंदन खत्री ने चंद्रकांता संतति में भी किया है. देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का पैतृक गांव भभौरा भी इसी विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है.


राजनीतिक पृष्ठभूमि

चंदौली जिले की चकिया (सुरक्षित) विधानसभा का राजनीतिक सफर साल 1962 के आम चुनावों के साथ शुरू हुआ था. इसके पहले 1952 तथा 1957 के आम चुनावों में यह सीट चंदौली विधानसभा से जुड़ी हुई थी. चंदौली सीट से सामान्य तथा सुरक्षित दो सीटे थीं और दो विधायक चुने जाते थे. इससे एक सामान्य और एक अनुसूचित जाति का विधायक चुना जाता था. उन दोनों चुनावों में कांग्रेस की टिकट पर सामान्य सीट पर पंडित कमलापति त्रिपाठी तथा सुरक्षित सीट पर रामलखन निर्वाचित हुए थे. लेकिन 1967 के कांग्रेस विरोधी लहर ने इस सीट पर सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार बेचनराम ने जीत हासिल की.

चकिया विधानसभा सीट.

उन्होंने तब कांगेस के रामलखन को पराजित किया था. लेकिन 1969 के मध्यावधि चुनाव में रामलखन ने बेचन राम को पराजित कर फिर कांग्रेस की झोली में यह सीट डाल दी. 1974 के चुनाव में कांग्रेस ने बेचन राम को टिकट दिया और रामलखन बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे. इस चुनाव में बेचन राम ने जीत हासिल की.

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1977 में जनता पार्टी की लहर में इस सीट पर जनसंघ घटक के प्रत्याशी श्यामदेव ने बाजी मारी तथा 1980 के मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस के खरपत राम ने विजय पताका फहराई. उन्होंने 1985 के चुनाव में भी जीत का क्रम जारी रखा. 1989 में जनता दल से सत्य प्रकाश सोनकर विजयी घोषित हुए. इसके बाद हुए चुनाव में राजेश कुमार विधायक रहे. 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर एक बार फिर सत्य प्रकाश सोनकर चकिया से विधायक बने.

2002 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के शिव तपस्या पासवान चकिया से विधायक चुने गए. इसके बाद 2007 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो बहुजन समाज पार्टी के जितेंद्र कुमार ने जीत हासिल की. 2012 के विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद समाजवादी पार्टी ने सत्य प्रकाश सोनकर को अपना प्रत्याशी बनाया था. इसके बाद समाजवादी पार्टी ने उनकी पत्नी पूनम सोनकर को मैदान में उतारा. जिन्होंने बहुजन समाज पार्टी के जितेंद्र कुमार को हराकर जिले की पहली महिला विधायक होने का गौरव हासिल किया. 2017 के चुनाव में यहां से भारतीय जनता पार्टी के शारदा प्रसाद ने चुनाव जीता जो बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे.

जीते प्रत्याशियों की लिस्ट.

सामाजिक तानाबाना

चंदौली जिले की चकिया विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश इलाके वन क्षेत्र से आच्छादित हैं. अगर कुल मतदाताओं की बात करें तो वर्तमान समय में चकिया विधानसभा क्षेत्र में कुल 367558 मतदाता हैं. इस विधानसभा में एक तरफ जहां 196600 पुरुष मतदाता हैं तो वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 170978 है.

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जातिगत आंकड़ा

अनुमानित जातिगत आंकड़ों की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक हरिजन मतदाता हैं. जिनकी संख्या 60 हजार के आसपास है. दूसरे नंबर पर यादव मतदाता हैं, जिनकी संख्या तकरीबन 40 हजार है. चकिया विधानसभा क्षेत्र में क्षत्रिय मतदाताओं की तादाद तकरीबन 28 हजार है. ब्राह्मण 23 हजार मतदाता हैं. इस विधानसभा में मौर्या मतदाताओं की संख्या 25 हजार है. तो वैश्य मतदाताओं की तादाद लगभग 24 हजार ही है. इसके अलावा 15 हजार कोल/भील, 22 हजार मुस्लिम, 15 हजार बिंद-बियार, 9 हजार चौहान, 9 हजार पटेल, 18 हजार सोनकर, 8 हजार लोहार/कोहार, 9 हजार धोबी और बनवासी, 20 हजार गोंड/खरवार, 7 हजार मल्लाह और 5 हजार कायस्थ हैं

जनसंख्या.

2017 का जनादेश

2017 में चकिया विधानसभा की सीट बहुजन समाज पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए शारदा प्रसाद ने जीती थी. इस चुनाव में कुल 234587 वोट पड़े थे और मतदान का प्रतिशत 64.23 था. शारदा प्रसाद ने 96890 वोट पाकर अपने प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाज पार्टी के जितेंद्र कुमार को 20063 वोटों से हराया था. जितेंद्र कुमार को चुनाव में 76827 वोट मिले थे. जबकि समाजवादी पार्टी की पूनम सोनकर को 48687 मत मिले.

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रिपोर्ट कार्ड

चंदौली के चकिया (सुरक्षित) विधानसभा के वर्तमान भाजपा विधायक शारदा प्रसाद की उम्र तकरीबन 62 वर्ष है. भाजपा से पहले शारदा प्रसाद बसपा से भी विधायक और मंत्री रह चुके हैं. शारदा प्रसाद मूल रूप से वाराणसी के रहने वाले हैं और इन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की है.

क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों की बात करें तो शारदा प्रसाद के अनुसार इन्होंने अपने क्षेत्र में शिक्षा, सड़क, बिजली और सिंचाई के क्षेत्र में विशेष काम किया और अब तक मिली इनकी विधायक निधि भी खर्च हो चुकी है. शारदा प्रसाद ने विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों में स्थित आदिवासी और वनवासी उन गांव में विद्युतीकरण का कार्य भी कराया. जहां लोग इसके पहले लालटेन युग में जीवन व्यतीत कर रहे थे.

Last Updated :Dec 3, 2021, 1:24 PM IST

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