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पूनम पंडित बोलीं, हिटलर का आखिरी पन्ना पढ़ना भूल गए हैं नेता

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Published : Sep 4, 2022, 10:48 PM IST

मथुरा में किसान नेता पूनम पंडित ने कहा कि वर्तमान में स्थिति काफी खराब हो चुकी है. किसानों को आतंकवादी जैसे नामों से पुकारा जा रहा है. बहन बेटी सुरक्षित नहीं है. ऐसे नेता हिटलर का आखिरी पन्ना पढ़ना भूल गए हैं.

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मथुरा: जनपद की छाता तहसील के गांव बिडावली में एक किसान सम्मेलन का आयोजन भारतीय किसान यूनियन अजगर के बैनर तले किया गया. इस आयोजन में सहभागिता करने के लिए किसान नेता पूनम पंडित भी पहुंची. इस दौरान पत्रकारों से रूबरू हुई पूनम पंडित ने कहा कि वर्तमान में स्थिति काफी खराब हो चुकी है. किसानों को आतंकवादी जैसे नामों से पुकारा जा रहा है. बहन-बेटी सुरक्षित नहीं है. ऐसे नेता हिटलर का आखिरी पन्ना पढ़ना भूल गए हैं. मैं भगवान से दुआ करती हूं कि भगवान उन्हें सद्बुद्धि दें और वह हिटलर का आखिरी पन्ना भी पढ़ लें कि अंत में हिटलर की तानाशाही के बाद उसका क्या हश्र हुआ था.

पूनम पंडित ने बताया कि यह जो किसान पंचायत है. यह नहीं है कि हम इसमें आएं और बोल कर चले जाएं या फूल माला हार पहन कर के स्वागत करा कर चले जाए. मेरा एक उद्देश्य होता है जब भी मैं कभी किसी पंचायत में पहुंचती हूं, संबोधन करती हूं कि सबसे पहले किसानों की समस्या को समझती है, क्योंकि किसान ही किसान की समस्या को पहले समझेगा, फिर किसान नेता समझेंगे और इसके बाद नेता समझेंगे.

जानकारी देते हुए किसान नेता पूनम पंडित

सबसे पहले हमें आपस की अपनी समस्याओं को समझना होगा और यह बहुत ज्यादा जरूरी है. आप किसी भी किसान का मुद्दा उठा लीजिए जो काफी समय से चले आ रहे हैं, लेकिन कुछ समय से चीजें बदल रही थी लेकिन अभी भी पूरे देश में स्थिति खराब है.

पूनम ने कहा कि मैं ब्रजभूमि में आई हुई हूं और राधा रानी से दुआ करती हूं कि मेरी जैसी जो बेटियां हैं उनको और ज्यादा आशीर्वाद मिले. उन्होंने कहा कि मेरा और बेटी और बहनों से अनुरोध है कि जब-जब कोई बेटी समाज में अच्छे कार्य करने के लिए उभरती है तो आप उसके पैर पकड़ कर ना खींचे उन्हें उड़ने दे. जब पंख फैलाएंगे तो पता चल जाएगा किसकी कितनी औकात है. आसमान नापने के लिए बेटी या बहन तो निकलती है. लेकिन कुछ चीजें ऐसी हो जाती हैं, जो उन्हें रोकना चाहती है. उन्होंने कहा कि अगर हमारे भाई हमें सपोर्ट नहीं करेंगे तो कैसे होगा.

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पूनम पंडित ने कहा कि हिटलर ने बहुत सारी नीतियां बनाई. हिटलर के साथ में बहुत बड़ा जन आंदोलन हुआ करता था, बहुत भीड़भाड़ होती थी. हिटलर के पन्नों को पढ़ने वाले नेताओं ने सारे पन्ने पढ़ लिए होंगे लेकिन लास्ट का एक पन्ना छोड़ दिया. जब हिटलर ने तानाशाही ज्यादा की थी तो जनता ने क्या हालत की थी. वह लास्ट का पन्ना भूल गए हैं. मेरा उन नेताओं से अनुरोध है और मैं राधा रानी से दुआ करूंगी की कृपा करें. ऐसे नेताओं की सद्बुद्धि का भी विकास हो और वह हिटलर का लास्ट वाला पन्ना भी भी पढ़ ले. वर्तमान में आप देख लीजिए जब तक आप भीड़ के साथ अपनी आवाज को नहीं उठाएंगे तो आपकी आवाज नहीं सुनी जाएगी, लेकिन जब आप भीड़ के साथ जाएंगे तभी आपकी आवाज सुनी जाएगी. अगर आप वहीं पर डर गए तो आपकी बात को नहीं सुना जाएगा. अभी आपने देखा होगा कि लखीमपुर में एक ट्रैक्टर और बुलडोजर गरीब के घर को गिरा रहे हैं और ऐसा इतिहास में 1947 के बाद पहली बार हुआ है कि 1947 के आंदोलन के बाद लखीमपुर नरसंहार हुआ, ऐसी ऐसी पानी की बौछारें चलाई गई जो किसान जीडीपी आगे बढ़ाता है देश का पेट भरता है जो अन्नदाता है उसको आतंकवादी और ना जाने कैसे-कैसे शब्दों से पुकारा गया.

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