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महाव का तटबंध चार जगहों पर टूटा, गांव में घुसा पानी

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Published : Jun 16, 2021, 7:53 AM IST

नेपाल के पहाड़ों में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से महराजगंज के परसामालिक थाना क्षेत्र में बहने वाला महाव नाले में अचानक भारी मात्रा में पानी आ गया. ज्यादा पानी आ जाने से तटबंध 4 स्थानों पर टूट गया है. पानी तेजी से गांव की ओर बढ़ रहा है. महाव तटबंध टूटने के बाद नौतनवा तहसीलदार हालात का जायजा लेने पहुंचे.

महाव का तटबंध चार जगहों पर टूटा
महाव का तटबंध चार जगहों पर टूटा

महराजगंज: नेपाल के पहाड़ों पर हुई मूसलाधार बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है. मंगलवार को जिले के परसामालिक थाना क्षेत्र में बहने वाला पहाड़ी नाला महाव में अचानक भारी मात्रा में पानी आ गया. खतरे के निशान को पार करते हुए महाव का तटबंध चार स्थानों पर टूट गया. इसके टूटने से पानी आधा दर्जन गांव की तरफ तेजी से बढ़ रहा है. सैकड़ों किसानों की धान की रोपाई बर्बाद हो गई है. महाव तटबंध टूटने के बाद नौतनवा तहसीलदार अशोक कुमार गुप्ता हालात का जायजा लेने पहुंचे. बाढ़ के नुकसान का जायजा लिया और और उच्च अधिकारियों को अवगत कराएं.

नेपाल से निकलने वाली महाव नदी पर बना तटबंध पहली बरसात में ही टूट गया, जिससे 6 गांवों की तरफ बरसात का पानी बढ़ रहा है. सिचाईं विभाग हर साल महाव तटबंध की मरम्मत में लाखों रुपए खर्च करते हैं, लेकिन यह तटबंध पहली बरसात ही नहीं झेल सका. डेंजर लेवल पार होते ही महाव नाला का तटबंध अमहवा व विशुनपुरा गांव के सामने 15 मीटर, खैरहवा दूबे गांव के पश्चिमी तटबंध दो स्थानों पर 50 मीटर व चंद्रशेखर सिंह के खेत के सामने 25 मीटर टूट गया.

महाव का तटबंध चार जगहों पर टूटा

इससे महाव का पानी इन चारों गांव के सिवान में फैल गया. खैरहवा दूबे गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है. ठूठीबारी-नौतनवा रोड से खैरहवा दूबे गांव को जोड़ने वाले सम्पर्क मार्ग पर भी एक फुट पानी का बहाव है. खैरहवा दूबे के किसानों का कहना है कि खेत में धान की रोपाई हो चुकी है. वह सभी फसल बाढ़ में डूब गई. गन्ने की फसल को भी नुकसान पहुंचा है.

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तटबंध के टूट जाने से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. ग्रामीण तटबंध पर नजर बनाए हुए हैं. महाव नदी पर बना तटबंध हर साल तबाही मचाती है, लेकिन विभाग के अधिकारियों के कानों पर जू नही रेंगता है, बहरहाल देखने वाली बात होगी की अब प्रशासन इन टूटे तटबंध की मरम्मत कब तक कराती है.

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