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जेल में रोटी न मिलने पर बन्दी ने की आत्महत्या की कोशिश

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Published : Jul 9, 2021, 2:41 PM IST

महोबा जेल में एक बन्दी ने शुक्रवार को आत्महत्या की कोशिश की. बन्दी का आरोप है कि जेल में जितनी रोटियां मिलती हैं, उससे उसका पेट नहीं भरता है. जिसकी वजह से उसने आत्महत्या की करने की कोशिश की. साथ ही उसने जेल के सिपाहियों पर रोटी बेचने और मारपीट का भी आरोप लगाया है.

बंदी ने की आत्महत्या की कोशिश
बंदी ने की आत्महत्या की कोशिश

महोबा: जिला उपकारागार में बीते लगभग एक साल से निरुद्ध बन्दी ने जेल प्रशासन पर गम्भीर आरोप लगाते हुए धारदार हथियार से खुद पर प्रहार करके खुदकुशी की कोशिश की. बंदी द्वारा जेल में आत्महत्या हत्या की कोशिश किए जाने के बाद जेल प्रशासन में हड़कम्प मच गया. आनन-फानन में गम्भीर रूप से घायल बन्दी को उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है. आत्महत्या की कोशिश करने वाले बंदी ने जेल प्रशासन पर रोटी के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है.

बताया जा रहा है कि हमीरपुर जिले के मुस्करा थाना क्षेत्र के छानी बंधा गांव का रहने वाले जगप्रसाद का 19 वर्षीय पुत्र जीतेन्द्र नाबालिग किशोरी से बलात्कार के मामले में 30 अगस्त 2020 से महोबा के जिला उपकारागार बन्द है. शुक्रवार सुबह बन्दी जीतेन्द्र ने जेल परिसर के अन्दर धारदार हथियार से अपने गले पर प्रहार कर जान देने की कोशिश की. इस दौरान वह गम्भीर रूप से घायल हो गया. जिसके बाद जेल प्रशासन में हड़कम्प मच गया. आनन-फानन में गम्भीर रूप से घायल बन्दी को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. घायल बन्दी का जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में इलाज चल रहा है. डॉक्टर के मुताबिक बन्दी जीतेन्द्र की हालत स्थिर बनी हुई है. घायल बन्दी के आने आरोप लगाया कि उसे उपकारागार में पेट भर रोटी नहीं मिलती है. बन्दी ने कारागार में तैनात आपू जी नाम के पुलिसकर्मी पर जेल के अन्दर रोटी बेचने और उसके साथ मारपीट करने का आरोप लगाया है.

बंदी ने की आत्महत्या की कोशिश


घायल बन्दी जीतेंद्र ने कहा कि, जेल में जो सिपाही तैनात हैं वह रोटी को बेचते हैं और हम भूखे रह जाते हैं. मुझे फर्जी बलात्कार के केस में फंसा दिया गया था. मुझसे कोई मिलने भी नहीं आता है. जिसके कारण मैं जेल से बाहर नहीं आ पा रहा हूं. इसके कारण मैंने अपनी जान देने की कोशिश की. मैं सिपाही के ऊपर केस लगवाना चाहता हूं क्योंकि उन्होंने दो तीन बार मुझे मारा है. अगर सिपाही के ऊपर केस नहीं दर्ज होगा तो मैं दोबारा अपनी जान देने का प्रयास करूंगा. जेल में दस रोटी मिलती है, जिससे मेरी भूख नहीं खत्म होती. जिस कारण मैं रोटी के लिए पेश हुआ था. हम बहुत गरीब हैं पिता जी बीमार रहते हैं. जिस कारण हमारी जमानत नहीं हो पा रही है.


जिला अस्पताल महोबा में तैनात ईएमओ डॉ. गुलशेर अहमद ने बताया कि जेल से इमर्जेंसी में एक बंदी लाया गया है. जिसने अपनी गर्दन को किसी धारदार चीज से काटने की कोशिश की है. उसकी गर्दन में दो जगह कट के निशान हैं, जिसका इलाज किया जा रहा है.

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