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मुरादाबाद: अनलॉक 1.0 में रोडवेज बसों को नहीं मिल रहे यात्री

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Published : Jun 6, 2020, 4:58 PM IST

मुरादाबाद जिले के पीतल नगरी बस डिपो और मुरादाबाद डिपो में परिवहन निगम की बसें यात्रियों के इंतजार में खड़ी हैं. सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक का कहना है कि इस दौरान राजस्व का फायदा कम नुकशान ज्यादा हो रहा है.

अनलॉक 1.0 में रोडवेज बसों को नहीं. मिल रहें यात्री
अनलॉक 1.0 में रोडवेज बसों को नहीं मिल रहें यात्री.

मुरादाबाद: कोरोना संकट के चलते लागू लॉकडाउन में जहां रोडवेज बसों के पहिये थमें रहे, वहीं अनलॉक पार्ट 1.0 में रोडवेज बसों को यात्री नहीं मिल रहे हैं. रोडवेज की ज्यादातर बसे जहां यात्रियों की कमी के चलते रवाना नहीं हो रही हैं. वहीं महज बीस फीसदी यात्री ही बसों से सफर कर रहे हैं.

मुरादाबाद जनपद के पीतल नगरी बस डिपो और मुरादाबाद डिपो में परिवहन निगम की बसें यात्रियों के इंतजार में खड़ी हैं. यात्रियों की कमी से रोडवेज अधिकारी भी चिंतित हैं और राजस्व में नुकसान की आशंका जता रहे हैं.

बस अड्डे पर यात्रियों की हो रही थर्मल स्क्रीनिंग
रोडवेज बस अड्डे पर यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग और सैनिटाइज भी किया जा रहा है, लेकिन कोरोना के खौफ के चलते यात्री रोडवेज बस अड्डे तक पहुंच ही नहीं रहे हैं. मुरादाबाद डिपो से चलने वाली 50 फीसदी बसों का संचालन यात्रियों की कमी के चलते शुरू ही नहीं किया जा सका है. मुरादाबाद से आस-पास के जनपदों में सामान्य समय में हर पांच से दस मिनट में बसों को रवाना किया जाता था, लेकिन अब एक दिन में बमुश्किल दो से तीन बसें ही इन रूटों पर संचालित की जा रही हैं.

राजस्व का हो रहा नुकसान
सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक शिव बालक ने बताया कि अनलॉक पार्ट 1.0 में ज्यादातर दैनिक यात्री सार्वजनिक परिवहन के बजाय अपने संसाधनों का इस्तेमाल कर यात्रा करने को तरहीज दे रहे हैं. यात्रियों के न आने के चलते रोडवेज अधिकारियों ने अभी तक अपना रूटचार्ट भी तैयार नहीं किया है. बस अड्डे पर जिन शहरों की सवारियां ज्यादा संख्या में पहुंचती हैं, उसी शहर के लिए बसों को रवाना कर दिया जाता है.

सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक के मुताबिक शुरुआती चार से पांच दिनों में रोडवेज बसों से महज बीस फीसदी यात्रियों ने ही सफर किया है, जिससे राजस्व का फायदा कम नुकसान ज्यादा हो रहा है. अधिकारियों के मुताबिक हालात सामान्य होने और कोरोना का खौफ कम होने में महीनों लग सकते हैं, जिसका खामियाजा रोडवेज को लंबे समय तक भुगतना पड़ेगा.

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